मोदी की ‘गारंटी का प्रचार’ और राजनीति का कमाल – बिहार के विधायक पटना से हैदराबाद गये, झारखंड के रांची आये
संजय कुमार सिंह
आज मेरे सातों अखबारों की लीड अलग है। मोटे तौर पर इसका मतलब है कि सरकार की तारीफ में एक भी खबर नहीं है वरना दो-तीन अखबारों में लीड वही होती। मजबूरी में टाइम्स ऑफ इंडिया में पहले पन्ने पर छपी खबर के अनुसार दिल्ली के लाट साब ने शहर के अस्पतालों की खराब हालत की निन्दा की है। जवाब में मुख्यमंत्री ने बाबुओं को जिम्मेदार बताया है लेकिन मुझे लगता है कि ऐसे राज्यपाल हर राज्य में होते तो बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में स्वास्थ्य सेवा कुछ बेहतर हो सकती थी। दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा को खराब वही कहेगा जिसने दूसरे राज्यों में स्वास्थ्य सेवा की हालत नहीं देखी है। हालांकि, दिल्ली का मामला अलग है। उन्हें मुख्यमंत्री से लड़ने के लिए ही रखा गया है और मुख्यमंत्री लड़ते भी रहते हैं। पर वह अलग मुद्दा है। आज जो खबरे हैं उनमें जांच के नाम पर धमकाने, वसूली से बचाने की अपील, एयर इंडिया में 2011 के घोटाले पर अब चार्जशीट, पेटीएम पर सन्नाटा लेकिन ‘चलता रहेगा’ जैसे आश्वासन से पूंजी बाजार में उसका भाव भले बना रहे पर प्रधानमंत्री से संबंध मुद्दा ही नहीं है
ऐसा नहीं है कि सरकार कुछ नहीं कर रहे हैं। पढ़ाई हो या नहीं, जैसा, अमर उजाला की एक खबर का शीर्षक है, नकल माफिया की नकेल कसेगी। यह महान कर्तव्य तब निभाया जा रहा है जब दिल्ली दंगों की साजिश रचने के आरोप में सितंबर 2020 में गिरफ्तार उमर खालिद बिना ट्रायल तीन साल से ज्यादा से जेल में है। 36 साल के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के इस पूर्व छात्र नेता की जमानत याचिका पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लगातार नौ बार स्थगित हुई है। लेकिन अमर उजाला में पहले पन्ने पर खबर यह है कि एयर इंडिया में 2011 के घोटाले पर चार्जशीट दायर हुई है। पेटीएम चलता रहेगा खबर है लेकिन यह नहीं बताया जा रहा है कि वह इतने समय तक बैंकिंग के काम कैसे करता रहा और अब जब उसके घोटालों के मामले सार्वजनिक हैं तो प्रधानमंत्री से उसके संबंधों पर कोई स्पष्टीकरण नहीं है। दूसरी ओर तलाशी, समन और की ईडी के जरिये नेताओं को ही परेशान नहीं किया जा रहा है बल्कि अनिल अंबानी से लेकर नीरा राडिया, गौतम सिंघानियां और बकुल नाथ की विदेशी कंपनियों तक इसकी आंच पहुंच चुकी है।
‘मोदी की गारंटी’ का विज्ञापन
आज की एक दिलचस्प खबर यह भी है भाजपा के ऑपरेशन लोटस या विधायक खरीद से डरी कांग्रेस ने बिहार के अपने विधायकों को पटना से हैदराबाद भेजा तो झारखंड में फ्लोर टेस्ट के लिए विधायक रांची पहुंचे। इन सबके बीच मोदी की गारंटी का विज्ञापन अखबारों में छाया हुआ है। राहुल गांधी की न्याय यात्रा द टेलीग्राफ और हिन्दुस्तान टाइम्स में ही पहले पन्ने पर है। धनबाद में राहुल गांधी ने आदिवासियों से जल, जंगल, जमीन के मुद्दे पर बात की शीर्षक से खबर तो हिन्दुस्तान टाइम्स में ही है। द टेलीग्राफ भी खबर सरकारी प्रचार से बचाव है। कांग्रेस ने कहा : इंडिया (गठबंधन), राहुल गांधी सही रास्ते पर हैं। इस खबर का फ्लैग शीर्षक है, बंगाल और बिहार में झटकों का असर नहीं होगा। बिहार का झटका तो नीतिश कुमार के जरिये भाजपा की सरकार ने लगाया है जबकि बंगाल में मायावती ने जो कहा है उसे प्रचारित करके दूसरा झटका मीडिया ने दिया है।
