अमर उजाला ने सहकारिता फर्म इफको के सबसे बड़े माफिया MD उदय शंकर अवस्थी का इंटरव्यू छापा है. अब पता नहीं उजाला वालों ने कहकर लिया या अवस्थी ने बुलाकर छपवाया, कहना मुश्किल है. लेकिन इतना जरूर है कि इफको में जमें इन माफियाओं की करतूतों से पर्दा उठाने की हिम्मत किसी भी मीडिया संस्थान में कतई नहीं बची है. क्योंकि अगर इनने छापा-दिखाया तो माल जो मिल रहा है वो बंद हो जाएगा.
अमर उजाला के इस काम को इंटरव्यू कम और विज्ञापन अधिक मानकर चला जा सकता है. उसका अपना कारण है. कारण मजबूत भी है क्योंकि ये इंटरव्यू इफको के भीतर चल रही सच्चाई से कोसों दूर है. पीआर टाइप है.
अमर उजाला के दो पत्रकारों की बाइलाइन है. जिन्होंने यूएस अवस्थी का इंटरव्यू किया है. अवस्थी कह रहा है, “कृषि बाजार में भारत की हिस्सेदारी 115 अरब डालर तक पहुंचाने का लक्ष्य.” जिसे इंटरव्यू की हेडिंग बनाया गया है. अवस्थी 2027 तक 45 अरब डॉलर से बढ़ाकर कृषि निर्यात 115 अरब डॉलर करने की बात कह रहा है. वो अलग बात है किसान धरना पता नहीं क्यों दे रहे हैं, जब ऐसे धन्नासेठ मार्केट में सजे बैठे हैं और ऑलरेडी तरक्की पैदा कर रहे हैं!
भड़ास ने पिछले दिनों इफको को लेकर पूरी एक सीरीज चलाई थी. बलिया के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र सिंह की किताब “इफको किसकी” पर आधारित सीरीज थी ये.
किताब में ऐसे-ऐसे खुलासे हैं जिन्हें पढ़कर हर कोई दंग रह जाता है. लेकिन हमारे देश की मीडिया इतिहास के इस सबसे बड़े फर्जीवाड़े से पोषित होती लग रही है, फिर इंटरव्यू जैसी प्रक्रियाएं चलती रहनी जरूरी होती हैं. कमाई का जरिया भी तो यही है.
काली करतूतों से लबरेज यूएस अवस्थी मिट्टी की उर्वरक छमता और गुणवत्ता बढ़ाने की बात करता है, लेकिन उसने उसी मिट्टी और मिट्टी के असल धरतीपुत्र किसानों को किस तरह धोखा दिया है भड़ास पर मौजूद है. समय निकालकर पढ़ते रहा करिए और जालसाजी व फरेब से बचते रहिए..
नीचे लिंक पर इफको की सीरियल वाइज पोल खोली गई है, आप भी पढ़ें और समझें किस तरह अवस्थी जैसे लोग देश के लिए राहू-केतू बने बैठे हैं…