अनुज अग्रवाल-
अंजना ओम कश्यप जी की पत्रकारिता से असहमति है और हमेशा रहेगी, बस जिस तरह ग्राउंड रिपोर्टिंग करने गई एक महिला पत्रकार के खिलाफ कल पटना में अभद्र नारेबाजी हुई है वो बिलकुल गलत बात है!
मैं ये मानता हूं कि देश के लोगों की लोकतांत्रिक चेतना, उनके इतिहासबोध की धज्जियां उड़ाने में आज के समय की विजुअल मीडिया का बहुत योगदान है। आपको अपनी नागरिक चेतना बचाए रखनी है तो सबसे पहले इस देश की मीडिया से खुद को बचाना होगा।
मैने न्यूज चैनल्स देखने बिलकुल छोड़ रखे हैं। मेरे दिन के किसी भी शेड्यूल में न्यूज चैनल देखने का अच्छा काम नहीं है। उसके अलावा मैं किताबें पढ़ने, फिल्में देखने, दोस्तों /अपनों से मिलने, बात करने जैसे फालतू के काम करता हूं।
चाहें कोई सरकार आए जाए, भारत का हिंदी टीवी मीडिया बर्बाद हो चुका है, पर इसके लिए किसी को बीच सड़क पर घेर लेना शर्मनाक है, भयानक है।
एक दर्शक पाठक के तौर पे अपनी जिम्मेदारी समझिए, अपने देखने, सुनने की आदतों को, कांटेट को सैनीटाइज कीजिए।
देखें संबंधित वीडियो-
https://twitter.com/niteshbhu001/status/1557206028705353733?s=21&t=gWnAbPZgtD-_ZoXN4xQppw
सत्येंद्र पीएस-
बिहार में लोग लोग महिला एंकरों/रिपोर्टरों को ही क्यों लिहो लिहो कर रहे हैं?? जिस तरह से भयानक नारेबाजी में महिलाएं दृढ़ता से खड़ी दिख रही हैं, प्रशंसनीय है।
मुझे ध्यान है कि जब भाजपा के परम संत प्रातः स्मरणीय गाजीपुर के एक विधायक को किसी ने गोली मारकर शहीद किया था तो किस तरह से मीडिया के खिलाफ जनता में आक्रोश था कि मीडिया मुस्लिमपरस्त है।
एक रिपोर्टर को तो अधमरा करने तक पीटा गया, उसके वीडियो कैमरे को आग के हवाले कर दिया गया और अर्ध बेहोशी में भाजपा के संयमित कार्यकर्ता उसे आग में झोंकने जा रहे थे तब किसी भाजपा नेता ने उन्हें रोका और कई सप्ताह के इलाज के बाद उसकी जान बच पाई थी।
कुछ अन्य प्रतिक्रियाएँ देखें-
Atul Goyal
August 11, 2022 at 8:43 am
जो भी देखा उसमे मुझे तो कुछ गलत नही दिखा…
क्या पत्रकार अपने पेट की भूख मिटाने को जनता को मूर्ख बनाने का लाइसेंस लिए हुए हैं कि वो पढ़े-लिखे-समझदार होने के बावजूद टी वी स्क्रीन पर जो मर्जी दिखा बकवास करते रहें ओर फिर भी जनता से ये आशा कि वो उनके खिलाफ नारे बाजी भी न करे…
वैसे इन लोगों ने बदतमीजी की (या कलुषित राजनीति के तहत करवा दो गई होती) होती तो शायद अब तक इस बात का बतंगड़ बन चुका होता…
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मैं निजी तौर पे उपरोक्त घटना का समर्थन नही करता..
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वैसे शायद इन्हें महिला होने का फायदा मिला है… वरना तो आपने किसी ओर पत्रकार के साथ क्या हुआ था ये बयान किया ही है
Atul Goyal
August 11, 2022 at 8:45 am
जो भी देखा उसमे मुझे तो कुछ गलत नही दिखा…
क्या पत्रकार अपने पेट की भूख मिटाने को जनता को मूर्ख बनाने का लाइसेंस लिए हुए हैं कि वो पढ़े-लिखे-समझदार होने के बावजूद टी वी स्क्रीन पर जो मर्जी दिखा बकवास करते रहें…
वैसे इन लोगों ने बदतमीजी की (या कलुषित राजनीति के तहत करवा दो गई होती) होती तो शायद अब तक इस बात का बतंगड़ बन चुका होता…
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मैं निजी तौर पे उपरोक्त घटना का समर्थन नही करता..
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वैसे शायद इन्हें महिला होने का फायदा मिला है… वरना तो आपने किसी ओर पत्रकार के साथ क्या हुआ था ये बयान किया ही है