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सुख-दुख

लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह

-ओम प्रकाश तिवारी-

पिछले 6 माह से चल रहा है इलाज, 20 दिनों तक जालन्धर मेडिकल कॉलेज के गहन चिकित्सा कक्ष में भी भर्ती रहे, सरकार से आर्थिक मदद लेने से भी इनकार किया, पांच लाख रुपये से अधिक अब तक खर्च कर चुके हैं इलाज पर, डाक्टरों के मुताबिक अभी छह माह तक चलना है महंगा इलाज, लीवर के अलावा यूरोलाजी की भी है समस्या, होगा ऑपरेशन

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हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह आजकल लीवर और यूरोलॉजी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। पिछले 6 महीने से जालंधर और लुधियाना के प्रतिष्ठित अस्पतालों में इलाज कराने के बाद वह पिछले दिनों करीब 20 दिन तक जालंधर मेडिकल कॉलेज के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती रहे। कुछ आराम होने के बाद उन्हें अस्पताल से घर शिफ्ट कर दिया गया है, लेकिन उनकी हालत में बहुत सुधार नहीं है।

बताते हैं कि उनके लीवर ने 80% तक काम करना बंद कर दिया है। इस वजह से उन्हें यूरोलॉजी की भी समस्या हो गयी है, जिससे काफी परेशानी है। आगे का इलाज कराने के लिए उन्होंने दिल्ली एम्स में आवेदन कर रखा है। आवेदन किए हुए उन्हें 15 दिनों से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला है। यदि एम्स से जवाब मिलने में देरी होती है तो यह उनके सेहत के लिए भारी पड़ सकता है।

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बता दें कि अमरीक सिंह हिंदी और पंजाबी के वरिष्ठ पत्रकार हैं। लगभग हर विषय पर उनकी गहरी पकड़ है। अमरीक सिंह न केवल वरिष्ठ पत्रकार हैं बल्कि वह साहित्य के गहन अध्येता भी हैं। हिंदी और पंजाबी का कोई ऐसा लेखक नहीं है, जिसे उन्होंने नहीं पढ़ा होगा।

लॉकडाउन के समय उन्होंने विभिन्न पोर्टलों पर न्यूज़ स्टोरी लिखी, जो काफी चर्चित रहीं।

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करीब 5 लाख रुपये वह अब तक अपने इलाज पर खर्च कर चुके हैं। आगे के महंगे इलाज के लिए उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने सरकारी मदद लेने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने हमेशा अपनी कलम व्यवस्था के खिलाफ चलाई है। अब ऐसी व्यवस्था से आर्थिक मदद नहीं ले सकता। डाक्टरों का कहना कि उन्हें ठीक होने में छह माह लग सकते हैं। इसी बीच उनकी यूरोलॉजी से संबंधित बीमारी का ऑपरेशन भी होना है। यह ऑपरेशन चंडीगढ़ या लुधियाना के किसी अस्पताल में हो सकता है।

अमरीक सिंह हमेशा व्यवस्था के खिलाफ और सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ लिखते रहे हैं। इसलिए उन्होंने सरकारी मदद से इलाज कराने से इंकार कर दिया है। फिलहाल उनके पास जो भी बचत थी वह इलाज पर खत्म हो चुकी है।
हालांकि वह साधन संपन्न परिवार से आते हैं लेकिन उन्होंने अपने बीमार होने की बात घरवालों को भी नहीं बताई। उन्होंने अपनी बीमारी की जानकारी किसी दोस्त को भी नहीं दी। यदि किसी को पता चला तो जो लगातार उनके संपर्क में थे उन्हीं को पता चला और इनमें से कई लोगों ने उनकी आर्थिक मदद की है और कर रहे हैं।

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डाक्टरों का कहना है कि उनकी यह बीमारी वंशानुगत है। पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित हो जाती है।

अमरीक सिंह मूल रूप से हरियाणा के सिरसा के रहने वाले हैं। इस समय पंजाब के जालंधर में रह रहे हैं।

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शुरुआत से ही वह स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर अपनी लेखनी का लोहा मनवाते रहे हैं। बीच-बीच में उन्होंने अमर उजाला और दैनिक जागरण के पंजाब के जालंधर संस्करण में नौकरी भी की है। लेकिन किसी दायरे में बंध कर काम करना उन्हें कभी पसंद नहीं आया। इसी कारण उन्हें नौकरी कभी रास नहीं आयी। स्वतंत्र विचाधारा ही नहीं, आजाद तबीयत के अमरीक सिंह को संकीर्णता कतई पसंद नहीं है।

अमरीक सिंह से इन नम्बरों पर संम्पर्क कर सकते हैं।
6280920905
7986236409

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