Yashwant Singh : मोहम्मद अनस थाने से ही छोड़ दिए गए। उन्हें फंसाने की संघियों-भक्तों की कोशिश नाकाम रही। अनस के नाम से किसी ने फोटोशॉप्ड कंटेंट फैलाया था। पुलिस जांच में सब कुछ साफ हो गया।
पर सवाल है कि अनस को जबरन अपराधी बता फोटो खिंचाकर प्रेस रिलीज जारी करने वाले पुलिस कर्मियों पर कोई कार्रवाई होगी या नहीं जो बिना जांच-पड़ताल किए एक सम्मानित व्यक्ति की इज्जत उछालकर खुद की पीठ थपथपाने में जुटे रहे।
इन पुलिस वालों का कृत्य भी आईटी एक्ट के दायरे में आता है। इस तस्वीर को आधार बनाकर इन पर केस किया जाना चाहिए हाईकोर्ट में।
Mohammad Anas : वे लोग जो हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सौहार्द की बात करेंगे उन्हें बिना किसी जांच पड़ताल के यूपी पुलिस थाने पर बैठाएगी। आखिरकार प्रयागराज पुलिस ने बिना किसी मुकदमे, मुचलके के थाने से ही रिहा किया। लेकिन दुख तो हुआ मुझे की उच्चाधिकारियों यहां तक की साइबर क्राइम में कार्यरत पढ़े लिखे और समझदार पुलिसकर्मियों तक को मेरे फेसबुक पोस्ट में धार्मिक भावना भड़काने का कंटेंट मिला, जबकि सुबह होते होते उन्हें समझ में आया कि मैंने ऐसा कुछ नहीं लिखा था जिससे किसी की धार्मिक भावना आहत हो।
विद्धान अधिवक्ता साथियों, पत्रकार मित्रों, माननीय राज्यसभा सांसद जावेद अली खान, एमएलसी उदयवीर सिंह जी, धर्मेंद यादव भैया, सत्यवीर मुन्ना, समेत सुख दुख के साथी अभिनव, रंजीत, अमीक जामेई, ज़ाकिर, हसीब, सऊद, इम्तियाज़, सूरज, आबिद, अभिषेक यादव, रिचा सिंह, माजिद, उमैस का शुक्रिया जिन्होंने पुलिसिया अन्याय के विरूद्ध सत्य का साथ दिया। फेसबुक तथा ट्विटर पर जिन मित्रों ने मेरा पक्ष रखा उनका धन्यवाद।
Yashwant Singh : मोहम्मद अनस की किस पोस्ट से उत्तर प्रदेश का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ रहा था जिसके चलते उन्हें अरेस्ट करना पड़ा? कोई बताएगा दिखाएगा? यूपी में पुलिस लगातार मनमानी कर रही है।
अनस से बहुतों के वैचारिक विरोध होंगे लेकिन अनस कभी ऐसा कुछ नहीं लिखता जो अलोकतांत्रिक या समाज विरोधी हो। अनस की एफबी वॉल पर साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली मुझे एक भी पोस्ट नहीं दिखी।
अगर बेवजह यूँ ही अनस को अरेस्ट किया गया है तो ये बहुत खतरनाक ट्रेंड यूपी में चल पड़ा है।
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह और पत्रकार व सोशल एक्टिविस्ट मोहम्मद अनस की एफबी वॉल से.