सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से रिटायर्ड आईएएस श्रीप्रकाश सिंह को सेवानिवृत्ति के बाद विभिन्न विभागों के सचिव पद की नियुक्ति से हटाये जाने की मांग की है. डॉ ठाकुर ने कहा है कि कागज़ पर श्री सिंह विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) हैं पर वरिष्ठ मंत्री आज़म खान के दवाब में सभी नियमों को ठेंगा दिखाते हुए उन्हें अल्पसंख्यक और नगर विकास विभाग के सचिव के साथ सुडा और उत्तर प्रदेश राज्य गंगा नदी संरक्षण प्राधिकरण का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया गया है.
उन्होंने कहा है कि एक रिटायर अफसर होने के कारण श्री सिंह पर अब कोई सेवा नियमावली लागू नहीं होती और उनकी कोई जिम्मेदारी भी नहीं तय की जा सकती. ऐसे में उन्हें जनता के सरोकारों से जुड़े इतने महत्वपूर्ण पदों पर बैठने से लोकहित सीधे तौर पर प्रभावित होता है क्योंकि गलत ढंग से उपकृत होने के कारण श्री सिंह जनता के प्रति नहीं, श्री खान के प्रति विश्वासपात्र रहेंगे. अतः उन्होंने इसे आईएएस कैडर नियमावली के खिलाफ की गयी नियुक्ति बताते हुए प्रशासनिक उत्तरदायित्व के दृष्टिगत मुख्यमंत्री से इस गलत नियुक्ति को तत्काल रद्द करने की मांग की है.
सेवा में,
श्री अखिलेश यादव,
मुख्यमंत्री,
उत्तर प्रदेश,
लखनऊ
विषय- श्री एस पी सिंह, रिटायर्ड आईएएस को विभिन्न विभागों का सचिव बनाए जाने विषयक
महोदय,
मैं आपके समक्ष श्री श्री प्रकाश सिंह, रिटायर्ड आईएएस को श्री आज़म खान, कैबिनेट मत्री, उत्तर प्रदेश शासन की खुली सरपरस्ती के कारण समस्त नियमों को ठेंगा दिखाते हुए श्री खान के दो-दो विभागों के सचिव के रूप में नियुक्त किये जाने के साथ कई अन्य महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर तैनात किये जाने की विचित्र स्थिति से अवगत कराते हुए इस सम्बन्ध में तत्काल कार्यवाही करते हुए श्री सिंह को इन जिम्मेदारी के पदों से हटाने के आदेश निर्गत करने हेतु यह प्रत्यावेदन प्रेषित कर रही हूँ.
निवेदन है कि श्री सिंह की श्री आज़म खान से जरुरत से अधिक नजदीकी अब किसी भी परिचय का मोहताज नहीं है. यह बात हम सभी जानते हैं कि श्री सिंह श्री आज़म खान के अलग-अलग विकास के महत्वपूर्ण पदाधिकारी रहे है.
समय के साथ श्री सिंह और श्री खान की नजदीकी आम हो गयी. आगे चल कर श्री सिंह का नाम नगर विकास में सामने आए कई भ्रष्टाचार के मामलों में संरक्षक के रूप में सामने आया. नगर विकास की सॉलिड वेस्ट परियोजना में सामने आए 22 करोड़ के फर्जी बैंक गारंटी मामले में श्री सिंह के करीबी श्री बीएन तिवारी का नाम मुख्य सूत्रधार के रूप में सामने आया था, लेकिन श्री प्रकाश सिंह ने इस मामले कई साक्ष्य सामने आने के बाद भी श्री बीएन तिवारी के खिलाफ विभागीय जांच को शुरू नहीं होने दिया था.
