आदित्य द्विवेदी-
दो पत्रों की है ये कहानी
भास्कर में इन दिनों दो पत्रों को लेकर काफी हलचल है। पहला है सुधीर अग्रवाल का कर्मचारियों के नाम और दूसरा डिप्टी मैनेजर (लीगल) जितेंद्र सिंह का अग्रवाल बंधुओं के नाम। सुधीर बाबू ने अपने पत्र में कर्मियों से कहा है कि अपने बीच जो अखबारकर्मी वसूली में लगे हैं उनकी जानकारी दें ताकि उन पर कार्रवाई की जा सके। इस बार का ड्रॉफ्ट भले अलग हो लेकिन कर्मचारी तो अब तक का रिकॉर्ड देखते हैं और रिकॉर्ड यह है कि वसूलीबाजों को कंपनी हर स्तर पर बचाती रही है और कंपनी का भला सोच कर जानकारी देने वाले सबसे पहले बाहर किए जाते हैं।
उधर जितेंद्र सिंह के पत्र में साफ कहा गया है कि मजीठिया मामलों में जो हथकंडे कंपनी अदालतों में अपना रही है वह भास्कर के लिए बड़ी कानूनी मुश्किल खड़ी कर देंगे।
दोनों पत्र चर्चा में हैं लेकिन जब मालिक खुद वसूलीबाज लोग चाहते हों और कानून को मजाक समझ रहे हों तो बस पत्र और उनकी चर्चा ही रह जाती है। वैसे, जितेंद्र जी का पत्र मजीठिया केस में मददगार भी है।
लौह भसम हो जाए…
जब अर्णब गोस्वामी को गिरफ्तार किया गया था तब सारे दूसरे चैनल बहुत खुश थे और सचिन वाझे के साथ परमबीर की भी लम्बी लम्बी तारीफ कर रहे थे। अब आलम यह है कि ये इन दोनों का नाम लेने तक से कतरा रहे हैं। वजह यह भी बताई जा रही है कि इस करोड़ों की वसूली में मीडिया का हिस्सा भी नज़राना/शुक्राना बतौर पहुंचता था। एकदम से बदले हालात में इन लिफाफे वालों को समझ नहीं आ रहा कि किसके साथ खड़े हों और किसे बाय बाय कहें। अर्णब जरूर कह रहे हैं कि बददुआएं असर दिखाती हैं, देख लीजिए कितने बड़े कद कितने कम समय में बिखर कर धूल हो गए।
बदलेगा नजारा
हर शहर के अपने प्रेस क्लब के चुनाव ही कम रोचक नहीं होते तो प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के चुनाव पर तो नजर रहना तय ही है। दस अप्रैल को होने वाले चुनाव के लिए तैयारियां बंगाल के चुनाव की तैयारियों जैसी ही समझ लीजिए। दिल्ली का मामला है तो राजनीतिक पार्टियों की भी नजर जमी हुई है। पहला विरोध इस बात पर आ भी गया है कि पर्यवेक्षक बदले क्यों नहीं जाते, यानी गर्मी बढ़ गई है।
श्रद्धांजलि का मैटर
कमल दीक्षित जी जैसे गुरु को खोकर कई पत्रकार सच में बेचैन और दुखी हैं लेकिन जिन्होंने आपदा में अवसर के मंत्र को देख समझ लिया है वे ऐसे मौकों पर भी खेल कर ही जाते हैं। गुरुजी की सिंचाई से फूले फले एक पुष्प ने उन्हें खूब झटके दिए लेकिन अब वे श्रद्धा के फूल चढ़ा रहे हैं उधर दीक्षित जी की अंगुली पकड़ कर बढ़े दूरदृष्टि वाले भी बड़ी तोप हो गए हैं, उन्होंने श्रद्धांजलि दी तो खबर का मजमून कुछ ऐसा बनवाया जैसे इन साहब का दीक्षित जी को याद करना बड़ी बात हो। चेलेजी शक्कर जो हो गए हैं।
वेतन देते हैं क्या?
एक पत्रकार बंधु मजीठिया मांगने पर नौकरी से बाहर कर दिए गए थे। पिछले दिनों दूसरी नौकरी के बारे में उन्हें किसी शुभचिंतक ने जानकारी दी तो उन्होंने पहला सवाल किया कि क्या वो वेतन देते भी हैं? मेरी जानकारी में तो उनके यहां सिर्फ काम लिया जाता है, पैसा देने का कोई मामला नहीं है।
Goverdhan
October 14, 2023 at 10:55 am
Jitendra Singh Dainik bhaskar ko 1.30 crores cash rupees Majithia mamale ko settle karne ke liye Jagdish Sharma dwara dilawaye gaye, Rajeev Chaturvedi dwara delhi ke ek hotal mein sare paise hawale ke dwara diye gaye. Aur ek agreement sign karwaya gaya jisme likha hai jitendr singh ab koi case nahi karenge aur purane cases wapas lega.