गिरीश मालवीय-
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को आए अभी 40 दिन भी पूरे नही हुए हैं और गौतम अडानी तीसरे से सीधे चालीसवे नंबर पर पहुंच गये हैं। इतने दिन हो गये लेकिन अडानी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के खिलाफ़ कहीं मुकदमा लिखाया हो, ऐसी कोई ख़बर नहीं है। जाहिर है कि मुकदमे में अदानी को अपनी बात साबित करने को सुबूत देने होंगे और जैसे ही वो सुबूत पेश करेगा, खुद अपने जाल में फंस जाएगा।
एक ही महीने में साफ़ दिख गया है कि इस मामले मे हिंडनबर्ग सही था। उसने अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर की 85 प्रतिशत ओवर वैल्यू होने की बात की थी वो बिलकुल सही निकली।
भारत का शेयर बाजार इस रिपोर्ट के बाद झटके पे झटका खा रहा है। बीते सात कारोबारी दिन में सेंसेक्स 2,031 अंक यानी 3.4 फीसदी गिर चुका है जबकि निफ्टी में 643 अंक यानी 4.1 फीसदी की गिरावट आई है।
Adani Group के शेयरों में रोज गिरावट देखी जा रही है। पिछले एक महीने में अडानी ग्रुप का मार्केट कैप रेकॉर्ड स्तर तक गिर चुका है। 27 फरवरी 2023 को अडानी ग्रुप का मार्केट कैप 19.2 लाख करोड़ रुपये से लुढ़कर 6.8 लाख करोड़ रुपये तक गिर गया है। यानी एक तिहाई ही मार्केट कैप बचा हुआ है।
लेकिन असली संकट तो एलआईसी और सरकारी बैंकों पर नज़र आ रहा है। अदानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद एलआईसी के शेयर 17 फीसदी तक टूट गए हैं और महीनेभर में भारतीय जीवन बीमा निगम का बाजार पूंजीकरण 75 हजार करोड़ से ज्यादा गिर गया है। अडानी समूह की 5 कंपनियों में LIC का बड़ा निवेश है। अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी टोटल गैस, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी ट्रांसमिशन और अडानी पोर्ट्स में LIC ने निवेश किया है। 23 जनवरी को इस निवेश का टोटल वैल्यू 72,193.87 करोड़ रुपये था, जो अब घटकर 25 हज़ार करोड़ रुपये के भी नीचे पर पहुंच गया है।
अदानी को भारतीय स्टेट बैंक ने 27,000 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 5,500 करोड़ रुपये और पंजाब नेशनल बैंक ने 7,000 करोड़ रुपये का लोन दिया है और हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद से कई सरकारी बैंकों के शेयर टूट गए हैं।
23 जनवरी को एसबीआई के शेयर 604.60 रुपये था, 28 फरवरी को गिरकर 524 रुपये पर बंद हुआ है।इसका शेयर प्राइस 12.66% गिर गया है. बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 18 फीसदी टूट गया है। इंडियन ओवरसीज बैंक का शेयर 17 फीसदी टूट गया है। पंजाब एंड सिंध बैंक का शेयर 15.6% टूटा, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 16.47% टूटा है यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 16% टूटा गया है।
लेकिन इतना होने पर भी मोदी सरकार अडानी के साथ खड़ी हुई है। उसने उसकी गलत प्रैक्टिस के खिलाफ़ किसी भी प्रकार की जांच करवाने का आश्वासन तक नहीं दिया है। स्पष्ट है कि मोदी आज भी अडानी के साथ खड़े हुए हैं।
सौमित्र रॉय-
ये अदाणी सेठ का लगाया हुआ पेड़ है। बैंकों, वित्तीय संस्थानों और खुद मोदी सरकार ने इसे सींचा और जड़ों को मजबूत किया।
यह पेड़ अब सूख रहा है। बोया तो बबूल ही था। लोगों ने बरगद समझ लिया था। कांटे तो झेलने ही होंगे।
साथ में सूख रहा है भारत का शेयर बाजार, जो अब 258 लाख करोड़ का रह गया है। पिछली जुलाई की तुलना में सबसे कम।
मुझे याद नहीं आता कि किसी ने पिछले दो महीने में बेरोज़गारी, भुखमरी की बात की हो।
बेंगलुरु में किडनी बेचने के पोस्टर पेड़ पर चिपके दिख रहे हैं। कल को कर्नाटक में चुनाव है। लोकतंत्र को कोई फिक्र नहीं।
पूर्वोत्तर की 3 बहनों का एग्जिट पोल बताता है कि लोगों ने जोड़ी बीजेपी के साथ ही जमाने की ठान ली है।
इस देश में विपक्ष है, इसका पता ईडी, सीबीआई और आईटी के छापों, गिरफ्तारियों से लगता है।
कुल 120 विपक्षी नेताओं की फेहरिस्त फाइलों में कैद है। इशारा मिलते ही गर्दन दबोची जाएगी।
बस, बीजेपी में आने पर कुछ भी करने की पूरी छूट है।
शायद, इसीलिए बीजेपी पसंदीदा है।
देश तबाह है।