अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने मे भोपाल के दो हिन्दी दैनिक अखबारों दैनिक भास्कर और पत्रिका का कोई मुक़ाबला नहीं है। हर दो तीन महीने में पूरे और आधे पेज के विज्ञापन खुद के अखबार में छाप कर दोनों अपने अपने को नंबर एक होने का ऐलान कर देते हैं। भारी-भरकम आंकड़ों से पाठकों का ब्रेन वाश किया जाता है। भास्कर ने तो अपने मत्थे पर ही उद्घोषणा कर रखी है कि आप देश का सबसे विश्वसनीय और नंबर-1 अखबार पढ़ रहे हैं। नंबर-1 होने के दावे पर यकीन कर भी लें पर दूसरा दावा थोथा ही लगता है।
दोनों ही अखबारों को सरकार विरोधी खबरों से परहेज ही है। इसके अलावा दोनों अक्सर दिल्ली के अखबारों मे छप चुकी खबरों अगले दिन अपने अखबार में छाप देते हैं। ज़्यादातर इंडियन एक्सप्रेस से खबरें टीप कर छापी जाती हैं पर दोनों इतने नाशुक्राने हैं कि भूले से भी इसका जिक्र नहीं करते हैं। जबकि पत्रकारिता की मान्य परंपरा है कि इसका साभार उल्लेख जरूर किया जाता है। दो उदाहरण प्रस्तुत हैं..!
रविवार 17 मई को दैनिक भास्कर में पहले पन्ने पर अलीगढ़ की जांबाज लड़की असमां जावेद की हत्या की खबर संवाददाता के नाम से फोटो सहित छपी है। यह खबर 15 और 16 मई के इंडियन एक्सप्रेस में चार कालम में फोटो सहित विस्तार से छप चुकी है। यह माना जा सकता है कि असमां जावेद की शख्सियत ऐसी थी जिससे पाठकों को उनके बारे में बताना जरूरी था, पर इसके लिए खबर के बजाय और बेहतर तरीके से उसे प्रस्तुत किया जा सकता था। पहले पन्ने पर दो दिन पुरानी बासी खबर परोसने से आपकी विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाज़मी है, जिसका आप रोज डंका पीटते हैं। पत्रिका का भी यही ट्रेंड है। कुछ दिन पहले इंडियन एक्सप्रेस ने शेहला मसूद हत्या में नया खुलासा किया था। खबर के मुताबिक बेहद अहम सबूत 25 पेन ड्राइव में से दो सीबीआई के अधिकारियों द्वारा गायब कर दी गईं। पत्रिका ने अगले दिन इसे पहले पेज पर लीड खबर के बतौर पेश किया, पर एक्सप्रेस का दूर-दूर तक नाम नहीं था।