आज शाम से अचानक सोशल मीडिया पर आजम खान के इस्तीफे की अफवाह जंगल में आग की तरह फैलने लगी. लोग एक दूसरे को ह्वाट्सएप से लेकर एफबी और ट्विटर तक बताते पूछते रहे कि आजम खां ने इस्तीफा दे दिया. किसी ने वजह बताया कि मंत्रिमंडल विस्तार से ख़फा थे तो कोई कह रहा है कि वह समाजवादी पार्टी की मुस्लिमों के प्रति घटते प्यार को लेकर नाराज चल रहे हैं. कई ऐसी घटनाओं का भी हवाला दिया जा रहा है जिसमें मुस्लिमों से जुड़े मसले पर प्रदेश सरकार ने उचित एक्शन नहीं लिया. कुल मिलाकर फिलहाल यूपी में आजम खां का कथित इस्तीफा चर्चा के केंद्र में है.
इस बारे में भड़ास ने जब लखनऊ के एक वरिष्ठ टीवी पत्रकार से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि आजम खां के इस्तीफे की अफवाह तेजी से फैली हुई है, ये बात तो सच है लेकिन उनका इस्तीफा सचमुच हुआ है, यह बात गलत है. उधर, विश्लेषकों का कहना है कि आजम खान समय समय पर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव पर दबाव बनाते रहते हैं. बिहार चुनाव के नतीजों के बाद अब ये स्पष्ट हो चला है कि यूपी में भी उसी की सरकार बनेगी जिसके साथ मुस्लिम एकजुट होकर रहेंगे. सपा प्रमुख सिर्फ पिछड़ों की राजनीति करके यूपी में दुबारा से सत्ता में आने से रहे. मुस्लिम मतों की कितनी सख्त जरूरत है सपा को, यह बात आजम खां अच्छी तरह से जानते हैं. इसी कारण वह सपा मुखिया से नए सिरे से मोलतोल करना चाहते हैं, जो कि राजनीति में हमेशा होता आया है.
राजनीति में किसी की ताकत उसके वोटबैंक के आधार पर ही आंकी जाती है. इस मामले में आजम खां मजबूत नेता है क्योंकि मुस्लिम वोट बैंक काफी कुछ उनके पीछे गोलबंद रहता है. हालांकि जानकार कहते हैं कि सपा ने जिस तरह से यूपी में जंगलराज और कुशासन पेश किया है, इसके चलते भाजपा विरोधी वोट बैंक बसपा की तरह उन्मुख है. ऐसे में अगर मुस्लिम पूरी तरह बसपा के साथ गोलबंद हो गए तो सपा का डब्बा गोल होना तय है. देखना है कि आजम खां की यह नई नाराजगी यूपी में क्या गुल खिलाती है.
लखनऊ से भड़ास संवाददाता सुजीत कुमार सिंह ‘प्रिंस’ की रिपोर्ट.