केके उपाध्याय-
अब कौन कहेगा क्यों बे बहोत बड़ा हो गया है तू… अभी अभी सूचना मिली है कि आगरा में अंबरीष गौड़ नहीं रहे । वरिष्ठ पत्रकार थे । अमर उजाला में उन्होंने ता उम्र पत्रकारिता की । मेरा उनसे बहुत पुराना नाता है ।

वे एक ज़िंदा दिल इंसान थे । हर वक्त अपने बालों की चिंता । गोरी स्किन को संभालना । कोई ज़रा कह दें कि आज आपके चेहरे को क्या हो गया ? बस फिर क्या था ? पॉकेट से फेशवाश निकाला और मुँह धोकर क्रीम लगा ली ।
ऐसा कोई रविवार नहीं था जब वो फ़िल्म देखने न गए हों । हर महीने एक नया पेंट शर्ट सिलवाना । हमेशा ख़ुश रहना । उनका बोलने का अंदाज भी अलग ही था । शाम को मदमस्त होने के बाद उनकी मस्ती देखते ही बनती थी । ऐसा कौन सा कलाकार है जिसकी वो मिमिक्री न कर पाते हों ।
फ़िल्मों का ज़बरदस्त ज्ञान । उनकी फ़ेसबुक फिल्मी क़िस्सों से भरी पड़ी है । ऐसा इंसान जो हर वक्त हँसता रहा । न किसी से ईर्ष्या न किसी से प्रतिस्पर्धा । अक्सर अपने पन से बोलते थे ठेट आगरा के अंदाज में – क्यों बे बहोत बड़ा हो गया है तू । अब भी अक्सर उनका फ़ोन आता रहता था । अब कौन कहेगा – क्या हाल हैं उपाध्याय ? आवाज़ शांत जो हो गई है …।