Priyanka Jain-
जयपुर। महिला दिवस पर दैनिक भास्कर ने पहल शुरू की… अपने पहले पन्ने पर.. इसमें हमारी किताबों में मौजूद जेंडर को निशाना बनाया गया। वाकई हमारी शुरुआत से ही जेंडर सम्बन्धी भेद हमारे दिमाग, हमारी सोच में बसा दिया जाता है, जो फिर कभी जाता है नहीं.. पहुंचा से पहुंचा नारीवादी भी यही चाहेगा कि घर पहुंचते ही बीवी गरमागरम खाना परोस दे.. खैर
जब भास्कर ने इसका बीड़ा उठाया है, तो आशा है वो इस पर पूरी ईमानदारी से काम भी करें, लेकिन इसके साथ ही मेरे कुछ सवाल भी हैं… भास्कर के मालिकान और मैनेजमेंट से..
आज भी क्यों संपादक या रिपोर्टर नाम सुनते ही किसी पुरुष की छवि दिमाग में आती है…
जितना मैं जानती हूं, भास्कर में संभवतया भोपाल में उपमिता जी, जयपुर सिटी भास्कर में प्रेरणा साहनी और मधुरिमा में रचना जी के अलावा कोई और महिला सम्पादक या रिपोर्टर का नाम जहन में आता ही नहीं…
तो भास्कर वालों.. आपसे निवेदन है कि जब आपने जेंडर इक्विटी की पहल की ही है, तो इसे अपने घर पर भी लागू कीजिये, ताकि लगे कि आपके प्रयासों में ईमानदारी है
बहरहाल, आधी आबादी की आवाज उठाने के लिए शुक्रिया!!
- प्रियंका जैन
जयपुर