रवीश कुमार-
DD किसान बनाम किसान एकता मोर्चा का यू ट्यूब चैनल… 26 मई 2015 को मोदी सरकार ने जनता के पैसे से किसानों के लिए एक न्यूज़ चैनल लाँच किया। पाँच साल बाद दिसंबर 2020 में किसानों ने अपना यू ट्यूब चैनल लाँच कर दिया। ये सामान्य घटना नहीं है। सरकार के बनाए किसान चैनल की किसानों की सबसे बड़ी लड़ाई में कोई भूमिका नहीं दिखती। मुझे नहीं मालूम इस चैनल को कितने किसान देखते होंगे, जो भी देखते होंगे नहीं बता सकते हैं कि किसानों के आंदोलन की एक तस्वीर भी चली है या नहीं? DD किसान किसानों के बीच अनुपस्थित है। अगर उपस्थित होता तो किसान गोदी मीडिया की तरह उसका नाम लेते। गोदी मीडिया उनके जीवन में काफ़ी ठीक से मौजूद था तभी उसके अख़बारों और चैनलों में जब किसानों ने खुद को नहीं देखा तो हिल गए। जिस अख़बार को वे वर्षों से पैसे देकर ख़रीदते थे उस अख़बार ने दगा दे दिया। चैनलों ने उन्हें ग़ायब कर दिया और आतंकवादी कह दिया। आज किसानों को यू ट्यूब चैनल लाँच करना पड़ा है।
देखना है कि इस यू ट्यूब चैनल को कितने लोग सब्स्क्राइब करते हैं? क्या किसान इसके सब्सक्रिप्शन की संख्या से कोरपोरेट और सरकार के गुलाम गोदी मीडिया को टक्कर दे पाएँगे? भारत का किसान गोदी मीडिया से लड़ने लगा है। इस गोदी मीडिया ने गाँवों को हिन्दू मुसलमान में बाँट दिया क्या किसान गोदी मीडिया को परास्त कर पाएँगे? किसानों ने यह चुनौती उठा ली है यह भी कम बड़ी बात नहीं है। अरबों रुपये के न्यूज़ चैनलों के होते हुए भारत का किसान अपना चैनल लाँच कर रहा है। ये बात दुनिया को मत बताइयेगा। वरना आपको शर्मिंदा होना पड़ेगा।
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