आज ही खबर है (इंडियन एक्सप्रेस), 26 जनवरी की परेड में राष्ट्रपति की बग्गी 40 साल बाद काम पर लौटी। राष्ट्रपति महंगी विदेशी गाड़ी की बजाय घोड़ों से खींची जाने बग्गी से पहुंची थी जबकि सुरक्षा कारणों से इनका उपयोग छोड़ दिया गया था। काश! लाल कृष्ण आडवाणी ने अपनी यात्रा ऐसे ही रथ से की होती। बाकी प्रधानमंत्री ने कहा है, और अमर उजाला ने लीड बनाया है, “पिछली सरकारों ने संस्कृति पर शर्मिन्दा होने का दस्तूर बना दिया था”। उपशीर्षक है, “पीएम का कांग्रेस सरकारों पर निशाना, अतीत को मिटाकर विकसित नही हो सकता है देश।”
विपक्षी नेता ही नहीं, उद्यमी ठेकेदार सब परेशान
इंडियन एक्सप्रेस ने आज पहले पन्ने की अपनी एक्सक्लूसिव खबर से बताया है कि तलाशी, समन की ईडी की परेशान करने वाली जांच अब भारतीय स्वामियों की विदेशी फर्मों तक पहुंच गई है। इसका मतलब यह हुआ ईडी के जरिये परेशान सिर्फ विपक्षी नेताओं को ही नहीं किया जा रहा है भारतीय पूंजीपति भी शामिल है। इनमें अनिल अंबानी से लेकरनीरा राडिया, गौतम सिंघानियां और बकुल नाथ सब शामिल हैं। इसी अखबार में इसी पन्ने पर छपी एक अन्य खबर के अनुसार, महाराष्ट्र के पंजीकृत ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है। ठेकेदारों ने राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में धमकाने, वसूली के लिए फोन और गुंडागर्दी से बचाने के लिए कानून बनाने की मांग की है और कार्रवाई नहीं होने पर इस महीने के अंत में काम करना बंद करने की चेतावनी दी है। ये सरकारी काम करने के लिए पंजीकृत ठेकेदारों के दो संगठनों का हाल है।
एएसआई की रिपोर्ट और मंदिर
आप जानते हैं कि एएसआई की रिपोर्ट के बाद अदालती आदेश से बनारस के ज्ञानव्यापी मस्जिद को मंदिर घोषित किया जा चुका है और मामला अदालत में है। दूसरी ओर इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक खबर के अनुसार दिल्ली विकास प्राधिकरण ने मेहरौली में एक मस्जिद को ध्वस्त कर दिया जो एएसआई की रिकार्ड में एक सदी पुरानी थी। खबर के अनुसार इस मस्जिद के निर्माण की तारीख अज्ञात दर्ज है पर एएसआई के अधिकारी ने इसे 1922 के एक प्रकाशन में सूचीबद्ध किया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए से पूछा है कि किस आधार पर इसे ध्वस्त किया गया और क्या कोई पूर्व सूचना दी गई थी। डीडीए को इसपर हफ्ते भर में जवाब देना है और इसके लिए 12 फरवरी की तारीख निर्धारित है। उधर, बनारस मस्जिद प्रबंध समिति के सचिव मौलाना अब्दुल बातिम नोमानी ने कहा है कि जिला अदालत ने जब हिन्दुओं को मस्जिद में पूजा करने की इजाजत दी तो ज्ञानव्यापी मस्जिद के तहखाने में कोई मूर्ति नहीं थी। उन्हें वहां प्लांट किया गया था। हिन्दुओं का कहना है कि तहखाने में चार मूर्तियां पहले से थीं। ऐसे मामलो में मूर्ति होने का महत्व यह है कि बाबरी मस्जिद में भी मूर्तियां प्लांट की गई थीं और अब तो यह सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया जा चुका है।
विधायक खरीदने का आतंक
