इसे कहते हैं मौके पर न्याय कर देना… मामला मध्य प्रदेश के सागर जिले का है. आरोप है कि शराबी फील्ड रिपोर्टर ने रात में अंटशंट इन महिला इंस्पेक्टरों के बारे में फेसबुक पर लिखा तो अगली सुबह वर्दीधारी महिलाओं ने इन महोदय को सड़क पर घेर लिया. केवल बस मारापीटा नहीं, बाकी इनने वो दुर्गति कर दी कि ये पत्रकार अब मुंह दिखाने लायक नहीं रहा.
वैसे बाद में पता चला कि इन पत्रकार ने वो पोस्ट लिखी नहीं जिसके लिए इन्हें घेर कर सरेराह बेइज्जत किया जा रहा है… फिलहाल देखें संबंधित वीडियो…. नीचे क्लिक करें…
Sadhna news ke Dalal Patrakar ki sareaam dhulayi
इस प्रकरण का असली सच जानने के लिए नीचे दिए शीर्षक पर क्लिक करें-
तो मनबढ़ महिला इंस्पेक्टरों ने साजिशन एक निरीह-निर्दोष पत्रकार को सरेआम घेरकर बेइज्जत कर दिया?
उपरोक्त वीडियो पर आए सैकड़ों फेसबुक कमेंट्स में से कुछ चुनिंदा को यहां प्रकाशित किया जा रहा है-
Anand Sharma : एक बात बड़ी मार्के की लगी. आजकल के ठोंकपीट ज़माने में इन दोनों महिलाओं ने हिंसा का कतई सहारा नहीं लिया.
Yashwant Singh : मारपीट कर देतीं तो शायद उनके खिलाफ भी कार्रवाई होती विभागीय. लेकिन वे अच्छे से जानती थीं कि वे सारा कुछ मोबाइल पर रिकार्ड करवा रही हैं इसलिए उन्हें मारपीट करना भी नहीं था. बड़ा गजब स्टाइल निकाला है दलाल पत्रकारों को ठीक करने का. सैल्यूट है इन सिंघमियों को 🙂
Abhishek Gupta : बहुत संयम का परिचय दिया महिला पुलिसकर्मियों ने चाहती तो दो कंटाप जड़ सकती थीं, ऐसे चूतिए टाइप पत्रकार जूते खाने लायक ही होते हैं
Rajendra Singh : खाल बड़ी मोटी हो चुकी है दल्लों की यशवंत जी, इस जैसी घटना से इनका बाल भी नहीं हिलेगा
Avaidya Nath Dubey : साधना वाले इस शख़्स का नाम क्या है
Vikas Srivastava : भैया बहुत बढ़िया धोया मैडम ने इन्हें. भैया जी, कहने की बात नहीं लेकिन अपने बच्चों को यही सिखाते हैं कि कही अगर खो जाना तो सिर्फ पुलिस अंकल के ही पास जाना और किसी के पास नहीं. आज भी कहीं न कहीं हमें पुलिस पर ही विश्वास है.
देवेश : केवल महिला होने के नाते ये बचाव? ये महिला या पुरुष अधिकारी हो, इनको कानून पता है कि क्या करना है। पत्रकार ने यदि ग़लत किया तो यह अपराध है, इस तरह छोड़ देना भी ग़लत है,बिना प्रक्रिया के सिर्फ अपने रुतबे का धौंस दिखाकर ऐसा करना ग़लत। आप जब बैठे बैठे यहीं से किसी की योग्यता निर्धारित कर रहें हैं तो निश्चय ही उसने भी वही किया हो ? यह नारी सशक्तिकरण तब होता जब कोई आम महिला इस तरह की बात करती। इन्होंने स्वयं कानून का उलंघन किया है। ऐसे तो इनके ऊपर केस बनता है डराने-धमकाने का।
Jai Prakash Singh : कभी गलती से या प्रॉक्सी से ऐस आरक्षित बोगी में चढ़े हैं जिसमें आधे से ज़्यादा सीटों पर लड़कियों के किसी टूर की बुकिंग हो
Ravi Tiwari : रोंग नंबर डायल हो गया, अब पीकर अंट शंट कभी न लिखेंगे पत्रकार मित्र
अमित रघुवंशी : बड़ा बेशर्म है. पढ़ भी रहा है. ई न कि माफी मांग ले, गलती की.
Sunayan Chaturvedi : दमदार धुलाई।
Anjeev Pandey : एक पुलिस अधिकारी को ऐसा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। कानून सम्मत नहीं है। इन पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए तुरंत। पुलिस को अराजक होने की छूट नहीं दी जा सकती।
Satyajeet Singh : क्या फर्जी पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए जो पत्रकारिता को दर-दर बदनाम कर रहे हैं?
