Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

TOI मेरे सात अखबारों में अकेला है जिसने कोर्ट आदेश पर जेल से छूटे प्रो जीएन साईबाबा की फोटो पहले पन्ने पर छापी है!

अनुच्छेद 370 हटाने की आत्म प्रशंसा सबमें है, ‘काला दिवस’ कहने की आजादी … सिर्फ टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रमुखता से है… यह सिंगल कॉलम की खबर तो नहीं ही है!

संजय कुमार सिंह

देश में आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार पर हैं और कल अगर संदेशखली पर उनका भाषण अखबारों में छाया हुआ था तो आज कश्मीर और अनुच्छेद 370 हटाना है। उस पर आने से पहले बता दूं कि पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री ने जो आरोप लगाये उसका जवाब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिया है जो आज द टेलीग्राफ में लीड है। मुख्य शीर्षक है, संदेशखली पर मुख्यमंत्री का संदेश। इसका फ्लैग शीर्षक है, ममता बनर्जी ने कहा, बंगाल महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित है। आप जानते हैं कि कई अखबारों ने प्रधानमंत्री के आरोप को तो कल लीड बनाया था लेकिन आज उसके जवाब को जगह ही नहीं दी है उल्टे फिर वैसा ही एक आरोप और नया प्रचार लीड है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आप जानते हैं कि अनुच्छेद 370 हटाना घोषित था फिर भी 2014 के बाद नहीं हटाया गया और 2019 जीतते ही हटा दिया गया। यह अलग बात है कि शाय इसीलिये कहा जाता है कि तीसरी बार जीत गये तो तानाशाही और बढ़ेगी तथा फिर चुनाव नहीं होंगे। पर वह अलग मुद्दा है। अभी तो यह दिला दूं कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद प्रधानमंत्री पहली बार कश्मीर गये थे। अनुच्चेद 370 अगस्त 2019 में हटाया गया था। इसके बाद लंबे समय तक इस क्षेत्र में इंटरनेट बंद रहा। कई प्रमुख नेताओं और पत्रकारों को जेल में बंद रखा गया, कोई भी चुनाव नहीं हुए हैं। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है तब भी उसके बारे में ना कोई सवाल है और ना जवाब। सरकार और मीडिया इसपर बात नहीं करते। अनुच्छेद 370 हटाने और गिरफ्तारी आदि पर अदालतों के फैसले देर से आये।

2023 में इसे ठीक ठहराये जाने का फैसला आने से पहले पुलिस ने सोशल मीडिया पर इससे संबंधित पोस्ट को कानूनन अपराध करार दिया था। अखबारों ने अनुच्छेद 370 हटाने का स्वागत तो किया लेकिन कश्मीर और लद्दाख से रिपोर्टिंग की कोई विशेष व्यवस्था नहीं की। मुझे नहीं लगता कि जिनके दफ्तर और संवाददाता वहां नहीं थे उनमें से किसी ने वहां ऐसा कुछ किया। कुल मिलाकर, प्रचार यही था कि कश्मीर को देश के दूसरे राज्यों जैसा बनाने के लिए 370 हटाना जरूरी है पर हटाने के बावजूद ऐसा कुछ नहीं हुआ। ना ही सुरक्षा बलों की संख्या कम हुई ना पाकिस्तानी हमले। अगर कोई बदलाव हुआ, बेहतरी आई तो उसका सरकारी और पार्टी स्तर पर कोई प्रचार नहीं किया गया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

छिटपुट खबरें जरूर हुई होंगी पर अखबारों ने 370 हटने के बाद वहां के लोगों की प्रतिक्रिया, स्थिति बेहतर होने जैसी रिपोर्ट आम तौर पर नहीं छापी। चर्चा यह भी थी कि देश भर के लोग प्लॉट खरीद पायेंगे पर वह सब भी कितना हुआ प्रचारित नहीं किया गया। उल्टे व्यवसाय के सिलसिले में वहां गये गरीब लोगों को मार दिये जाने की खबरें आती रहीं। इस आलोक में आज वहां प्रधानमंत्री ने जो कहा वह तो छपा ही है। उसपर आने से पहले बता दूं कि आज ही छपी खबर  अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हरेक नागरिक को आलोचना का अधिकार है। खबर के अनुसार, अनुच्छेद 370 हटाने के दिन को काला दिवस कहने के लिये एफआईआर हो गई जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। 

कश्मीर की प्रधानमंत्री की प्रशंसा वाली खबर आज द टेलीग्राफ के अलावा हिन्दू और नवोदय टाइम्स में लीड नहीं है। द टेलीग्राफ की लीड तो बता चुका, द हिन्दू की लीड शिव सेना मामले में महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर के फैसले से संबंधित विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की खबर है। शीर्षक है, “सेना विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने पूछा महाराष्ट्र के स्पीकर का फैसला हमारे आदेश के खिलाफ नहीं है?” यहां कश्मीर की खबर का शीर्षक है, “कश्मीरी अब ‘खुलकर सांस ले रहे हैं’, मोदी ने कहा”। इसके ऊपर की खबर का शीर्षक है, “सुप्रीम कोर्ट एसबीआई के खिलाफ अवमानना याचिका पर विचार करेगी”। नवोदय टाइम्स की लीड टाइम्स ऑफ इंडिया में लीड के बराबर में टॉप पर सिंगल कॉलम की खबर है – केंद्रीय कर्मियों के लिए महंगाई भत्ता 4% बढ़कर 50% हुआ।

Advertisement. Scroll to continue reading.

