भाई इस साल तो सहारा में गजब हो गया। अपने को कर्मचारियों का अभिभावक बताने वाला संस्था का चैयरमेन सुब्रत राय अपना जन्मदिन नहीं मना रहा है। नंबर दो के अभिभावक ओपी श्रीवास्तव ने बाकायदा सर्कुलर जारी कर सुब्रत राय का यह निर्देश कर्मचारियों को भेजा है। मतलब अब सुब्रत राय प्रेरणास्रोत नहीं रहे हैं। इसके पीछे संस्था की दयनीय हो चुकी हालात और कर्मचारियों की परेशानी का हवाला दिया जा रहा है। ये क्यों नहीं कहते कि जो आप लोग जन्मदिन के नाम पर निवेशकों ओर कर्मचारियों का पैसा पानी की तरह बहाते हो, उसका हिसाब और अपना पैसा लेने के लिए कर्मचारी व निवेशक 10 जून को लखनऊ पहुंच रहे हैं।
मनाओ न जन्मदिन, कर्मचारियों और निवेशकों के बीच में आकर। बनो प्रेरणास्रोत। कुछ ऐसा काम करो जिससे कर्मचारी और निवेशक प्रेरणा लें। अब कोई चाल नहीं लग पा रही है कर्मचारियों और निवेशकों को ठगने की। करो ऐलान 10 जून को कि संस्था में रहकर जिन भी डायरेक्टरों, मैनेजरों और दूसरे अधिकारियों ने मलाई चाटी है, अकूत सम्पति अर्जित की है, सब संपत्ति को बेचकर कर्मचारियों और निवेशकों का बकाया पैसा देंगे। सुब्रत राय, ओपी श्रीवास्तव, जेबी राय और इनके रिश्तेदारों ने सहारा के नाम से अरबों खरबों की जो संपत्ति अर्जित की है, वह सब सहारा में लगा देंगे। सब सहारा से लुटे पैसे से जिंदगी का मजा लूट रहे हैं। सड़कों पर भटक रहे हैं तो बस कर्मचारी और निवेशक।
यदि थोड़ी बहुत शर्म गैरत अभी बची है तो कर्मचारियों और निवेशकों को अब तक जितनी बार ठगा है, उन्हें कर्मचारियों और निवेशकों के बीच में आकर स्वीकारो। सहारा को लूटकर जो दूसरी कंपनियां बनाई हैं, उस कमाई को सहारा में लगाओ। जो पैसा सहारा से लूट कर बाबा की कंपनी में लगाया जा रहा है, उसे लाकर सहारा में लगाओ। कब तक कर्मचारियों और निवेशकों को बेवकूफ बनाते रहोगे। कहीं ऐसा न हो कि वह दिन भी आ जाये कि जमीन पर कहीं मुंह छिपाने की जगह भी न मिले। वक्त के पलटी खाते देर नहीं लगती।
लेखक चरण सिंह राजपूत सोशल एक्टिविस्ट हैं और सहारा समूह में काम कर चुके हैं. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.
अभिषेक आनंद
June 2, 2019 at 5:43 am
जब ये साहब सहारा ज्वाइन कर रहे थे तब नहीं सोचा था कि एक ठग के परिवार का हिस्सा बन कर उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सहयोग करने जा रहे हैं?
Ashok kumar sharma
June 2, 2019 at 9:51 am
Sahara ka paisa milega bhi ya nhi
Pappu kumar sahu
June 2, 2019 at 10:01 am
खाक 1318 सकरी सहारा बुरा हाल चल रहे है खातधारी पेसा। नही भुगतना नही हो रहो हैः
D r
June 2, 2019 at 12:31 pm
Pahli baat to ye hai ki aapne is news me jis prakar ki bhasha ka upyog kiya hai wah atyant nindaniya hai….ek saharaian ko is prakar ki bhasha shobha nahi deti….dusra ye ki jab koi sankat me ho to aap uski sahayta nahi kar sakte to aapko uska apmaan bhi nahi karna chahiye….rahi baat janmdin manaane ki to aaj bhi unke paas itna paisa hai ki wo apna janmdin dhoomdhaam se mana sakte hai kintu unhe karya kartao ki sthiti pata hai isliye unhone ye nirnay liya hai….company har sambhav prayaas kar rahi sthiti ko sudharne ki..
Aage samay nishchit roop se achchha aayega….
SAILENDRA PRASAD
July 6, 2019 at 10:47 pm
bhaisab mera paiasa dila do.
M.S.Joshi
June 2, 2019 at 3:57 pm
बकवास आर्टिकल..सहारा के प्रति दुर्भावना से प्रेरित।