आज की खबरों में एक खबर यह भी है कि किसी भी कीमत पर किसी भी पार्टी के विधायक को खरीदने के लिए अक्सर तैयार रहने वाली पार्टी के डर से बिहार के 16 विधायकों को हैराबाद ले जाया गया है। इसी डर से हैदराबाद ले जाये गये झारखंड के विधायकों को आज विधान सभा में शक्ति परीक्षण के लिए वापस लाया गया गया है। झारखंड के मुख्यमंत्री को ईडी के जरिये गिरफ्तार करवाकर सरकार गिराने की कोशिशों और सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिलने पर आज झारखंड विधानसभा में फ्लोर टेस्ट है तो बिहार का अभी लंबित है। आप जानते हैं कि आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तो गिरफ्तार किया जा चुका है क्योंकि ईडी अधिकारियों के पास व्यापक अधिकार हैं लेकिन अरविन्द केजरीवाल के मामले में ईडी ने अदालत में शिकायत दर्ज कराई है कि वे समन के बावजूद पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हो रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी के विधायकों को खरीद कर दिल्ली सरकार गिराने के उनके आरोपों की जांच में शामिल होने के लिए भी उन्हें नोटिस दिया है। इस मामले में केजरीवाल सरकार में वित्त मंत्री आतिशी को भी दिल्ली पुलिस ने नोटस दिया है। इसपर आतिशी का कहना है कि नोटिस में ना एफआईआर का जिक्र है और ना इस मामले में किसी दंडात्मक प्रावधान का कोई उल्लेख है।
केजरीवाल को पेशकश
आज ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का आरोप द हिन्दू में पहले पन्ने पर है। इसके अनुसार, भाजपा में शामिल होने पर उनके खिलाफ मामले खत्म करने की पेशकश की जा चुकी है। हालांकि, भाजपा ने इसे झूठ का पुलिन्दा कहा है। पहले पन्ने की आज की दुर्लभ खबरों मे एक खबर असम परियोजनाएं शुरू करने की हैं। आचार संहिता लागू होने से पहले यह सब कर लेना चाहिये। उन्होंने 11,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की नींव रखी है। बिहार की जनता को एक लाख 25 हजार करोड़ का पैकेज और उससे जुड़ी नौटंकी मुझे याद है। नवोदय टाइम्स ने इसे पांच कॉलम में छापा है, वे साजिश कर सकते हैं, मैं झुकने वाला नहीं। पहले पन्ने की आज की दुर्लभ खबरों मे एक खबर असम परियोजनाएं शुरू करने की हैं। आचार संहिता लागू होने से पहले यह सब कर लेने का रिवाज है और इसमें कोई पीछे नहीं है। उन्होंने 11,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की नींव रखी है।
एक और आदिवासी मुख्यमंत्री
जहां तक आदिवासी मुख्यमंत्री को परेशान करने की बात है, झारखंड के पांचवें और 2006 से 2008 तक यूपीए गठबंधन के तहत मुख्यमंत्री रहे, मधु कोड़ा के खिलाफ 3000 करोड़ रुपये का मनी लांडरिंग का मामला है, उनके चुनाव लड़ने पर रोक हैं जबकि हाईकोर्ट ने उनके ट्रायल पर रोक लगा रखी है। अदालत ने ईडी से पूछा है कि मधु कोड़ा के पास ये पैसे किन स्रोतों से आये और उन्होंने कहां-हां संपत्ति अर्जित की। उसे स्पष्ट किया जाये। मधु कोड़ा जेल भी हो आये हैं पर मामला अभी चल ही रहा है। उधर हेमंत को 2009 के मामले में अब गिरफ्तार किया गया है। हाल में एक प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा था, “मैंने 2011 से लंबित अपनी आयकर अपीलों के शीघ्र निपटान के लिए माननीय झारखंड हाईकोर्ट के समक्ष 9 रिट याचिकाएं दायर की हैं। गौरतलब है कि मेरे खिलाफ लंबित सभी आपराधिक मामले उक्त आयकर कार्यवाही से पैदा हुए हैं। आपराधिक मामलों में अधिकांश गवाह और जिन दस्तावेजों पर भरोसा किया गया है वे सब लंबित आयकर अपील का विषय हैं।”
