संजय कुमार सिंह-
ट्वीटर पर @Ankitydv92 के वीडियो में एक सज्जन कहानी सुनाते हुए बता रहे हैं कि एक गर्मी में वे पेड़ के नीचे सुस्ता रहे थे तभी पास की बिल्डिंग से किसी ने उनसे पूछा, पानी पियोगे? उन्होंने हां कहा और मन में सोचने लगा कि कितना अच्छा आदमी है। गर्मी में पूछकर पानी पिला रहा है। पर वह व्यक्ति पानी लेकर नहीं आया।
पांच-सात मिनट में उनने राय बना ली कि यह व्यक्ति घटिया है। पानी पिलाना नहीं था तो पूछा ही क्यों। थोड़ी देर में वह आदमी पानी लेकर आया तो इनने राय बदल दी सोचा कि आदमी तो ठीक है, मैंने ही गलत राय बना ली।
तभी उस आदमी ने कहा कि गर्मी बहुत ज्यादा है इसलिए मैंने सोचा क्या पानी पिलाऊं, शिकंजी बनाने में देर हो गई। अब यह व्यक्ति खुश हो गया कि देर हुई तो क्या – आदमी बहुत अच्छा है। पानी की जगह शिकन्जी पिला रहा है। लेकिन शिकन्जी मुंह में गई तो पता चला कि उसमें चीनी थी ही नहीं।
इनकी राय फिर बदल गई। बिना चीनी शिकंजी? कैसा आदमी है। इससे तो अच्छा पानी ही पिला देता। उसके बारे में राय फिर बदल गई। तभी उसने जेब से पुड़िया निकाली और पूछा आप चीनी लेते हो, मैंने तो चीनी नहीं डाली की पूछकर मिलाऊंगा – क्या पता आप मीठा खाते हैं कि नहीं।
अब इस आदमी को लगा – बहुत भला आदमी है। इतना ख्याल रखता है। कहानी की सीख यह है कि हमारी सोच बहुत जल्दी बदलती है और हम किसी के बारे में राय बनाने से पहले उसे समय भी नहीं देते।
मुझे लगता है कि बात तो ठीक है। पर उस आदमी के बारे में लोगों की राय क्यों नहीं बदल रही है। गड़बड़ी आदमी में है या किसी मशीन में? जिसके बारे में उसकी और उसकी पूरी पार्टी की राय बहुत समय के बाद बदली थी।