सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती पर टिप्पणी करने के बाद पत्रकार अमिश देवगन फंस चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें राहत नहीं मिली है। सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने अमिश देवगन के खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज करने से इनकार कर दिया। मतलब साफ है। कोर्ट ने कह दिया, अमिश पर मुकदमा चलाओ।
देवगन के वकील विवेक जैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सभी एफआईआर रद्द करने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट में अमिश के मामले की सुनवाई जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने की। पीठ ने अमीश देवगन को बस इतनी राहत दी है कि इनके खिलाफ देश भर में दर्ज सभी एफआईआर को अजमेर स्थानांतरित करने के आदेश दे दिए हैं।
ज्ञात हो कि 15 जून 2020 को न्यूज़18इंडिया चैनल के प्राइम टाइम शो ‘आर पार’ में सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती के खिलाफ अमीश देवगन ने अपमानजनक टिप्पणी कर दी। अमीश ने अपने शो में पूजा स्थल के विशेष प्रावधान अधिनियम के संबंध में जनहित याचिका पर डिबेट होस्ट करते हुए ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को हमलावर और लुटेरा कह दिया। इसके बाद देवगन के खिलाफ राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में कुल 7 एफआईआर दर्ज की गई हैं।
भारतीय दंड संहिता की धारा 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को उसके धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करना है), 153 A ( धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि और सदभाव बिगाड़ने के लिए पूर्वाग्रही कार्य करने), 505 (जनता में शरारत करने के लिए बयानबाजी) व 34 (सामान्य उद्देश्य) के तहत देवगन पर केस दर्ज हुए।
बाद में देवगन ने सूफी संत को लुटेरे बताने पर ट्वीट कर माफी मांगी और इसे अनजाने में हुई त्रुटि करार दिया।