डूब चुके एयर इंडिया में प्रक्रिया का पालन
आज ही, अमर उजाला में प्रकाशित एक और खबर के अनुसार, सीबीआई ने वर्ष 2011 में 225 करोड़ रुपये के सॉफ्टवेयर की खरीद में अनियमितता के मामले में एयर इंडिया के उस समय के सीएमडी समेत नौ लोगों के खिलाफ आरोपपत्र अब दायर किया है। सीवीसी की जांच में पहली नजर में पाया गया है कि सॉफ्टवेयर की खरीद में प्रक्रियागत अनियमितताएं हैं। खबर के अनुसार आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप पत्र दायर किया है। सीवीसी ने सीबीआई को लिखे पत्र में कहा कि एयर इंडिया के मुख्य सतर्कता अधिकारी की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कंपनी ने उचित निविदा प्रक्रिया का पालन किए बिना एसएपी एजी से एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) सॉफ्टवेयर प्रणाली खरीदी थी। जहां तक एयर इंडिया में भ्रष्टाचार की बात है, पीवी नरसिंह राव की सरकार ने निजी क्षेत्र के दिग्गज रूसी मोदी को एयर इंडिया का प्रमुख बनाया था पर वे सरकारी क्षेत्र में काम नहीं कर पाये और छोड़ दिया था। सांसदों से उनकी भिड़ंत काम करने की स्वतंत्रता के मुद्दे पर ही हुई थी।
जाहिर है, मामला प्रक्रिया के पालन का है और इसी कारण भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की गई है। पर मामला सॉफ्टवेयर की खरीद का है और यह कितना महत्वपूर्ण और जरूरी रहा होगा यह अभी भी समझा जा सकता है। ऐसे में अब प्रक्रिया के पालन की याद आना और एयर इंडिया का लगभग डूब जाना असंबद्ध तो नहीं हो सकता है और कार्रवाई डूबने-डुबाने के लिए नहीं हो रही है। हालांकि, आरोप यह भी है कि इस संबंध में नागरिक उड्डयन मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिली थी जबकि एयर इंडिया ने दावा किया था कि उसने 9 जुलाई 2009 को और साल 2010 में मंत्रियों के एक समूह के समक्ष प्रस्तुति दी थी। जाहिर है, इतने समय बाद इस मामले में कार्रवाई से ज्यादा जरूरी है कि पेटीएम के मामले में स्पष्टीकरण दिया जाए कि नोटबंदी की अगली सुबह के अखबारों में प्रधानमंत्री को बधाई देने वाले पेटीएम से संबंद्ध गड़बड़ी इतने समय तक कैसे चलती रही?
पेटीएम की खबर में पीएम क्यों नहीं?
अमर उजाला में आज ही प्रकाशित एक खबर के अनुसार, बिना केवाईसी करोड़ों के लेन-देन और मनी लांड्रिंग का मामला सामने आने पर “ईडी कर सकता है जांच”। सवाल है कि इस सरकार की नाक की नीचे यह सब हुआ कैसे और प्रधानमंत्री से करीबी नजर आने के कारण उसे छूट तो नहीं मिली? यही नहीं, पेटीएम पर आरोप है कि एक पैन कार्ड पर 1000 से अधिक खाते चल रहे थे। पर अभी भी मालिक की गिरफ्तारी, जांच के आदेश जैसा कुछ तो छोड़िये, खबर है कि पेटीएम चलेगा, बैंक नहीं? क्या पेटीएम को इतनी सारी अनियमितताएं इतने समय तक करने के आरोप में तुरंत रोककर जांच शुरू नहीं हो जानी चाहिये थी और ऐसा नहीं हो रहा है तो क्या कारण प्रधानमंत्री से करीबी नहीं है। और नहीं है तो क्या प्रधानमंत्री को खुद संज्ञान नहीं लेना चाहिये? आपने कोई खबर सुनी, किसी ने ऐसी जरूरत बताई। मुझे लगता है कि मनीष सिसोदिया अगर अपनी सरकारी की नीति बनाने के लिए जेल में हैं तो इस मामले में प्रधानमंत्री की संलिप्ता नहीं है यह स्पष्ट होना ही चाहिये।
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