Abhishek Prakash-
रावण को इकठ्ठा किया जा रहा है। ऑटो से बुलेट से लेकर स्कूटी तक पर रावण के हाथ -पैर- धड़- सिर नए नवेले युवकों द्वारा ढोये जा रहे हैं।रावण को समूचा पाना या बनाना कठिन है। इसलिए रावण को असेम्बल किया जा रहा है।
समाज मे हर ओर बुराई को ऐसे ही इकट्ठा या ग्रहण किया जाता है। टाइम लगता है लेकिन बुराई इकठ्ठी हो ही जाती है। फिर भीड़ इकठ्ठी होती है और फिर पैदा होता है या पैदा कराया जाता है एक नायक को।
रावण का हमेशा से अपना एक आकर्षण रहा है। शक्तिशाली लोग ऐसे ही दिखते है एक मजबूत आभा और कभी कभी वृहद ज्ञान गुरु के रूप में।
रावण गुणवान ज्ञानवान थे और उनके पास अपने निर्णयों के लिए तमाम तर्क थे।आज उस रावण के दहन करने के भी अपने तर्क है।
सबसे मजेदार है यह कलियुग जब कोई भी रावण दहन कर दे रहा है, कोई योग्यता की दरकार ही नहीं। बुराई का खात्मा ऐसे ही होता है।
लेकिन वर्तमान में जब दुनिया मे तमाम संस्थाएं रावण पर नियंत्रण के लिए बनाई जा रही है उसी में से कुछ संस्थाएं रावण की मुख्य प्रश्रयदाता है। वह छोटे रावण को बड़े रावण से दहन कराते हैं। कहीं कहीं तो पूरी लंका ही तैयार की जाती है कि वहां रावण का राज हो और फिर उस तंत्र में उनका व्यापार फले फूले। रावण के अट्टहास के पीछे कुछ बहुत ही स्वघोषित नायकों की कुटिल मुस्कान है।
रावण अब पपेट है, जिसको चलाने वाला कोई और है। रावण को मंच पर मरना है वह मर जाएगा । लेकिन दुनिया और तमाम संस्थाएं उस रावण को फिर इकठ्ठा करेंगी और तमाम घोषणाओं में उसके पहले रावण को दहन करने पर विचार होगा और इस बीच रावण धीरे धीरे तैयार होगा।
रावण की शक्ल में हर पुतला उस चरित्र के साथ न्याय करता नजर आता है लेकिन राम के चरित्र में खड़े इंसान में मिलावट है, रावण शुद्ध रावण है लेकिन आज का राम हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जैसा नहीं!
लेखक यूपी में पुलिस अधिकारी हैं.
साभार-फेसबुक
Shahnawaz Alam
October 25, 2023 at 1:04 pm
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