दिल्ली के पुलिस आयुक्त के ई-मेल पर एक लाइन की यह “धमकी” सितंबर में यानी 15 दिन पहले आई थी
दिल्ली में हिन्दी के ज्यादातर अखबारों में आज अन्नपूर्णा देवी के निधन की खबर पहले पेज पर नहीं है। लेकिन एक खबर प्रमुखता से छपी है, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जान से मारने की धमकी”। दैनिक जागरण में खबरों के पहले पन्ने पर आज लगभग आधा पेज विज्ञापन है फिर भी तीन कॉलम में प्रधानमंत्री की फोटो के साथ छपी है। अमर उजाला में विज्ञापन एक ही है पर यह खबर अन्य सूचनाओं के साथ पहले पेज पर चार कॉलम में टॉप पर है। नवभारत टाइम्स में यह खबर पहले पेज पर नहीं है पर अंदर की खबरों की सूची में इसकी सूचना है और यह खबर “क्राइम-कानून” के पेज पर सिंगल कॉलम है। नवोदय टाइम्स में खबरों के पहले पन्ने पर आधे से ज्यादा विज्ञापन है। और इन विज्ञापनों के बीच फोटो के साथ सिंगल कॉलम में यह खबर छपी है। “कमिशनर के ई-मेल पर मोदी को मारने की आई धमकी” शीर्षक वाली यह खबर अंदर के पेज पर जारी है।
अमर उजाला ने इस ‘खबर’ में विस्तार से जानकारी दी है। उसके मुताबिक, दिल्ली के पुलिस आयुक्त के ई-मेल पर एक लाइन की यह “धमकी” सितंबर में यानी 15 दिन दिन पहले आई थी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ई-मेल असम के ‘किसी जिले से’ आई है। इससे पहले, जून 2018 में गाजियाबाद के एक व्यक्ति ने फेसबुक पर पीएम को गोली मारने की धमकी दी थी। इसके बाद उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी।” यह जानकारी ऐसे दी गई है जैसे उसे लड्डू खिलाया जाना चाहिए था। कायदे से अखबार को यह बताना चाहिए था कि उस मामले में क्या हुआ? धमकी वाकई गंभीर थी या उसने किसी कारण से गुस्से में अथवा नशे में या किसी अन्य कारण से ऐसा पोस्ट लिखा था। यह भी बताना चाहिए था कि उसका इरादा पुलिस जांच में कितना मजबूत लगा। अगर मजबूत लगा तो पुलिस ने क्या किया मजबूत नहीं लगा तो वह अभी भी हिरासत में है या छोड़ दिया गया अथवा जमानत पर है। ना पुलिस ने बताया ना भाई ने लिखा।
अंग्रेजी अखबारों में हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर पहले पेज पर नहीं है। निश्चित रूप से प्रधानंमंत्री को जान से मारने की धमकी बड़ी खबर है पर पाठकों को इसमें क्या करना है? सूचना भी यह नई नहीं है। नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले से अपराधियों के निशाने पर रहे हैं। ऐसी खबरें आती रही हैं और पुलिस आवश्यक कार्रवाई करती रही है। फिर यह खबर पहले पेज पर इतनी प्रमुखता से किसलिए? अखबार का काम पाठकों को सूचना देना है, जागरूक करना है और ठीक समझें तो मनोरंजन करना भी हो सकता है। पर प्रधानमंत्री को बार-बार मिलने वाली धमकी की खबर तो डराती है। और ऐसी डराने वाली खबर सूचना के लिए तो ठीक है पर इतनी प्रमुखता से क्यों। और अगर वाकई खबर है तो अंग्रेजी अखबारों में क्यों नहीं?
यहां भी मेरा यह मानना सही लगता है कि हिन्दी अखबार पुलिस के “लीक” से चलते हैं। खासकर इसलिए कि भारतीय शास्त्रीय संगीत की मशहूर गायिका अन्नपूर्णा देवी का 91 साल की आयु में कल निधन हो गया और यह खबर पहले पेज पर नहीं है। अंग्रेजी अखबारों में टेलीग्राफ और इंडियन एक्सप्रेस ने इसे पहले पेज पर छापा है पर हिन्दी अखबार प्रधानमंत्री की हत्या की धमकी की एक लाइन की ई मेल की खबर को तीन कॉलम में छाप रहे हैं। अन्नपूर्णा देवी के निधन की सूचना ही नहीं है। खास कर तब जब निधन मुंबई में सुबह में हुआ था और सूचना पाने व सामग्री तैयार करने के लिए पर्याप्त समय था। दैनिक भास्कर में यह खबर प्रमुखता से छपी है। राजस्थान पत्रिका में भी अन्नपूर्णा देवी के निधन की खबर पहले पेज पर प्रमुखता से छपी है। इन दोनों अखबारों में प्रधानमंत्री की हत्या की धमकी को प्रमुखता नहीं मिली है। यही नहीं, हिन्दी अखबारों ने मीटू को छोड़ ही दिया है। इसपर अमितशाह ने जो कुछ कहा है उसे आप बीती लिखने वालों ने धमकी माना है वह भी ‘गायब’ है।
अन्नपूर्णा देवी से संबंधित भास्कर की खबर के महत्वपूर्ण अंश इस प्रकार हैं, “अन्नपूर्णा देवी जाने-माने सितार वादक पंडित रविशंकर की पूर्व पत्नी थीं। उनका जन्म मध्यप्रदेश के मैहर में 1927 में हुआ था। 1977 में उन्हें पद्मभूषण मिला था। मशहूर बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया अन्नपूर्णा देवी के प्रमुख शिष्यों में थे। अन्नपूर्णा देवी का मूल नाम रोशनआरा खां था। वे मैहर घराने के उस्ताद बाबा अलाउद्दीन खां की बेटी थीं। अलाउद्दीन खां महाराजा बृजनाथ सिंह के दरबारी संगीतकार थे। उन्होंने जब बेटी के जन्म के बारे में दरबार में बताया तो महाराजा ने नवजात बच्ची का नाम अन्नपूर्णा रख दिया। अन्नपूर्णा देवी को शास्त्रीय संगीत और सुरबहार की शिक्षा अपने पिता उस्ताद अलाउद्दीन खां से मिली। पंडित रविशंकर भी खां साहब के शिष्य थे। पंडित रविशंकर से विवाह से पहले अन्नपूर्णा देवी ने 1941 में हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया। 21 साल बाद दोनों का तलाक हो गया। पंडित रविशंकर से शादी टूटने के बाद अन्नपूर्णा देवी मुंबई चली गईं। 1982 में उन्होंने अपने शिष्य रूशिकुमार पंड्या से शादी कर ली। 2013 में पंड्या का निधन हो गया था।