चंद्रकांत शुक्ला-
अखिलेश यादव ज़मीन से पूरी तरह कट चुके हैं … उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव का प्रचार जारी है। पहले चरण के लिए दो मई को प्रचार थम जाएगा। योगी से ज्यादा मेहनत प्रदेश का कोई नेता नहीं कर रहा। प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन के नाम पर योगी ने 6 महीने पहले ही हर नगर निगम में रैली कर दी थी। बीते 6 दिन में उत्तर प्रदेश में करीब बीस रैली कर चुके हैं। कर्नाटक में भी प्रचार कर रहे हैं।
इधर उत्तर प्रदेश के दोनों डिप्टी सीएम लगातार दौरा कर रहे हैं। मंत्री, सांसद, विधायक, प्रदेश अध्यक्ष और पूरी टीम, जिलों के सभी अध्यक्ष, बूथ अध्यक्ष, शक्ति केंद्र संयोजक, पन्ना प्रमुख तक भाजपा के लिए जुटे हैं। हर कार्यकर्ता की जिम्मेदारी तय है लेकिन सपा में क्या है। 6 करोड़ वोटर के चुनाव को अखिलेश यादव छोटा चुनाव मान रहे हैं। कोई रैली नहीं कोई जनसभा नहीं। निकाय चुनाव में बस दो बार प्रेस कांफ्रेंस कर चुके हैं। शायद ये उन्होंने मायावती से सीखा है।
बहन जी भी ट्विटर और प्रेस कॉन्फ्रेंस को ही राजनीति मानती हैं। जो महिला चार बार मुख्यमंत्री रही, वो कभी आपको आंदोलन करती हुई सड़क पर दिखेंगी ही नहीं। निकाय चुनाव में मुस्लिम दलित ओबीसी को टिकट दिया है। किसी सामान्य को टिकट नहीं, तो उत्तर प्रदेश की कांग्रेस प्रभारी करीब एक साल से उत्तर प्रदेश नहीं आईं।
राहुल गांधी तो प्रदेश को भूल ही चुके हैं। इनसे ज्यादा एक्टिव तो आम आदमी पार्टी है। सुना है कि एक मई से अखिलेश यादव लखनऊ में मेट्रो की सवारी करके प्रचार करेंगे। जिस शख्स को इस वक्त प्रदेश में रोज जनसभा रोड शो करना चाहिए वो एसी से बाहर निकलना नहीं चाहता। एक स्टार प्रचारक हैं इनके पास नरेश उत्तम पटेल। वही हर जगह भेजे जा रहे। नेता विपक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री, एक दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष क्या कभी इतना निष्क्रिय हो सकता है।
अखिलेश के भाषणों में कोई सम्मोहन नहीं। एक बात को पकड़ लेते हैं फिर उसी को पंद्रह दिन तक रटते रहते हैं। राजनीति में आपको बोलने, आपके इशारों, आपके बॉडी लैंग्वेज का बहुत असर पड़ता है। यूट्यूब सपा और अखिलेश के गानों से भरा पड़ा है लेकिन उससे सत्ता नहीं मिल सकती। नरेश उत्तम की क्षमता एक मेयर जिताने की नहीं है, लेकिन अखिलेश की नजर में वो सब कुछ हैं। भाजपा हर मौके को इवेंट बनाती है।
अखिलेश यादव का हर समय एक ही ड्रेस में बोर करता है। युवा उनसे कनेक्ट नहीं हो पा रहा। ट्विटर तो अखिलेश यादव का और भी कमाल है, वहां ऐसी ऐसी तुकबंदी लिखी जाती है कि क्या ही कहना। ऐसे सत्ता का सेमी फाइनल लड़ेंगे , ऐसे ही 2024लड़ेंगे ?)