Shashi Bhooshan-
कल शाम कंपनी मीडिया के एक बड़े कारोबारी चैनल ‘आज तक’ पर मेरे लिए एक यादगार क्षण था।
स्टूडियो से अंजना ओम कश्यप ने घोषणा की, “राकेश टिकैत सरेंडर करेंगे।” इस घोषणा के बाद अंजना ओम कश्यप ने रिपोर्टर चित्रा त्रिपाठी को लगभग टास्क दिया कि इसे साबित कर दो। जितनी जल्दी हो सके।
चित्रा त्रिपाठी राकेश टिकैत के पीछे पड़ गयीं। लगभग बीस बार से अधिक उन्होंने कहा, ” आज आप सरेंडर कर रहे हैं ?” कभी पूछने के लहज़े में तो कभी राकेश टिकैत को ही बताने के लहज़े में, आज आप सरेंडर करने जा रहे हैं।”
किसान नेता राकेश टिकैत अपनी बात पर अडिग थे। उन्होंने कहा था, “हम सरेंडर नहीं कर रहे बल्कि सुप्रीम कोर्ट से दीप सिद्धू और उनसे संबंधित लोगों के बारे में जाँच की मांग करते हैं।” चित्रा त्रिपाठी ‘आज तक’ की अभिलाषी घोषणा को फिर भी साबित करने में जी जान से लगी थीं।
अंत में मैंने देखा कि राकेश टिकैत ने मंच की ओर बढ़ते चित्रा त्रिपाठी के सिर पर हाथ जैसा रखा। मानो कह रहे हों बेटी परेशान मत करो मुझे मंच तक जाने दो वहीं बताउंगा क्या करना है।
मैंने यह क्षण देखा तो दिल में नमी महसूस की। कितना अमानवीय कर दिया टीवी ने पढ़ी लिखी स्त्रियों को। मेरा ख़याल है चित्रा त्रिपाठी अगर महसूस कर पायीं होंगी तो उन्होंने अपनी क्रूर पत्रकारिता के बीच भीड़ में कल शाम एक इंसान का अपने सिर पर आता हुआ हाथ महसूस किया होगा।
कोई कुछ भी कहे राकेश टिकैत इंसानियत से भरे सरोकारी किसान नेता हैं। तभी ऐसा हुआ होगा कि कल वे भावुक हुए और उसके बाद देर रात लोग उनके समर्थन में सड़क पर जुटने लगे थे।
मैं एंकर चित्रा त्रिपाठी को नहीं जानता। उनके किसी करीबी मित्र से भी परिचय नहीं है। लेकिन मैं हमेशा जानना चाहूंगा कि कल शाम चित्रा त्रिपाठी ने राकेश टिकैत के लिए वाक़ई क्या महसूस किया? कुछ महसूस किया भी या नहीं ?
अगर चित्रा त्रिपाठी वह महसूस कर सकी होंगी जिसका मुझे अनुमान है और कभी बता सकेंगी तो वही है जिसकी हत्या मीडिया इन दिनों लगातार कर रहा है। इसी हत्यारी प्रवृत्ति के कारण अंजना ओम कश्यप और रुबिका लियाकत स्त्री होकर भी डरावनी लगती हैं।
Hindustaanibahuria
January 29, 2021 at 8:14 pm
स्त्रियों का मतलब मीडिया में काम करने वाला हर शख्स अमानवीय ही होता है क्योंकि उनको खबर दिखना है…और ये कब तक महिला पुरुष करेंगे..उसकी रिपोर्टिंग देखिए ….महिला या पुरुष होना नहीं
Jaideep Vaishnav
February 4, 2021 at 4:07 pm
उन्हें (एंकर्स को) कहीं से इन्फॉर्मेशन मिली होगी कि राकेश टिकैत सरेंडर करने वाले है, और अगर वो इस बात की सच्चाई उगलवाने की कोशिश कर के अपना पत्रकार धर्म निभा रही हैं तो इसमे “अमानवीय” क्या हो गया??
और राकेश टिकैत को आप महामानव और संत मान रहे है??
वहीं राकेश टिकैत जो tv पर धमकी की भाषा मे बात करता है और जिसने 25 जनवरी ये कहा था “लाठी डंडे लेकर अइयो सब, समझ जइयो”
आप को दूसरों को आइना दिखाने के पहले खुद को आईने में देखना चाहिए
सत्य पारीक
April 12, 2021 at 6:05 pm
अंजना चित्रा रुबिका को पत्रकार की बजाय सरकार की प्रवक्ता कहें तो पत्रकारिता की इज्ज़त बनी रहेगी