इंदौर (म.प्र.) : दैनिक भास्कर इंदौर में कार्यरत उप-संपादक तरुण भागवत ने अदालत में विचाराधीन अपनी नौकरी के मामले में किशोर कुमार व्यास एडवोकेट के नोटिस के जवाब में कड़ा प्रतिवाद जताया है। उन्होंने लिखा है कि 30 अप्रैल 2015 को जारी पत्र 5 मई को स्पीड पोस्ट और 6 मई को रजिस्टर्ड पोस्ट से मिला। जैसा कि पत्र के पहले पैरा में उल्लेख किया गया है, डीबी कार्प प्रबंधन द्वारा मेरे और प्रबंधन के बीच चल रहे सर्विस मैटर में तथ्यों का पता लगाने और रिपोर्ट देने के लिए मेरे खिलाफ डोमेस्टिक इंक्वायरी हेतु नियुक्त किया गया है। इसमें प्रबंधन के प्रतिनिधि एचआर मैनेजर योगेश के. शर्मा होंगे।
मेरा सर्विस मैटर देश की सर्वोच्च अदालत में विचाराधीन है। इस प्रकरण की हाल ही में 28 अप्रैल 2015 को सुनवाई हुई थी। डीबी कार्प द्वारा माननीय न्यायालय के आदेशों की लगातार अवहेलना किए जाने से नाराज कोर्ट ने स्पष्ट कह दिया है कि अब इस प्रकरण में आरोपियों की तरफ से किसी तरह का काउंटर एफिडेविट स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसके बावजूद इस मामले में डीबी कार्प प्रबंधन और आप अलग से सुनवाई कैसे कर सकते हैं? क्या आप स्वयं को माननीय उच्चतम न्यायालय से भी बड़ा और अधिकारसंपन्न समझते हैं? कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण की इस तरह अलग से सुनवाई तय कर आपने तो सीधे तौर पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना कर न्यायालय को ही चुनौती दे डाली है।
उन्होंने लिखा है कि चूँकि कोई भी अधिवक्ता किसी भी प्रकरण का अच्छी तरह अध्ययन करने के बाद ही उसकी पैरवी करने या न करने की सहमति देता है, ऐसे में यह नामुमकिन है कि आप मेरे प्रकरण में सभी तथ्यों से वाकिफ न हों। इसलिए आपके इस पत्र से मुझे आपके वकील होने पर भी संदेह है क्योंकि यह बात तो कानून का नौसिखिया विद्यार्थी भी भलीभांति जानता है कि किसी भी कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण की इस तरह सुनवाई नहीं की जा सकती, यह अपराध है। इसी तरह एचआर मैनेजर शर्मा ने भी डीबी कार्प प्रबंधन द्वारा तय की गई इस सुनवाई में शामिल होने की सहमति देकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय और भारतीय कानून प्रणाली को सरेआम चुनौती दी है। ऐसे में आप मुझे लिखित स्पष्टीकरण दें कि आपके इस गैरकानूनी कृत्य के कारण मैं आपको भी माननीय उच्चतम न्यायालय की अवमानना का आरोपी क्यों नहीं बनाऊं? पत्र में लिखे अन्य बेबुनियाद आरोपों के आपको जवाब देना मैं उचित नहीं समझता।
तरुण भागवत ने अपने पत्र की प्रतिलिपि रमेशचंद्र अग्रवाल (चेअरमैन डीबी कार्प लि.), सुधीर अग्रवाल (एमडी डीबी कार्प लि.), गिरीश अग्रवाल (एमडी डीबी कार्प लि.), कल्पेश याग्निक (समूह संपादक, दैनिक भास्कर), नवनीत गुर्जर (संपादक दैनिक भास्कर म.प्र.), जया आजाद (असिस्टेंट जनरल मैनेजर एचआर एंड एडमिन, डीबी कार्प लि. म.प्र.-छग), पंकज श्रीवास्तव (लीगल कंप्लायंस हेड, म.प्र.-छग, डीबी कार्प लि.), हेमंत शर्मा (स्थानीय संपादक दैनिक भास्कर, इंदौर), अनिल कर्मा (समाचार संपादक दैनिक भास्कर, इंदौर), योगेश के. शर्मा (एचआर मैनेजर दैनिक भास्कर, जोधपुर आदि को भी प्रेषित की है।
tarun bhagwat
May 12, 2015 at 4:53 pm
मेरी खबर पब्लिश करने के लिए धन्यवाद।
मैंने जिन्हें इस जवाब की प्रतिलिपि भेजी है उनमें योगेश के. शर्मा (एचआर मैनेजर दैनिक भास्कर, जोधपुर को छोड़कर सभी को अवमानना का आरोपी पहले ही बना चुका हूं।
मनमोहन श्रीवास्तव
May 13, 2015 at 11:46 am
संघर्ष पथ के राही को सलाम जय हिंद