-संजय कुमार सिंह-
अंधेरे में बीतेगी अर्नब की दीपावली! नहीं मिली आज हाईकोर्ट से ज़मानत! जेल में ही रहेंगे अर्नब। आज दिन भर बहस चली। पर फ़ैसला न हुआ। देश के सबसे मंहगे वकीलों की फ़ौज कम से कम आज आज़ादी न हासिल कर सकी। अर्नब को ज़मानत नहीं मिली। हाईकोर्ट ने कह दिया है कि अंतरिम राहत चाहिए तो सेशंस कोर्ट जाओ।
शिवसेना की प्रशासनिक क्षमता भी प्रशंसनीय है… अर्नब गोस्वामी के खिलाफ मामले को चाहे जितना कमजोर प्रचारित किया जाए, मामला कमजोर है नहीं। इस आरोप में दम हो सकता है कि गिरफ्तारी बदले की कार्रवाई है पर बदला पूरी तैयारी से लिया जा रहा लगता है। संजीव भट्ट को अगर सच बोलने की सजा दी जा सकती है तो किसी की तरफ से किसी पर भौंकने की सजा क्यों नहीं दी जानी चाहिए। नरेन्द्र मोदी की सरकार जिस तरह मनमानी कर रही है उसमें उनके समर्थक को इस तरह गिरफ्तार किया जाना प्रशंसनीय है, भले गलत हो। मामला यह नहीं है कि बदला लेने के लिए कार्रवाई की जा रही है।
मामला यह है कि पहले कार्रवाई नहीं की गई। बचाव पक्ष ने पूरी कोशिश की और तीन दिन में जमानत नहीं मिली और दीवाली की छुट्टी होने के कारण जमानत की संभावना नहीं होने के कारण जेल में रहने की मजबूरी – अभियोजन की सोची समझी योजना हो सकती है पर यह भी प्रशंसनीय है। किसी का दिमाग खराब हो जाए तो ठीक करने वालों के पास उपाय होना चाहिए और शिव सेना ने बता दिया है कि उसे पिच खोदकर मैच रुकवाना आता है तो सरकार चलाना भी आता है। दूसरी तरफ, सरकारी आदेश में टाइपिंग और हिज्जे की गलतियां हावर्ड और हार्डवर्क का अंतर बताती है।