आइये अब देख लें कि कश्मीर पर प्रचारकों ने क्या कहा और बताया है –

1. अमर उजाला

Advertisement. Scroll to continue reading.

कुछ परिवारों ने स्वार्थ के लिए जम्मू-कश्मीर को जंजीरों में जकड़ा, 370 हटाने से बंदिशें खत्म (लाभ क्या हुआ और बंदिशें खत्म होने से कौन खुश है, ये नहीं बताया)

2.नवोदय टाइम्स

Advertisement. Scroll to continue reading.

खुलकर सांस ले रहा है जम्मू कश्मीर : पीएम 

3. हिन्दुस्तान टाइम्स

Advertisement. Scroll to continue reading.

पांच साल में पहली बार घाटी के दौर पर गये मोदी ने कहा : यहां दिल जीतने आये हैं।

4. दिल जीतने के लिए काम करता रहूंगा, प्रधानमंत्री ने जम्मू और कश्मीर में कहा।

Advertisement. Scroll to continue reading.

5. जम्मू और कश्मीर अनुच्छेद 370 के बंधन और वंशवाद की राजनीति से मुक्त  सांस ले रहा है …. : मोदी

आज फिर, टाइम्स ऑफ इंडिया मेरे सात अखबारों में अकेला है जिसने बांबे हाईकोर्ट के आदेश पर जेल से रिहा होने वाले प्रो जीएन साईबाबा की फोटो पहले पन्ने पर छापी है। पत्नी वसंता के साथ इस तस्वीर के कैप्शन में बताया गया है कि वे वीरवार को नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा हो गये। और कहा है कि वे भाग्यशाली है कि जेल से जिन्दा बाहर आये। अखबार की सेकेंड लीड सुप्रीम कोर्ट की खबर है, अनुच्छेद 370 हटाने के दिन को काला दिवस कहना अपराध नहीं है। आज के समय में यह निश्चित रूप से बड़ी खबर है लेकिन इतनी प्रमुखता से इसे अकेले टाइम्स ऑफ इंडिया ने छापा है। अदालत ने न सिर्फ व्यक्ति के अधिकार स्पष्ट किये हैं बल्कि पुलिस वालों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में बताने के लिए भी कहा है। इंडियन एक्सप्रेस ने इसे शीर्षक में बताया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वैसे तो आज की बड़ी खबरों में एसबीआई के खिलाफ अवमानना याचिका पर विचार किया जाना भी है लेकिन हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने से पहले के अधपन्ने पर छापा है कि सीबीआई ने लोगों को अवैध रूप से विदेश भेजने वालों का भांडा फोड़ा है। सीबीआई का उपयोग जब सरकारी पार्टी की निजी सेना के रूप में किये जाने की खबरें हैं तो सरकार के अंतिम समय में उसका यह खुलासा बताता है कि उसने 10 साल सामान्य ढंग से काम किया होता तो शायद इसका पता पहले चल जाता। युद्ध में भारतीय असैनिकों की मौत से पहले अवैध रूप से विदेश भेजे जा रहे लोगों को लेकर एक पूरा विमान भारत आया था तो धंधे की जानकारी सबको थी। इसके बाद की कार्रवाई मजबूरी थी और यह उपलब्धि नहीं है। शायद इसीलिए दूसरे अखबारों ने इससे प्रमुखता नहीं दी है। यह, “ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा” के बावजूद हुआ और होता रहा है तो निश्चित रूप से सामान्य मामला नहीं है। और इसे पहले पन्ने पर छापना महत्वपूर्ण है।

अमर उजाला ने इस खबर को दूसरे पहले पन्ने पर लीड के साथ छापा है। शीर्षक है, नौकरी के नाम पर भारतीयों को रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में उतारा। उपशीर्षक है, “मानव तस्करी के बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ : सीबीआई ने दिल्ली समेत सात शहरों में 13 स्थानों पर की कार्रवाई, कई हिरासत में”। कहने की जरूरत नहीं है कि इस तरह का नेटवर्क गुपचुप चल ही नहीं सकता है। उन्हें लोग तलाशने होते हैं और इसके लिए प्रचार भी किया जाता है। तभी दलालों को मुर्गे या कबूतर मिलते हैं। पर उनका काम चलता रहा मतलब साफ है कि सरकारी एजेंसियों के साथ अखबार वालों ने भी इसका ध्यान नहीं रखा। अब चुनाव से पहले प्रचार के लिए इस तरह की खबरें छपें इसके लिए इतनी औपचारिकता तो करनी होगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इन सबसे अलग, द टेलीग्राफ में आज एक खबर है जो बताती है कि भाजपा 400 पार के अपने प्रचार को पूरा करने के लिए किन लोगों को प्रभावित कर चुकी है और किनसे वार्ता चल रही है या किन्हें टटोला जा रहा है। पहली श्रेणी के चार नाम तो सर्वविदित हैं दूसरी श्रेणी के पांच नाम हैं –  नवीन पटनायक (बीजद), राज ठाकरे (एमएनएस), सुखबीर सिंह बादल (एशएडी), चंद्रबाबू नायडू (टीडीपी) और पवन कल्याण (जन सेना)। खबर के अनुसार भाजपा के इस मिशन की कुंजी पुराने लोगों को पटाना है। इसकी शुरुआत पटना में नीतिश कुमार से हो चुकी है और वे इंडिया गठबंधन से अलग हो चुके हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement