स्वामी रामदेव को इन दिनों सांस लेने तक की फुर्सत नहीं मिल रही है. मुसीबतें ही इतनी सवार हैं. एक से निपटकर खड़े होते ही दूसरी मुसीबत की सूचना सामने आ जा रही है.
ताजा नोटिस कोझिकोड की एक अदालत से आया है. कोर्ट में 3 जून को हाजिर भी होना है. मामला पतंजलि के ब्रान्ड अम्बेस्डर रामदेव बाबा व मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अंग्रेजी और मलयालम अखबारों में फर्जी विज्ञापन छपवाने का है.
यह याचिका कोझिकोड के सहायक औषधि नियंत्रक कार्यालय में तैनात ड्रग्स इंस्पेक्टर द्वारा दायर की गई है. आरोप है कि पतंजलि ने कुछ बीमारियों के इलाज का दावा करने वाली दवाओं के लिए भ्रामक विज्ञापन जारी करवाए थे.
मामले में ड्रग्स और जादुई उपचार अधिनियम, 1954 की धारा 10, धारा 3(बी), 3 (डी) और 7 (ए) के तहत दर्ज किया गया है. जिसमें रामदेव और बालकृष्ण को कोझिकोड की एक लोअर कोर्ट में 3 जून को पेश होना है.
क्या है पूरा खेल?
पतंजलि के एक उत्पाद दिव्य लिपिडोम ने कोलेस्ट्रॉल और डिस्लिपिडेमिया को कम करने का दावा किया था. इसके अलावा पतंजलि के न्यूट्रेला डायबिटिक केयर ने रक्त शर्करा के स्तर को कम करने और शरीर के वजन को काबू में करने का दावा किया था. वहीं, कानूनन अधिनियम की धारा 3 (डी) कुछ बीमारियों और विकारों के इलाज के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाती है. दोष सिद्ध होने पर 6 महीने तक की जेल या जुर्माना हो सकता है.
बताते चलें कि इससे पहले बाबा रामदेव ने अप्रैल 2024 को इसी तरह के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी थी. लिखित मांगी गई माफी में कहा गया था कि वह लोग पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं कि इस तरह की गलतियां दोबारा नहीं दोहराई जाएंगी.
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