सौमित्र रॉय-
सितंबर 2020 की बात है। इलेक्ट्रिक ट्रक बनाने वाली निकोला कॉर्प ने अमेरिका की जनरल मोटर्स के साथ 2 बिलियन डॉलर का करार किया ही था।
इस करार ने निकोला के शेयर्स में आग लगा दी। कंपनी का मार्केट कैप 40% बढ़ गया।
लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि एक ऐसा खुलासा होगा कि सब–कुछ तबाह हो जायेगा। और हुआ यही।
हिंडेनबर्ग की एक लंबी रिपोर्ट आई, जिसने निकोला के फर्जीवाड़े को उजागर कर उस झूठ को उजागर किया, जिसे छिपाकर कंपनी शेयर घोटाला कर रही थी।
फिर जो हुआ, वह कॉरपोरेट फर्जीवाड़े का काला इतिहास दोबारा लिख गया। निकोला के शेयर्स 10% गिर गए।
निकोला ने तमाम दावों को झूठा बताया, बिल्कुल अपने अदाणी सेठ की तरह।
लेकिन इस एक रिपोर्ट के कारण कभी 60 डॉलर से ऊपर चल रहे निकोला के शेयर ढाई डॉलर से कुछ ज्यादा पर आ चुके हैं। (ग्राफ देखें)

नाथन एंडरसन की इन्वेस्टमेंट रिसर्च फर्म हिन्डेनबर्ग ने अदाणी सेठ के कथित फर्जीवाड़े पर छोटी सी रिपोर्ट बनाई और अदाणी की 7 कंपनियां निकोला की राह पर आ चुकी हैं।
निशाना गौतम अदाणी के दुबई निवासी भाई विनोद अदाणी पर है (इनके कारनामों पर पहले भी उंगली उठी है), जो अदाणी का विदेशी कारोबार संभालते हैं और साथ ही मॉरीशस में कई जाली कंपनियां भी। (डायग्राम और लिस्ट देखिए)



हिन्डेनबर्ग ने रिपोर्ट में अदाणी सेठ से 88 सवाल पूछे हैं, जिनका जवाब नहीं मिला है। अलबत्ता मुकदमे की धमकी जरूर मिली है। एंडरसन भी यही चाहते होंगे, ताकि पोल पूरी खुले और मोदी सरकार भी कटघरे में आए।
दोनों जरूर आयेंगे। लेकिन भारत तबाह हो जायेगा। कैसे? एक ही मिसाल दूंगा।
- अकेले एलआईसी ने अदाणी की कंपनियों में 70 हजार करोड़ लगाए हैं। सेठ डूबा तो एलआईसी भी तबाह।
- अदाणी सेठ जिस एफपीओ को लेकर आए हैं, उसमें अभी तक पैसा लगाने वाली 13 कंपनियों में एलआईसी भी शामिल है।
अदाणी सेठ के कर्ज़ का घड़ा भर चुका है। वह नियमानुसार और कर्ज़ नहीं ले सकते।
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अपनी अंधी कमाई के लिए मोदी के बजाय अपनी मेहनत को क्रेडिट दे चुके अदाणी सेठ डूबेंगे तो भी मोदी को लेकर।
बस, इस देश का बैंकिंग सिस्टम तबाह हो जायेगा और मोदी सरकार की डिजिटल इकोनॉमी भी।
साथ में शेयर बाजार का बुलबुला भी फूटेगा। देश के पहले शेयर घोटाले के नायक हर्षद मेहता ने कहा था, वक्त–वक्त की बात है। एक वक्त मेरे जैसा कोई और आएगा।
एंडरसन का रिकॉर्ड कहता है कि वे कॉर्पोरेट्स की पोल खोलने वाले दूसरे जूलियन असांज हैं। निकोला का भंडाफोड़ करने के लिए उन्होंने ऐसे दस्तावेज़ जुटाए थे, जो जासूसी एजेंसियों के पास भी नहीं मिलते।
दुनिया के तीसरे नंबर के अमीर अदाणी सेठ पर हमला उन्होंने बिना तैयारी के किया नहीं होगा। पर्दाफाश की टाइमिंग भी ऐसी चुनी है कि सत्ता और कॉरपोरेट दोनों कटघरे में है।
ये लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है। गणतंत्र को मजबूत करने की जद्दोजहद है। कॉरपोरेट तंत्र से किसी का भला नहीं होगा।
मुझ जैसे अदने से व्यक्ति को “तीसरी ताकत” से हमेशा उम्मीद रहती है।
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