Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

मजीठिया क्रांतिकारियों को राहत : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के ऑर्डर को मानने से किया इनकार, अमर उजाला को बड़ा झटका, देखें आर्डर की कॉपी

शशिकांत सिंह

अमर उजाला की हाईकोर्ट में सबसे बड़ी हार… मजीठिया वेज बोर्ड से बचने के हर संभव प्रयास में जुटे अमर उजाला प्रबंधन को इस मामले में अब तक की सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमर उजाला की उस रिट पिटीशन को खारिज कर दिया है जिसमें कंपनी प्रबंधन ने डिप्टी लेबर कमिश्नर मुरादाबाद द्वारा 17(2) में लेबर कोर्ट बरेली को किया गया रेफ्रेंस डीएलसी के क्षेत्राधिकार से बाहर का मामला बताते हुए इसे गलत ठहराया था।

गुजरात हाईकोर्ट ने दिव्य भास्कर के मामले में जो राहत दी थी उसी का हवाला देते हुए अमर उजाला ने इस केस में अपनी पूरी ताकत झोंक दी ताकि रेफ्रेंस को खारिज कराया जा सके। इसके लिए अमर उजाला प्रबंधन ने हाईकोर्ट के दो वकीलों के साथ सुप्रीम कोर्ट के भी दो वकीलों को जिरह के लिए खड़ा किया लेकिन राज्य सरकार के विद्वान एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल की दलीलों के सामने अमर उजाला के वकीलों को एक नहीं चली।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मनीष गोयल ने इस मामले पर वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट 1955 और सुप्रीम कोर्ट के कई अहम जजमेंट का हवाला देते हुए एक्ट की धारा-17 का बारीकी से उल्लेख किया। न्यायाधीश जस्टिस मनोज मिश्र संतुष्ठ हुए। उन्होंने फैसला सरकार और कर्मचारियों के हित में किया। कर्मचारियों के लिए ये बड़ी जीत है। इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश में मजीठिया मिलने का रास्ता साफ हो गया है। साथ ही अन्य राज्यों के कर्मचारियों को भी इस आदेश का लाभ मिलेगा।

प्रकरण समझिए और जानिए क्या थी अमर उजाला प्रबंधन की मांग-

अमर उजाला मुरादाबाद में तैनात सीनियर सब एडिटर ने सेक्शन 17(1) में डीएलसी मुरादाबाद के समक्ष क्लेम लगाया। दोनो पक्षों के बीच कैटेगरी का विवाद उठा। राज्य सरकार से प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए डीएलसी ने 17(2) के तहत क्लेम श्रम न्यायाल बरेली को रेफर कर दिया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कंपनी प्रबंधन ने हाईकोर्ट में कहा कि डीएलसी सिर्फ 17(1) के तहत क्लेम की सुनवाई कर आरसी जारी करने की प्रक्रिया निभा सकता है। 17(2) में क्लेम रेफर करना उसके क्षेत्राधिकार से बाहर है। दोनो पक्षों में यदि कोई विवाद है तो क्लेमकर्ता या डीएलसी इस मामले को पहले राज्य सरकार के पास भेजेंगे। राज्य सरकार फैसला लेगी फिर क्लेम लेबर कोट रेफर किया जाएगा। इसके लिए गुजरात हाईकोर्ट के दिव्य भास्कर समेत कई मामलों का भी हवाला दिया गया।

सरकारी वकीलों ने पेश की जोरदार दलील-

Advertisement. Scroll to continue reading.

राज्य सरकार के विद्वान एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने न्यायालय को बताया कि एक्ट की सेक्शन-17 के प्रावधानों को सिंगल स्कीम के रूप में गठित किया गया है। 17(1) में कर्मचारी बकाया राशि के भुगतान के लिए राज्य सरकार या राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट प्राधिकरण (लेबर कमिश्नर, डिप्टी लेबर कमिश्नर या अन्य जो भी) के समक्ष क्लेम लगाएगा।

संतुष्ट होने पर राज्य सरकार आरसी जारी करने की प्रक्रिया चलाएगी। 17(1) की सुनवाई के दौरान विवाद होने पर वही अधिकारी 17(2) में क्लेम लेबर कोर्ट रेफर करेगा। 17(3) में लेबर कोर्ट अपना आदेश राज्य सरकार यानि उसी अधिकारी को फाॅरवर्ड करेगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यदि बकाया राशि है तो पुनः 17(1) के तहत आरसी की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। मनीष गोयल ने हाईकोर्ट को यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा 12 नवंबर 2014 को जारी अधिसूचना में डीएलसी को ये अधिकार प्राप्त हैं कि वह सेक्शन-17 के सब-सेक्शन (1) में आरसी जारी कर सके और सब-सेक्शन (2) में लेबर कोर्ट को क्लेम रेफर कर सके।

फिलहाल जिस जिस कम्पनी के मालिकान गुजरात हाईकोर्ट का आर्डर लगाकर ये दावा कर रहे हैं कि डीएलसी को17 (2) में मामले को लेबरकोर्ट में भेजने का पावर नही है उनको अमर उजाला का कर्मचारियों के पक्ष में आया ये आर्डर एक चपत है।

कुल मिलाकर इलाहाबाद हाइकोर्ट में अमर उजाला पब्लिकेशन्स लिमिटेड की हार हो गई. DLC मुरादाबाद ने अमित त्यागी का क्लेम लेबर कोर्ट को रेफर किया था. रेफेरेंस के अगेंस्ट अमर उजाला प्रबंधन हाइकोर्ट गया था कि dlc 17(2) में रेफर नहीं कर सकता क्योंकि उसे पावर नहीं है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

हाइकोर्ट ने 20 पेज का ऑर्डर किया जिसकी आखिरी लाइन है- the petition lacks merit and is accordingly dismissed.

आर्डर की कापी पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें :

Advertisement. Scroll to continue reading.

Order Copy

शशिकांत सिंह
पत्रकार और आर टी आई एक्टिविस्ट
9322411335

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement