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सुख-दुख

भड़ास को कूरियर से पांच हजार रुपये रिश्वत भेजने वाले ने दिमाग तो खूब लगाया लेकिन थोड़ी-सी कमी कर दी

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माननीय महोदय

सब जानते है साम, दाम अथवा दण्ड से भड़ास पर दबाव बना नहीं सकते. माफिया ने भेद का अक्लमंदी से उपयोग किया. आप के आत्मसम्मान को गहरी ठेस पहुंचाने का उनका उददेश्य हुआ पूरा. कमी हमारी लाल इमली टीम में है. कुछ लोग प्रतिज्ञा के साथ जुड़े थे. हमारी टीम के जयचंद चंद टुकड़ों के लिए प्रयास आरंभ होते ही कुठाराघात कर देते है. हम क्या सोचते हैं, किस तरफ काम कर रहे हैं,  वो BIC Management तक बिजली की गति से परोसा जाता रहा है. जो उद्योगपति 12 साल तक इस घोटाले को थामे हुए हैं, वह हम लोगों से सौ गुना तेज हैं. यह बात कई बार साबित हो चुकी है. लाल इमली के हम लोग इस लायक नहीं कि एकजुट हो कर इस संघर्ष को आगे ले जा सके.

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माननीय महोदय

सब जानते है साम, दाम अथवा दण्ड से भड़ास पर दबाव बना नहीं सकते. माफिया ने भेद का अक्लमंदी से उपयोग किया. आप के आत्मसम्मान को गहरी ठेस पहुंचाने का उनका उददेश्य हुआ पूरा. कमी हमारी लाल इमली टीम में है. कुछ लोग प्रतिज्ञा के साथ जुड़े थे. हमारी टीम के जयचंद चंद टुकड़ों के लिए प्रयास आरंभ होते ही कुठाराघात कर देते है. हम क्या सोचते हैं, किस तरफ काम कर रहे हैं,  वो BIC Management तक बिजली की गति से परोसा जाता रहा है. जो उद्योगपति 12 साल तक इस घोटाले को थामे हुए हैं, वह हम लोगों से सौ गुना तेज हैं. यह बात कई बार साबित हो चुकी है. लाल इमली के हम लोग इस लायक नहीं कि एकजुट हो कर इस संघर्ष को आगे ले जा सके.

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5000/- के कथिक प्रेषक श्री ओम प्रकाश 16/30 सिविल लाइन्स कभी BIC / लाल इमली में कार्यरत नहीं थे वह डा शक्ति भार्गव के मामा है. डा शक्ति भार्गव इस घोटाले को उच्च न्यायालय में मजबूती से उजागर कर रहे हैं. श्री ओम प्रकाश 65-70 वर्ष के हैं. याददास्त जा चुकी है. साल भर से पलंग पर है. मल मूत्र आने पर बता नहीं पाते. वह और उनकी पत्नी ही कानपुर में रहते हैं. पुत्र जयपुर में. जिसने भी आपको रुपये भेजे उसने यह तो पता कर लिया कि डॉ भार्गव के कौन कौन रिश्तेदार व निकट सहयोगी हैं परन्तु अगर वह श्री ओम प्रकाश को कथिक प्रेषक बनाने से पहले यह भी पता कर लेते कि उनकी शारीरिक व मानसिक स्थिति क्या है तो उनसे यह चूक नहीं होती और वह किसी अन्य को प्रेषक बनाते.

आपका बहुमूल्य सहयोग हमें मिला उसके लिया बहुत धन्यवाद. खेल ऐसा खेला कि हम Main Objective जो घोटाला उजागर करना था से भटक कर जासूसी के खेल में लग गए. वाकई दिमाग पाया है गुप्ता जी ने – ऐसे ही नहीं खरबपति बन गए. फरियादी हो गया मुल्ज़िम. असली मुल्ज़िम धुए के गुब्बार में खो जायेगा. भेदी तो हमारे घर का ही था. दंड भी हम सबको मिलना चाहिए.

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साक्ष्य व दस्तावेज में कमी न निकाल पाये तो माफिया लोगों ने खबर को जड़ से ही संदिग्ध बना दिया. इस स्कैम को उजागर करने वाले दस्तावेज अब इतने ज्यादा हो गए हैं कि उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए टेम्पो की आवश्यकता होगी. हर कागज़ ये साबित कर रहा है कि बहुत बड़ा खेल हुआ परन्तु 12 साल में किसी ने साहस नहीं जुटाया की वो इस पर कार्यवाही कर सके। मोदी सरकार से पारदर्शिता की उम्मीद थी वह कब की धूमिल हो गयी.

आपके प्रयास के लिए धन्यवाद

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सदा आभारी रहेंगे

Aditya Narain
[email protected]

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