Anjeev Pandey सत्यजीत जी, पत्रकारिता पर मैंने टिप्पणी नहीं की है। और हां, कार्रवाई का ये तरीका अराजक है। यही काम अगर जनता ने किया होता तो अलग मामला था। लेकिन एक पुलिस अधिकारी को कानून के अनुसार ही चलना होगा।
Naveen Navoo Kewat मैं इंतज़ार कर रहा था कि जोर से न पढने पर कब एक थप्पड़ पड़ेगा
Raj Pathe हर कहीं महिला होने का फायदा चाहिए इनको, चाहे घर, जॉब या समाज हो.
Rajan Tandon जी, कौन सा उसने गोली मार दी। वो पत्रकार उस महिला के लिये फेसबुक पर अश्लील शब्दों का प्रयोग करे। वो कुछ भी न कहे। अगर कोई अपराध नहीं किया था तो चुपचाप क्यूँ खड़ा रहा। पत्रकार तो अपने आगे किसी को बोलने भी नहीं देते।
Rohan Anand शब्द गलत हो सकते हैं पत्रकार के लेकिन कुछ हद तक उसने सही कहा कि ये पैसा मुंह से पकड़ती हैं
Anjeev Pandey इस चर्चा में कितने लोग ऐसे हैं जो मीडिया और पुलिस के बारे में गहराई से जानते हैं।
Tarun Kumar Tarun गजब ! पैंतराकारिता की बैंड बजा दी।
Sanjeev Negi महोदय.. बड़े बुद्धिमान लगते हो.. आप को तो अपनी कीमती राय इन दोनों इंस्पेक्टर के सामने देनी चाहिए.
Ashutosh Mishra मैडम बहुत ठीक कर रही हैं. किसी भी चीज का दायरा होता है. कुछ पत्रकार पत्रकारिता के लिए किसी भी हद तक गिर रहे हैं.
Rajendra Kashyap अंजीन पांडे जी ! आप कह रहे हैं कि एक पुलिस अधिकारी को ऐसा करने की इजाजत नही दी जा सकती। कानून सम्मत नही है। इन पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाही होना चाहिए । क्या पुलिस में आकर उन्होंने अपनी इज्जत बेच दी है अपना जमीर गिरबी रख दिया है जो जो कोई भी बोलेगा वो सुनती रहेंगी कुछ भी नही कहेंगी । पांडे जी शायद आपके परिवार में महिलाएं सर्विस नहीं करती है इसलिए ऐसे विचार हैं आपके । एक पत्रकार द्वारा मीडिया में सरेआम बिना किसी सबूत के इज्जत उछालने की इजाजत दी जा सकती है, आपके हिसाब से कानून सम्मत है। पुलिस की इस कार्यवाही को आप अराजक बता रहे हैं । ऐसे टीवी रिपोर्टर को तो चप्पलों से पीटना चाहिए था। अगर ये आपकी मां बहिन के लिए इन शब्दों का प्रयोग करता तो कैसा लगता आपको । ऐसे मीडिया के लोग एवम आप जैसे उनके सपोर्टर ही मीडिया को रसातल की ओर ले जा रहे हैं।
Bhupendra Patel : Patrkar aur police dono hi kukarmi hai sale
Ajai Chauhaan : माँ छोड़ दो इनकी
DrRashmi Sharma : Good job mam
Awaneesh Sharma : Aisa iske sath nahi krna chahiye galti police wali ki hogi nahi to court h insub ke liye
Vikky Singh : सही किया, इस समय सबसे भृस्ट और झूठे इंडियन मीडिया वाले खुद हैं
Nagendra Goswami : यह स्तिथि बहुत ही दुःखद है। पत्रकारिता को कुछ लोग बदनाम कर रहे हैं लेकिन पुलिस अधिकारी का भी इस तरह का व्यवहार सार्वजनिक रूप से नहीं होना चाहिए था उसे कानून सम्मत होकर अपनी वाणी पर संयम बरतना था
Rajeev Shukla : पत्रकार ने जो लिखा होगा लगभग हर कोई जानता होगा पुलिस क्या चीज है…पुलिस का जनता के बीच क्या तालमेल होता है सबको पता है…आपको उस महिला पुलिस के भी कुछ वीडियो डालने थे…एक पछ ये गलत बात…
