: धार्मिक आयोजनों की आड़ में दलालों की पौ बारह : आगरा। शहर में आजकल भागवत कथाओं का धंधा बड़े जोरों पर चल रहा है। कथा का वाचन करने बाले कथा व्यास भी अब अपनी कथाओं की किसी ब्रांड की तरह बिक्री करने में लगे हुऐ है। कथा आयोजक व कथा व्यास अपने प्रचार के लिये अब मीडिया को घूस देने से भी नहीं चूकते। इन लोगों ने धार्मिक कार्यक्रम को भी बाजार बाद में खड़ा करने के लिये मीडिया को मैनेज करने बाले ठेकेदार का साहरा लेना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को जब यह नजारा कमलानगर में आयोजित होने बाली भागवत कथा से पूर्व निकली कलश यात्रा में देखा गया।
इस कथा के मीडिया प्रभारी ने कलश यात्रा व कथा को प्रचारित करने के लिये मीडिया कर्मियों को खुलकर घूस बाटी। कभी श्रद्धालु भागवत कथा को जनकल्याण की वस्तु मानते थे। पर अब यह भागवत कथा कथा व्यास के अलावा कुछ लोगों के कल्याण की वस्तु होकर रह गयी है। भागवत कथा सुनने से लोगों को अपना कल्याण नजर आता है लेकिन भागवत कथा होने से कुछ लोगों को अपना निज कल्याण नजर आता है। आजकल भागवत कथा में कथा व्यास के अलावा एक नया पद और पैदा हुआ है। यह पद है मीडिया प्रभारी का। कथा का मीडिया प्रभारी कथा व्यास को प्रचारित करने का ठेका लेता है। इस व्यक्ति को आप साफ तौर पर मीडिया मैनेज करने वाला दलाल कह सकते है। आजकल जहां भी कोई कथा व्यास कथा करने जाता है। वहां जिजमानों से मीडिया को बुलाने की मांग जरूर करता है। भागवत कथा की आड़ में व्यास सहित दलाल का भी जमकर धंधा होता है।
कथा व्यास व धनकुबेर दोनों मिलकर शहर भर में प्रचार पाने के लिये मीडिया कर्मियों पर जमकर घूस की वर्षा करते हैं। सबसे हैरत की बात तो यह है कि इन लोगों मीडिया को मैनज करने के लिये बनाया गया दलाल मीडिया की औकात कुछ सौ रुपये मानकर चलता है और कार्यक्रम छपने की गारन्टी पर ही घूस बांटता है। शुक्रवार को ऐसा ही नजारा कमलानगर में देखने को मिला जहां एक भागवत कथा से पूर्व आयोजकों ने कलश यात्रा के दौरान अपने मीडिया के दलाल से खुलेआम घूस बंटवायी गयी। इस नजारे को देखकर शायद लोगों ने इसे रूटीन वर्क समझा हो लेकिन इस समय देश का चौथा स्तम्भ अपनी दायनीय हालात पर आंसू बहा रहा था।
आगरा से एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.