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सुख-दुख

वरिष्ठ पत्रकार अरुण वर्धन जी नहीं रहे!

राहुल देव-

वरिष्ठ पत्रकार अरुण वर्धन जी आज सुबह नहीं रहे। वे लंबे समय तक नव भारत टाइम्स में रहे। हम सबकी सुपरिचित कुमुद शर्मा जी के पति थे। अमरकान्त जी के बेटे थे। एक महीने से अस्पताल में थे। कई दिन से वेंटिलेटर पर थे। आज सुबह उन्हें दिल का प्राणघातक दौरा पड़ा। हमारे मित्र और पड़ोसी थे। अश्रुपूरित श्रद्धांजलि!

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अरविंद कुमार सिंह-

अरुण वर्द्धन जी- एक स्नेहिल छाया का उठ जाना
आज अरूणजी भी विदा हो गए। कई दिनों से बीमार थे। आज उनके विदाई की खबर लगी तो कुमुद भाभी को डरते-डरते पुष्टि के लिए फोन किया। कई दिनों से बीमार थे वे।
अरुण वर्द्धन देश के जाने माने पत्रकारों में शामिल रहे हैं। लेकिन उनको करीब से देखें तो बेहद बेहतरतीब इलाहाबादी मिजाज बनाए रखा।

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दिल्ली से मैं इलाहाबाद आया तो उनसे मिला था शायद 1987 या 1988 के दिनों में। उन दिनों हमारी मित्र मंडली छोटी थी। हममे सबसे बड़े श्री वीरेंद्र सेंगरजी थे और अन्य साथियों में अमरेंद्र राय, अरिहन जैन, आलोक पुराणिक और अनंत डबराल। मैं बीच बीच में अरुणजी से लगातार संवाद में रहता था। मिलता तो पहले हड़काते, कुछ पढ़ते लिखते नहीं, बहुत गुंडई हो रही है। कुछ इलाहाबादी शब्दों का गुच्छा निकलता। मन खुश हो जाता।

उसी दौरान श्री विभूति नारायण राय गाजियाबाद के पुलिस अधीक्षक बन कर आ गए तो कई बार उनके सानिध्य में भी मिलना होता रहा। मैने अरुणजी बहुत कुछ सीखा और स्नेह पाया। उनके पिता और हिंदी के महान लेखक अमरकांत जी के साथ मेरा इलाहाबाद में बहुत गहरा रिश्ता था। सच बात तो यह है कि मैने पत्र पत्रिकाओं में लिखना आरंभ किया तो उनका बड़ा स्नेह था। हमेशा उनकी स्नेहछाया मुझ पर बनी रही। उनके बहुत से संघर्षो का साक्षी भी रहा। ज्ञानपीठ पुरस्कार उनको मिला तो जीवन थोड़ा सरल हुआ लेकिन अधिकतर समय तो मैने उनको जूझते ही देखा।

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अरूणजी प्रेस क्लब में अक्सर मिल जाते थे। नहीं मिलते तो बीच में उनका फोन कभी भी आ जाता था। हाल खबर हो जाती थी। उनके साथ बहुत सी यात्राएं की। बहुत सी यादें हैं। कई शरारतें भी हैं। एक एक कर याद आ रही हैं। वे फिर कभी। सादर नमन अरुण भाई, आप बहुत याद आएंगे।

नीचे एक तस्वीर उनके साथ एलीफैंटा केव्स की है, महाराष्ट्र।

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दुखद। राहुल देव जी ने सूचित किया है प्रो कुमुद शर्मा के पति अरूण जी नहीं रहे। राहुल जी के पड़ोसी हैं। उन्हें दिल का दौरा पड़ा। वे पिछले एक माह से हस्पताल में थे। बीच में प्राइवेट रूम में भी बहुत थोड़ा समय रहे। आप पत्रकारिता से थे। नवभारत टाइम्ज़ में सुरेंद्र प्रताप सिंह के काफ़ी करीबी थे। कल रात ही मेरी कुमुद जी से बात हुई थी और आज के लिए ब्लड देने वाले का निर्धारण किया था। बहुत दुखद। हार्दिक श्रद्धांजलि। ईश्वर परिवार को यह दुख सहने की शक्ति दे।

(एक whatsapp group से)

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