मैंने स्वयं श्री आज़म खान द्वारा श्री एस पी सिंह, तत्कालीन विशेष सचिव, नगर विकास के माध्यम से गलत दवाब डलवा कर जवाहरलाल नेहरु नेशनल रूरल अर्बन मिशन (जेएनएन आरयूएम) के लखनऊ के कई इलाकों में कराये गए प्रोजेक्ट में ठेकेदारों द्वारा भारी गड़बड़ी के बावजूद उन ठेकेदारों का पेयमेंट कराने के प्रयासों के खिलाफ रिट याचिका संख्या 7427/2012 (पीआईएल-सिविल) डॉ नूतन ठाकुर बनाम उत्तर प्रदेश शासन दायर किया था, जिसमे इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपने आदेश दिनांक 15/07/2013 द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दायर करने को कहा था. यह रिट याचिका अभी कोर्ट के सामने विचाराधीन है. इस याचिका के पैरा दस में श्री एस पी सिंह पर गलत ढंग से दवाब डालने के स्पष्ट आरोप लगाए गए थे.
इसी प्रकार से श्री आज़म खान द्वारा अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश जल निगम के रूप में दिनांक 28/08/2012 के एक स्पष्टतया विधिविरुद्ध आदेश के माध्यम से स्वयं को अवैध अधिकार देने के खिलाफ मैंने रिट याचिका संख्या 10159/2013 डॉ नूतन ठाकुर बनाम उत्तर प्रदेश शासन इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर किया था जिसे दायर करने के अगले ही दिन दिनांक 29/10/2013 को जल निगम ने अपने पूर्व के आदेश को निरस्त कर दिया, जिससे यह स्वयं-सिद्ध होता है कि श्री खान ने अपने हित में पहले वाला आदेश दिनांक 28/08/2012 पारित करा लिया था. कृपया ज्ञातव्य हो उस समय भी नगर विकास विभाग के विशेष सचिव श्री श्रीप्रकाश सिंह थे.
श्री सिंह और श्री आजम खां के बीच ऐसे संबंध है कि श्री खान का नगर विकास विभाग एक बहुत ही लम्बे समय तक बिना किसी आईएएस अधिकारी के ही चला. यह आम धारणा है कि सचिव नगर विकास के पद पर रहते हुए श्री सिंह ने दो प्रमुख सचिवों श्री प्रवीण कुमार और श्री सीबी पालीवाल को विभाग से हटवा दिया था, जिसके बाद से सचिव नगर विकास रहते हुए श्री सिंह ही प्रमुख सचिव की भूमिका भी निभाते रहे.
श्री सिंह 31/07/2014 को सेवानिवृत्त हुए. उनके साथ ही लखनऊ नगर निगम में तैनात दो पीसीएस अधिकारियों की सेवानिवृत्ति भी जुलाई में होनी थी. इन तीनों अधिकारियों को विभाग की अत्यधिक महत्वपूर्ण योजनाओं को पूरा करवाने के नाम पर छह माह का सेवा विस्तार देने के लिए श्री खान ने नियुक्ति विभाग से सिफारिश की थी लेकिन विभाग ने उनके सेवा-पुस्तक देखने के बाद सेवा विस्तार को नामंजूर कर दिया था.
लेकिन श्री खान इससे नहीं माने और उन्होंने हर संभव उपाय कर श्री सिंह को रिटायर होने के बाद सेवा-विस्तार नहीं मिलने पर भी विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) बनवा दिया. इतना ही नहीं उन्हें सभी नियमों के विपरीत ना सिर्फ नगर विकास बल्कि अल्पसंख्यक विकास विभाग का भी सचिव बनवा दिया. इस तरह एक रिटायर अफसर दो-दो महत्वपूर्ण विभागों का सचिव बना हुआ है जो आज तक उत्तर प्रदेश के इतिहास में कभी नहीं हुआ और समस्त प्रशासनिक नियमों के खिलाफ है.