Chandan Jaiswal : बहुत ही दुखद निंदनीय घटना है पत्रकारिता में बिना ज्ञान प्राप्त किए और खबरों के तथ्यों को सही तरीके से बिना जांच कर किसी पर आरोप लगाएंगे तो ऐसा ही हाल होगा जो भी हुआ बहुत गलत हुआ पत्रकारिता के क्षेत्र में इस तरह के की बात या घटना होना बहुत ही सोचने और इस पर विचार करने की जरूरत है कि हम किस ओर जा रहे हैं और कौन सी पत्रकारिता हम कर रहे हैं।
Govinda Sarkar : Patrakaar ne galat kiya to maanhani ka dava kar sakte hai agar police aise karegi to aam log kya karenge. Mera ye manana hai ye
Jagvir Maithil : Apne bachcho ko paiso k liye chhod rahi ho hamare liye nahi or sab apne bachcho ko ghar chhod k kamane jate h
Dinesh Rajpurohit : बिना किसी सबूत के महिला अधिकारियो के ऊपर आरोप लगाना अपराध है
Jagmohan Shakaal : सामाजिक सम्मान प्राप्त करती आज की पत्रकारिता
Rohit Mishra : यह तो पत्रकारिता के नाम पर कलंक है। पत्रकारिता की ऐसी तैसी करवा रहा है बेशर्म
Sanjay Kumar : पत्रकार को भी प्रमाण की जरूरत होती है नहीं तो ऐसे वैसे भी कुछ बोल जायेगे।
Ravi Bhatia : पत्रकारिता की आजादी पर कुठाराघात अधिकारियों के सिर कुरसी का घमंड बोल रहा है कानुनी कारवाई होनी चाहिये
Shashank Bhatt : ऐसे आदमी को तो गिरफ्तार कर लेना चाहिए, मीडिया को ये अधिकार नहीं कि किसी की भी इज़्ज़त की धज्जियां उड़ा दे, ऐसे व्यक्ति के साथ ऐसा सलूक जायज है।
Ajay Balram Prajapati : बहुत बहुत ही सुंदर काम किया मैडम जी आपने
Gurmeet Bhalla : क्या भाषा है इनकी वाह
Subodh Sharma : पत्रकारो की आजादी का शोषण हो रहा है पुलिस पे करवाई हो
Naushad Khan : बच्चे छोड़ के, पति छोड़ के समाज सेवा नही कर रहे हो आप ठीक है , हमारे टैक्स के पैसे से मोटी रकम तनख्वा लेते हो आप ठीक है और अगर कोई आप पर आरोप लगाये तो उसको गलत साबित करो बस यूं रो कर मत बताओ
Arun Gujar : महिला अधिकारी ने एक अच्छे शब्द का प्रयोग किया जो अक्सर पत्रकार करता है… अभिव्यक्ती की आजादी का अधिकार…..
Shrichand Lodhi : बेकसूर का दर्द खुद पर बीती तो समझ में आ गया आम लोगों का हाल जब यही लोग करवाते है तब उनका ध्यान कौन रखता है। ऐसा व्यवहार की व्यवस्था कब से कायम हो गयी कि पुलिस न्यायालय का काम भी खुद करने लगी।
Irshad Husain : अगर पुलिस को इस न्यूज पर आपत्ति है तो नोटिस दे, न कि किसी पत्रकार का बीच सड़क पर अपमान करें। इस पत्रकार को चाहिए कि यह दोनो लेडी पुलिस वालों के खिलाफ कोर्ट में हरिश्मेन्ट का केस दायर करें। तभी इनके समझ मे आएगा।
Mukesh Kumar Rishiverma : ड्यूटी कर रहीं तो क्या पगार नहीं ले रहीं क्या मुफ्त में देशभक्ती कर रही
Sah Sagar Vidya : इतना कर लो तुम ही एक दिन समझ लोगे
Choudhary Ajeet Singh : जी पगार ले रही हैं इसलिए उन्हें कोई कुछ भी बोलेगा? और जो मुफ्त में देशभक्ति कर रही हैं उनकी इज्जत नहीं होगी क्या???
