यशवंत सिंह-
‘मोदी मुक्त भारत!’
भाइयों, नया नारा इजाद हो गया है. इसका किसी पोलिटिकल पार्टी ने नहीं बल्कि एक जंता ने आविष्कार किया है. बस चिंता ये है कि ये नारा कहीं जुमला न साबित हो जाए. इसलिए इस नारे को पंख दें. इस नारे को फेमस करें. इसी शीर्षक से निर्मल शर्मा का एक आर्टकिल मुझे भड़ास के मेल पर मिला. उसमें ये नारा आर्टकिल के शीर्षक के रूप में था. पूरा पढ़ गया. भड़ास पर उसे पब्लिश किया. फिर कुछ विचार उठने लगे. सो सोचा अपन भी कुछ लिख दें. क्या वाकई मोदी मुक्त भारत का दौर शुरू हो चुका है?
मोदी ने कई चीजें अच्छी की हैं. लेकिन बुरा बहुत ज्यादा किया है. खासकर लोकतंत्र का. इस शख्स ने लोकतंत्र के सारे हाथ पांव नसें काट कूटकर इसे एक जीवंत संस्थान से निर्जीव शब्द में तब्दील कर दिया है. मैं दंग हूं कि अब तक टेनी कैसे गृह राज्य मंत्री बना हुआ है. सारे वीडियो बयान इशारा करते हैं कि किसानों को कुचले जाने का मास्टरमाइंड यही शख्स है. साजिशकर्ता यही है. इसे तो बर्खास्त कर अब तक जेल भेज देना चाहिए था.
पर टेनी को आईपीएस लोग सलामी दे रहे हैं. वह गर्व से मदमस्त हो राज कर रहा है. कोई कोई एक घटना जेहन में अटक जाती है. टेनी कांड भी उसी में से एक है. लोग इसे भुला चुके होंगे पर मुझे जब तक टेनी जी की याद आ जाती है और फिर मोदी जी की याद आने लगती है. मुझे ऐसा लगता है कि मोदी जी ने जिस किस्म के ‘प्रयोग’ गुजरात की लैब में किए थे, वैसे प्रयोग करने की कूव्वत रखने वालों को वो खास प्रेम करते हैं, विशेष संरक्षण देते हैं.. त्रिपुरा के सीएम को देख लीजिए. कोई नहीं है जो उसे राजधर्म की याद दिलाए.
संघी सब खुश है. देश का एक एक कोना धीरे धीरे लैब का हिस्सा बनता जाए रहा है. ओजहीन और भ्रष्ट विपक्ष कुछ न उखाड़ पाएगा. जंता सदियों से बहुत धैर्य वाली रही है. उसे तब तक कोई मतलब नहीं होता जब तक उसकी खुद की डांग में डंडा न जाए. फिर जब वह चिल्लाता है तो उसकी चिल्लाहट में कोई दूसरा शामिल नहीं होता. वह अकेले ही चिल्लाता चिल्लाता शांत हो जाता है. यह क्रम चलता रहता है. यह क्रम चल रहा है. एक के बाद एक राज्य संघी प्रयोग की जद में आते जा रहे हैं. इसके लिए क्रूर से क्रूरतम शासकों को आगे किया जा रहा है, बढ़ावा दिया जा रहा है.
खैर, लिखना कुछ था, लिख कुछ और रहा हूं. कभी कभी राजनीतिक भड़ास भी निकाल देनी चाहिए. वेरायटी जरूरी है. संगीत, ,भोजन, शेयर मार्केट आदि के साथ साथ सियासत पर भी बात कर लेनी चाहिए.
आज सुबह जगा तो एक आर्टकिल भड़ास की मेल पर पड़ा देखा. निर्मल शर्मा जी ने क्या खूब लिखा है. ‘मोदी मुक्त भारत’ शीर्षक वाले उनके लेख में एक लाइन से मोदी योगी सरकारों की कमियों का जिक्र है… निर्मल जी बहुत निर्मल हृदय वाले लगते हैं… वे उप चुनावों के नतीजों को मोदी मुक्त भारत का शंखनाद मानते हैं. पर मेरा मानना है कि भारतीय जनता इतनी समझदार नहीं है. वह ‘लात खाएंगे चार पर तमाशा घुसकर देखेंगे’ वाले अंदाज में मोदी योगी को फिर ला रही है. उप चुनावों के नतीजे तो हमारे आप जैसे लोगों को खुश रखने के लिए, लोकतंत्र में भरोसा करने के लिए छोड़ दिया जाता है… फिर भी… आप निर्मल जी द्वारा निर्मल मन से लिखे आर्टकिल को पढ़ें…
ये है आर्टकिल- मोदीमुक्त भारत के शंखनाद की शुरुआत!