ज़ी मीडिया के बहुत से कर्मी कोरोना से जूझ रहे हैं लेकिन ‘पाताल लोक’ मतलब माइनस-2 में काम करने वाले मीडियाकर्मी ज्यादा ही परेशान है. वजह ये है उन्हें ना तो अन्य लोगों की तरह रिलेक्स मिल रहा है ना ही यहां काम करने वाले लोगों की संख्या कम की जा रही है.
अब तो हालात ये हैं कि लोग कंधे से कंधा भिड़ाए बैठते हैं. कोई फिजिकल/सोशल डिस्टेंसिंग नहीं. जहां पहले एक चैनल चल रहा था अब वहां चार-चार चैनलों के मीडियाकर्मी बैठते हैं, जो कलस्टर-3 के हैं. लेकिन ‘किम जोंग’ हैं कि मानने को तैयार नहीं कि यहां भी कोरोना का खतरा है.
कलस्टर-3 के ज्यादातर कर्मी उन्हे इसी नाम से पुकारते हैं. उनकी पुरानी आदत बरकार है कि ऑफिस तो आना ही होगा.
28 मीडियाकर्मी के कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अपने कर्मियों को फोन पर उपलब्ध हुए. लेकिन वहां भी यही कहते रहे कि ‘मैं कभी-कभी सख्त हो जाता हूं. इसका बुरा मत मानों’. लेकिन व्यवस्था जस की तस चालू है.. जबकि ये लोग उसी बिल्डिंग में रहते हैं. कोई रियायत और राहत नहीं है. हालांकि ये भी सच है और जो लोग कहते हैं कि खुद कोरोना काल के बाद से ही ‘किम जोंग’ कम ही ऑफिस में रहते हैं. आते भी है तो बस दर्शन मात्र. यानी ‘किम जोंग’ को काल में सब भगवान भरोसे है.. और जुल्मो-सितम जारी है. पता नहीं क्या करवा के मानेंगे!
इसे भी पढ़ सकते हैं-