Gaurav Sagar Nigam : चालान महंगा है, पुलिस की तो मौज हो गई महंगे चालान से, 10,हजार का चालान 500 लेके छोड़ दे रहे पुलिस वाले कानपुर में, जल्द वीडियो आएगा
राजेंन्दर काला : विना तथ्यों के किसी के बारे में लिखना गलत है,अफराध है, लेकिन इसके लिए न्यायलय है,ऐसा व्यहवार करना भी उचित नही है, ठीक है ऐसे लोगों को सजा मिलनी चाहिए ,मगर पुलिस को भी स्वयं न्यायधीश बनना कंहा तक उचित है।
Mantoo Sharma : पत्रकार का रिपोर्ट प्रमाणित हो गया
Gaurav Monga : पुलिस अफसर पर किसी प्रकार का लांछन लगाने और बिना सबूत कुछ गलत लिखने के लिए सजा का प्रावधान है।पर्चा दर्ज करवाओ
Mayank Singh Dixit : वह स्त्री है वह कुछ भी कर सकती है
Tarun Sharma : पत्रकार महोदय के साथ क्रांति हो गई
Ashok Sharma : यानी वर्दी की गुंडागर्दी है रही बात नोकरी की तो मोहतरमा आज क्यो नही छोड़ देती है नोकरी क्या बजह खाली रहेगी
Anshuman Sharma : पत्रकारिता में कही सुनी सूचना को भी खबर माना जाता है अगर बिना किसी का नाम लिये लिखी गई है , क्योकि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कोई न बयान देगा न शिकायत कराएगा
Govind Goyal : पुलिस अधिकारियों की सरे राह दादागिरी है…..धमकाना अपराध है….बच्चे छोड़ के आते हैं तो यह उनकी नौकरी है…..सभी लोग अपने बच्चे घर छोड़ के जाते हैं….अगर किसी को किसी खबर पर एतराज है तो मुकदमा दर्ज हो सकता है….ये जो हो रहा है ये तो पुलिसगिरी का गिरा हुआ नमूना है….धौंस है….]
Sehjade Mewati: Yah patrakaar Nahin yah Godi media hai bhadwe Dalal hai ine Sab Ki Aisi Ki Taisi
Mukesh Kumar Singh : घर में बच्चे छोड़ कर आकर जनता पर एहसान नहीं कर रही ये मोहतरमा … नौकरी कर रही है तो उन्हें ड्यूटी के लिए सैलरी भी मिल रही समाज सेवा नहीं कर रही… गाली-गलौज करने का हक इन्हें किसने दिया. इनको सस्पेंड किया जाना चाहिए
Vijaykumar Mishra : ये पोलिस अधिकारी झगड़ा करके अपने आपराधिक प्रवित्ति को दिखा रही है। कुत्ते के झुंड में शेर भी माफी मांगता है। अकेले पत्रकार को पोलिस वाले अपनी बेबसी बाता रही है। अगर काम नही करना है तो नौकरी छोड़ दो, दूसरे है, उपकार का भावना मत दिखो, देश के पास जिम्मेदार नवयुवक है जो पोलिस में काम कर सकते है।
दिवाकर प्रसाद यादव : इस दल्ले पतलकार की दोनों अखरोठ को फोड़ के इसके मुह में डाल दो ताकि दुबारा इसका मुह न खुले
Er Mahendra Srivastava : I think no body should be allowed to such type of posts without Evidence. Without any Evidence don’t write any post for Male/Female Police or for any general man.
Ashok Mishra : पत्रकार गलत हो सकता हैं पर दूध की धुली नहीं हैं पुलिस उनको बुरा ही इसलिए लगा की वो गलत हैं।अन्यथा पुलिस वाले प्रतिक्रिया ही नहीं देते।
Ishwar Dayal : आज की पञकारीता बिकाऊ हो गयी है
Manoj Aligadi : खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे
Vikramjeet Vaidya : सागर (मप्र) की खबर
Bhupendra Sharma Sonu : चार महिलाओं के बीच में एक आदमी फंस गया, एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ खाई, यदि कुछ बोले तो आरोप लगने तय न बोले तो भी आरोप लगने तय, बिल्कुल सही किया जो पत्रकार चुपचाप खड़ा रहा। वरना जेल जाना तय था
Manoj Prajapat : इन्हीं हरकतों के कारण लात खाते हैं ये कुकर्मी
Bharat Singh : साधना न्यूज़ वाला है ये गोदी दलाल मीडिया
Acharya Chandrashekhar Shaastri : आज की पत्रकारिता का हाल यही है
Vikas Mishra : बढ़िया सबक सिखाया।
Vivek Sadh : Good job
Riwa S. Singh : बहुत बढ़िया किया।
Adv Deepak Vidrohi : साधना न्यूज़ का है…
Suresh Gandhi : इस तरह के दलालों की भरमार है
Shashi Singh : Kisi bhi Mahila ko kuch bhi likha denge kia patrakar ji…pitai to banti h
रामवीर
September 13, 2019 at 11:41 am
इसका नाम गोलू शर्मा है।