सेवा में
आदरणीय डॉ. धनंजय वाई चंद्रचूड़ जी,
माननीय मुख्य न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट,
नई दिल्ली, भारत।
विषय: समाचार एजेंसी एएनआई में राजनीति के चलते निकाले जाने पर न्याय हेतु प्रार्थना पत्र।
श्रीमान जी,
मेरा नाम अक्षत सरोत्री है। मैं मूलतः हिमाचल प्रदेश के पालमपुर का रहने वाला हूं और पिछले 13 साल से मीडिया में एक पत्रकार के रूप में काम कर रहा हूं। श्रीमान मैं पिछले कुछ दिनों से परेशान चल रहा हूं। परेशानी का कारण है कि मैं समाचार एजेंसी एएनआई में प्रोड्यूसर के पद पर कार्य कर रहा था। बीते 2 नवंबर को मुझे अकारण ही निकाल दिया गया।
यह मेरे 13 साल के करियर की पहली बरखास्तगी थी। मुझे कहा गया कि मुझे काम नहीं आता। जबकि जिनको मल्टीमीडिया इंग्लिश के हैड अमित ठाकुर, शांतनु सिन्हा और एचआर प्रमुख काम्या पांडे ने बचाया, जिसमें अनन्या और मोनाली पांडे शामिल थे और यह साजिश रची गई.. मल्टीमीडिया इंग्लिश के हैड अमित ठाकुर, शांतनु सिन्हा और एचआर प्रमुख काम्या पांडे की और से।
इन्होंने अपने लोगों को बचाने के लिये मालिकों को गलत जानकारी देकर मुझे बाहर निकलवाया। इन जैसे लोगों को किसी संस्थान से बाहर निकाले जाने का कोई फर्क नहीं पड़ता होगा लेकिन मेरे जैसे सामान्य नागरिक को सदमे के बराबर है।
मैने इशांत प्रकाश जो कि मालिक हैं, को बताने की कोशिश भी की लेकिन वो तो मिलना तो दूर उन्होंने मुझे फोन पर ब्लॉक कर दिया। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि ऐसा क्या गुनाह मेरे से हुआ जो मुझे इस तरह से निशाना बनाया गया। ना मैं पहले से अमित को जानता था और ना ही काम्या पांडे को फिर भी इन्होंने जो मेरे साथ किया वो तो कोई दुश्मन के साथ भी नहीं करता है। अगर किसी को लगता है कि मैं इस मामले में झूठ बोल रहा हूं तो मैं अपना नार्को टेस्ट कराने को भी तैयार हूं और अगर अमित ठाकुर, काम्या पांडे, शांतनु सिन्हा, अनन्या और मोनाली पांडे मानते हैं कि वो सही हैं और मैं गलत तो वो अपना नार्को टेस्ट आपकी निगरानी में करवा लें।
मैं केवल आप पर ही भरोसा कर सकता हूं क्योंकि इन 5 लोगों को एएनआई की प्रधान संपादक स्मिता प्रकाश के बेटे ईशान प्रकाश की शह मिली है। यह अपने राजनीतिक संबंधों का प्रयोग कर मुझे परेशान या फिर जांच को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में मेरी न्याय के लिये आपसे गुहार है क्योंकि मैं आर्थिक रूप से इतना मजबूत नहीं हूं कि केस लड़ सकूं।
आपसे मेरी विनती है कि या तो इस मामले में जांच करवाई जाए जो कि मेरा संवैधानिक अधिकार है और अगर मुझे यह अधिकार नहीं मिल सकता है तो इच्छामृत्यु दी जाये ताकी बिना किसी को परेशान किये मैं इस शरीर से मुक्त हो जाऊं।
धन्यवाद।
भवदीय
अक्षत सरोत्री