दीपांकर-
अगर आपको एक सिम कार्ड लेना है तो पहले आपको अपना आधार कार्ड नम्बर देना होगा फिर आपका बायोमेट्रिक होगा फिर आपके आधार कार्ड की डिटेल के आधार पर वैरीफाई किया जायेगा फिर आपको सिम कार्ड इश्यू किया जायेगा.
ये टेक्नोलॉजी सिम बेचने वाली कम्पनियों से जुड़े छोटे छोटे कर्मचारी जेब में रखकर घूम रहे हैं.
लेकिन उत्तर प्रदेश में अगर किसी को जमीन बेचनी है तो उससे आधार कार्ड तो मांगा जाता है पर वो आधार कार्ड असली है या नकली कहीं फोटोशॉप तो नहीं ये सब वैरीफाई नहीं किया जाता. उसकी फोटो खींची जायेगी अंगूठे का निशान भी लिया जायेगा लेकिन आधार कार्ड डेटा से उसे वैरीफाई नहीं किया जाता इससे हो ये रहा है कि लोग फोटोकॉपी और साइबर कैफे से फर्जी और एडिटेड आधार कार्ड बनवा कर असली व्यक्ति की जगह किसी और को खड़ा करके फर्जी बैनामा करवा ले रहे हैं.
अगर किसी को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से राशन लेना है और उसकी अंगुलियों के निशान आधार डेटा से मैच नहीं हुए तो राशन मिल जाता है लेकिन उसकी जमीन बिना आधार कार्ड वैरिफिकेशन के ही बिक जा रही है.
कारण – भूमाफियाओं और सत्ता की मिलीभगत.
मैं आपको इतने दावे से ये कैसे बता रहा हूं?
अयोध्या जनपद में मेरी रिश्तेदार एक महिला जो मानसिक रूप से विक्षिप्त है उनकी करोड़ों की जमीन को भूमाफियाओं ने फर्जी आधार कार्ड लगाकर किसी और लड़की को खड़ा करके फर्जी बैनामा करवा लिया.
जब आरटीआई से जानकारी मांगी गई तो पता चला कि जो आधार कार्ड लगाया गया है वो उस महिला का है ही नहीं, एडिटेड है, जन्मतिथि कुछ और लिखी है, मोबाइल नम्बर किसी और का लिखा है,
बैनामा पेपर पर किसी और महिला का फोटो है.
आप अधिकारियों से मिलने जाइए तो बहाने बताए जायेंगे, जांच का वादा होगा, तकरीबन दो महीने बीतने के बाद भी फर्जी आधार कार्ड का कंक्रीट एविडेंस होने के बाद भी पुलिस केस दर्ज नहीं कर रही.
सिस्टम को जहां भ्रष्टाचार करना है वहां भूमाफियाओं के फायदे के लिए जानबूझकर लूपहोल छोड़ दिया जाता है.
फर्जीवाड़ा करने के बाद भूमाफिया आपके पास अपने आदमी भेजेगा, करोड़ों की जमीन के बदले कुछ लाख रूपए ऑफर करेगा. समझौता न करने पर परिणाम भुगतने की धमकी देगा, रिश्तेदारों को फोन करेगा. पुलिस को अपने तरीके से मैनेज करेगा.
आप क्या करेंगे?
लड़ेंगे?
लेकिन कितने लोग आख़िर तक लड़ पाते हैं.
सिस्टम में जानबूझकर लूपहोल बनाकर रखे जाते हैं, जिससे सत्ता के दलाल भूमाफिया बनकर घूमते रहें मौज करते रहें, फर्जीवाड़ा करते रहें, कोर्ट पर केस का दबाव पड़त रहे, जो सच है उसे सिद्ध करने के लिए आप एड़ियां घिसते रहें.
तब तक वो भूमाफिया किसी और को अपना शिकार बनायेगा. 10 में से 7-8 लोग समझौते करने को मजबूर होंगे.
सोचिए जिस देश में राशन लेने के लिए फिंगर प्रिंट वैरीफाई ना होने पर राशन नहीं मिलता वहां बिना फिंगर प्रिंट वैरीफाई किए आधार कार्ड वैरिफिकेशन के करोड़ों की जमीन का बैनामा फर्जी तरीके से हो जायेगा.
कई साल केस चलेगा, इस बीच भूमाफिया को ज़मीन बेचने का मौका मिल गया तो किसी तीसरे को जमीन बेचकर कट लेगा.
राम मंदिर का फैसला आने के बाद अयोध्या जनपद में ऐसे फर्जीवाड़े आम हो चुके हैं.
किसी की जमीन कोई हड़प रहा है कोई बेच रहा है.
अयोध्या में भूमाफियाओं का खौफ इस कदर बढ़ चुका है कि किसी को पता ही नहीं उसकी जमीन कब उसके हाथ से निकल जाए.
आरटीआई से प्राप्त फर्जी आधार कार्ड की फोटो लगा रहा हूं, आधार कार्ड नम्बर किसके आधार कार्ड का है पता नहीं.
जिसकी जमीन बैनाम करवा ली गई उसके लिए ये आधार कार्ड लगाया गया.