आश्चर्य यह है कि कागज़ पर श्री श्रीप्रकाश सिंह मत्र ओएसडी हैं पर नियमों को ताक पर रख कर श्री आज़म खान ने उन्हें अल्पसंख्यक और नगर विकास विभाग का सचिव बना रखा है. मजेदार (और गंभीर) बात यह है कि नगर विकास विभाग में श्री खान ने किसी प्रमुख सचिव की नियुक्ति तक नहीं होने दी है और एक रिटायर अफसर गैर-क़ानूनी तरीके से विभागीय प्रमुख के रूप में कार्य कर रहा है. इसके अलावा उन्हें राज्य नगरीय विकास अभिकरण (सुडा) का मिशन निदेशक भी बना रखा है. श्री खान ने उन्हें उत्तर प्रदेश राज्य गंगा नदी संरक्षण प्राधिकरण का भी प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया हुआ है.
हम देख सकते हैं कि किस प्रकार श्री आज़म खान ने स्पष्ट दवाब में एक रिटायर अफसर को ओएसडी बना कर नगर विकास और अल्पसंख्यक विभाग के सचिव (जो प्रमुख सचिव/ विभागाध्यक्ष का काम कर रहा है) के साथ सुडा और राज्य गंगा नदी प्राधिकरण का प्रमुख बना रखा है. हम यह भी जानते हैं कि एक अफसर को इस प्रकार रिटायर होने के बाद भी सेवा में रखना और उन्हें महत्वपूर्ण सरकारी जिम्मेदारी देना सीधे-सीधे राज्य और उसकी जनता के साथ खिलवाड़ है क्योंकि एक रिटायर अफसर के रूप में श्री सिंह किसी भी प्रकार से सरकारी नियमों से आबद्ध नहीं हैं. यह आईएएस कैडर नियमावली के स्पष्ट खिलाफ की गयी नियुक्ति है.
एक सरकारी अफसर तमाम नियमों से बंधा होता है और उसके बाद ही सरकार नियमों के अधीन उस पर जनता के हितों से जुडी जिम्मेदारियां सौंपती है. इस मामले में एक ऐसे आदमी पर, जो रिटायर होने के कारण अब गलत-सही करने को पूरी तरह आज़ाद है, को श्री खान ने इस प्रकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां पूरे सरकारी नियमों को ठेंगा दिखा कर दे दिया है, जो पूरे उत्तर प्रदेश की जनता के हितों के साथ खिलवाड़ है. जाहिर है एक रिटायर अफसर अपने आका द्वारा इस प्रकार उपकृत होने पर जनता के हितों की नहीं, अपने आका के हितों को ही ध्यान में रखेगा और सरकारी नीति-रीति को ताक पर रख कर जिस आदमी से उसे उपकृत किया है, उसके लिए सब गलत सही करने को तैयार रहेगा. यह बात आम चर्चा में है कि श्री सिंह दिन-रात इस ओएसडी बनाए जाने के दवाब में तमाम गलत-सही काम कर भी रहे हैं जो अभी सरकार होने के कारण निभ रहा है पर जैसे ही कोई अगली सरकार आएगी तो इस सभी मामलों में जांच और कार्यवाही की झड़ी लग जायेगी.
यह सीधे तौर पर पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के बुनियादी सिद्धांतों के विरुद्ध है और इस प्रदेश के हितों के सीधे खिलाफ है क्योंकि इससे इन सभी विभागों के जनहित को तिलांजलि दे कर व्यक्तिगत हित के कार्य सम्पादित हो रहे हैं.
अतः मैं आपसे निवेदन करुँगी कि श्री आज़म खान के दवाब में किये गए इस फैसले को समाप्त करते हुए विधि-विरुद्ध तरीके से एक रिटायर आदमी के जिम्मे प्रदेश के कई महत्वपूर्ण विभागों और पदों की दी गयी जिम्मेदारियों से उसे तत्काल हटाते हुए प्रदेश प्रशासन में इस अवैध नियुक्ति के कारण हो रहे नुकसान और गलत संदेशों को रोकने की कृपा करें.
भवदीय,
(डॉ नूतन ठाकुर )
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
#94155-34525