दीपांकर पटेल-
टीवी चैनलों ने एंकरों को स्टार तो बना ही दिया है,
इन स्टार्स की अपनी ब्रांड वैल्यू भी है..
सोचिए रवीश कुमार किसी शैम्पू का प्रचार करने लगें!! क्या उसकी बिक्री बढ़ेगी नहीं? और अगर बिक्री बढ़ेगी तो बेचने में क्या हर्ज है? और बेचने में हर्ज नहीं है, इसके लिए तर्क बताना, रोज दस हजार शब्द ऑन एयर बोलने वालों के लिए मुश्किल थोड़ी है??
न्यूज चैनल पर जिस कॉरपोरेट का ऐडवर्टाइजमेंट चलता है उसकी ख़बर तो मैनेज होती ही है ना?
तो स्टार पत्रकार भी जिस प्रोडक्ट का ब्रांड अम्बेसडर बनेगा उसकी ख़बर मैनेज कर लेगा और क्या? सिंपल..
बदले में पक्ष में तर्क दे देगा कि वो सत्ता की दलाली नहीं खाता… “सैलरी कम है मैनेज करना पड़ता है.. सरोकारी पत्रकारिता करने के लिए शैम्पू बेचना गुनाह तो नहीं… “
अब देखिए ना, आजतक की एंकर/जर्नलिस्ट प्रियंका ही एक हर्बल प्रोडक्ट इंस्टाग्राम पर प्रमोट कर रही हैं… जहां उनके 91 हजार से ज्यादा फालोवर्स हैं. अब आप इतना तो सोच ही सकते हैं कि ये काम वो फ्री में नहीं कर रही होंगी?
तो कल को रजत शर्मा किसी हेयर ट्रांसप्लांट वाले का और श्वेता सिंह किसी स्किन डर्मल फिलर वाले का प्रमोशन करती नज़र आयें तो चौंकिएगा नहीं… !!