विष्णु नागर-
साहित्य अकादेमी एक मनोरंजक जगह होती जा रही है।अगले मंगलवार,18 जुलाई को वह एक दिन का ‘अखिल भारतीय दिव्यांग लेखक सम्मिलन (यह उनका शब्द है) ‘ आयोजित कर रही है।इसका उद्घाटन संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल करेंगे।
अब मित्रो, अकादेमी ने लेखकों की एक अलग प्रजाति खड़ी की है।अब लेखक अपने विकलांग होने या न होने से पहचाने जाएंगे।आज अगर राजेन्द्र यादव होते तो उन्हें यह नई ‘ पहचान ‘ दी जाती।बच गए वे।पहले ही वह इस दुनिया से कूच कर गए मगर मुझे पूरा विश्वास है कि इस सम्मिलन में उन्हें विकलांग लेखक के रूप में अवश्य याद किया जाएगा और यादव जी के अब बस में नहीं है कि इसका विरोध कर सकें! संभव है मंत्री जी उन्हें इस रूप में याद करना पसंद करें।वह भूल जाएंगे या अगर उन्हें पता नहीं होगा कि ऐसा भी कोई लेखक हुआ करता था तो अकादेमी के अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष महोदया यह काम कर देंगी।संभव यह भी है कि अपने स्वागत भाषण में ही सचिव महोदय ऐसा करके दिखा दें। बाकी सब हाथ मलते रह जाएं!
वैसे अकादेमी की इन नौ वर्षों में एक बड़ी ‘ उपलब्धि ‘ यह भी है कि उसके कार्यक्रम का उद्घाटन करने के लिए मंत्री जी अपनी तमाम व्यस्तताओं के बीच समय निकालने लगे हैं।पहले के मंत्री इतने समझदार नहीं थे। अकादेमी को इतना गौरव प्रदान ही नहीं करते थे।उनके पास उद्घाटन वगैरह के लिए समय तक नहीं होता था, न अकादेमी की कल्पना शक्ति इतनी ‘ विकसित ‘ थी कि ऐसा कुछ कर सके!
‘ विकास ‘ तो हुआ है और ‘ सकारात्मक ‘ हुआ है।स्वागत है।