यशवंत सिंह-
अजय शंकर तिवारी के साथ मैं काम कर चुका हूं. तब अमर उजाला का बनारस संस्करण लांच हुआ था. अजय खेल पेज देखते थे.
बेहद विनम्र और अनुशासित अजय शंकर तिवारी अपने स्वभाव से सबके प्रिय हुआ करते थे. वक्त बीता. उन्हें प्रमोशन मिलता गया. बाद में अमर उजाला गोरखपुर में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में कार्यरत रहे.
कोरोना महामारी के दौरान बहुत सारे पत्रकारों को असमय जाना पड़ा. अजय शंकर तिवारी भी उन्हीं में से एक रहे. इनका इक्कीस साल का एक बेटा है और तेरह साल की बिटिया.
पत्नी प्रिया तिवारी अब भी गोरखपुर में ही रह रही हैं, किराये के मकान में. वे अब अपनो होम टाउन बनारस शिफ्ट करना चाहती हैं. पर अजय शंकर तिवारी से लिखित अनुबंध कर एक ग्रामीण पत्रकार ने जो पैसा लिया हुआ है, वह लौटा नहीं रहा. प्रिया तिवारी चाहती हैं कि उन्हें कोई ब्याज नहीं चाहिए, बस वो मूल धन लौटा दे.
पर अजय शंकर तिवारी को अपना आदर्श मानने वाला शख्स अजय के प्राण त्यागते ही स्वार्थ में अंधा हो गया और ब्याज देना तो छोड़िए, पूरा का पूरा पैसा हड़प गया. यही नहीं, वो प्रिया तिवारी के चरित्र हनन में भी जुट गया है ताकि वो परेशान होकर खुद ही शहर छोड़कर चली जाएं और पैसा भी न मांगें.
ऐसे मुश्किल वक्त में हम सभी पत्रकारों का कर्तव्य है कि अजय शंकर तिवारी के परिजनों को उनका ब्याज पर दिया हुआ मूल पैसा लौटाए जाने के लिए प्रयास करें. गोरखपुर प्रेस क्लब से लेकर सूचना निदेशक तक को इस बाबत सूचित किया जाना चाहिए.
प्रिया तिवारी ने मुख्यमंत्री के शिकायत पोर्टल पर अपनी लिखित शिकायत डाल दी है. पर बस इससे ही काम नहीं होगा. पैसे हड़पने वाला शख्स परमानंद मौर्य को जब तक सलाखों के पीछे नहीं किया जाता, वह पैसे नहीं देने वाला.
नीचे प्रिया तिवारी की शिकायत और अजय-परमानंद के बीच हुए अनुबंध की कॉपी प्रकाशित कर रहे हैं ताकि इसका संज्ञान लेकर मीडिया संगठन व प्रेस क्लब के लोग प्रिया को न्याय दिलाने के लिए पहल कर सकें.
लेखक यशवंत भड़ास के संस्थापक संपादक हैं. संपर्क- [email protected]