अमिताभ श्रीवास्तव-
गृहमंत्री महोदय ने कांग्रेस के महँगाई विरोधी आंदोलन को राममंदिर विरोध से जोड़ दिया। तुष्टिकरण का आरोप भी जड़ दिया। सब चैनलों ने अमित शाह की इस राय को हेडलाइन बना कर चलाया। किसी ने यह पूछने की जुर्रत नहीं की कि विपक्ष के एक विरोध प्रदर्शन को सांप्रदायिक रंग क्यों दिया जा रहा है? बीजेपी के पास हिंदू मुसलमान करने के अलावा कुछ है ही नहीं लेकिन कोई भी तथाकथित दबंग एंकर, संपादक यह कहने की हिम्मत नहीं दिखा सकता। यही हमारे मुख्यधारा के मीडिया का नग्न सत्य है।
विजय शंकर सिंह-
मोदी जी की यह फोटो, काले कपड़ो में फरवरी 2019 की है, जब वे प्रयाग कुंभ में स्नान कर रहे है।
काले कपड़े पहन कर महंगाई आदि जनहित के मुद्दो पर किए गए प्रदर्शन के बारे में यह कहा जा रहा है कि, काले कपड़े, राममंदिर के विरोध में थे तो क्या इस स्नान को, कुंभ का विरोध कहा जा सकता है ?
मेरा उत्तर होगा, बिलकुल नहीं।
किन कपड़ो मे कोई स्नान करता है यह उसकी मर्जी है। इसी प्रकार, आंदोलन कैसे हो, यह उसकी रणनीति बनाने वाले जानें। कपड़ों से पहचानना छोड़िए सरकार, रोटी कपड़ा और मकान पर बात कीजिए।
रूबी अरुण-
खुद काला कपड़ा पहन कर मंदिर जाने वाले मोटा भाई कह रहे हैं की RahulGandhi ने जानबूझ कर काला कपड़ा उसी दिन पहन कर Parliament आना तय किया जिस दिन श्रीराममंदिर का मोदीजी ने शिलान्यास किया था. वैसे मालिक को भी काला रंग खूब पसंद है. उन्होंने तो काले कपड़ों में कुंभ स्नान भी किया था..