हिंदुस्तान, लखनऊ में मजीठिया वेज बोर्ड मांगने वालों के खिलाफ साइड इफेक्ट शुरू हो गया है. प्रबंधन जब मनाने में नाकाम रहा तो अब साजिश में जुट गया है. प्रबंधन अब मजिठिया मांगने वालों के खिलाफ साम-दाम से पार नहीं पा सका तो दंड-भेद का रास्ता अपना शुरू कर दिया है. खबर है कि पूर्व चीफ रिपोर्टर आलोक उपाध्याय पर एक महिला स्ट्रिंगर ने छेड़खानी का आरोप लगाया है. उसने 1090 पर फोन करके आलोक उपाध्याय पर छेड़खानी करने का तोहमत मढ़ दिया.
गौरतलब है कि बुधवार को ही मजीठिया वेज बोर्ड की मांग को लेकर आलोक उपाध्याय, संजीव त्रिपाठी समेत आठ लोगों ने मोर्चा खोल रखा है. पहले तो प्रबंधन ने दबाव की चाल चली, लेकिन जब ये लोग नहीं माने तो दूसरा लालच दिया गया. उल्लेखनीय है कि स्टेट ब्यूरो में कार्यरत रहे आलोक उपाध्याय को पहले लोकल इंचार्ज बनाया गया था, लेकिन बाद में प्रादेशिक डेस्क पर भेज दिया गया. बुधवार को आलोक को लालच दिया गया कि उन्हें फिर से स्टेट ब्यूरो में भेज दिया जाएगा तथा मनचाही बीट दी जाएगी. पर वे मजीठिया की अपनी शिकायत वापस ले लें, लेकिन आलोक नहीं माने और उनके साथी नहीं माने.
अब इनकार का साइड इफेक्ट भी दिखने लगा है. प्रबंधन ओछी हरकत पर उतर आया है. पहले इन लोगों को नौकरी से निकाला, अब एक महिला स्ट्रिंगर को मोहरा बनाकर आलोक के खिलाफ छेड़खानी की फर्जी शिकायत कराई गई है. सूत्र बताते हैं कि उक्त स्ट्रिंगर को स्टाफर बनाने का लालच दिया गया है. संभव है कि प्रबंधन मजीठिया मांगने वालों के खिलाफ कोई और बड़ी साजिश रच दे. इस समय ब्यूरोचीफ आनंद सिन्हा और उप ब्यूरोचीफ अजित खरे जैसे लोग प्रबंधन की आंख-कान बनकर काम करने में जुटे हुए हैं, जो मजीठिया मांगने वाले साथियों की बात प्रबंधन तक पहुंचा रहे हैं और मनचाहा निर्णय करा रहे हैं.