जौनपुर जिले की खुटहन पुलिस ने पत्रकार भीम चंद गुप्ता के 75 वर्षीय पिता का दो महीने के अंदर चार बार शांति भंग में चालान कर दिया। 85 फीसदी दिव्यांग भाई का भी शांति भंग में चालान हो गया। इसके अलावा पुलिस ने IITian भाई को भी नहीं बख्शा। परिवार के हर सदस्य पर दो से चार-पांच मुकदमे लाद दिया है।
पत्रकार के भाई और पिता को 27 जुलाई की रात थाने में तत्कालीन थाना प्रभारी जगदीश कुशवाहा, एसआई द्वारिका नाथ यादव, एसआई रमेश यादव के अलावा दो और पुलिसवालों ने दबंग ठाकुर प्रसाद के सामने घंटों बुरी तरह टॉर्चर किया।
पत्रकार भीम ने आरोप लगाया कि पुलिस ने पड़ोसियों से मिलकर 50 हजार रुपये में पत्रकार के परिवार की सुपारी ले रखी है। इसीलिए आये दिन पुलिस पत्रकार के घर जाकर मारपीट व गाली गलौच करती है। महिलाओं को गंदी-गंदी गालियां देती है और दूसरे पक्ष के मुताबिक फैसले लेने का दबाव बनाती है। पत्रकार का दावा है कि इसके कई ऑडियो-वीडियो उसके पास मौजूद हैं।
पत्रकार का पैतृक मकान जर्जर हो गया था, जिसे 12 जुलाई को गिरवा दिया था। इसका निर्माण शुरू कराते ही पहले पट्टीदारों ने विवाद प्रारंभ किया। फिर गांव के दबंगों को उकसाकर पुलिस विवाद कराने लगी। इसके बाद जब करीब 95 फीसदी निर्माण पूरा हो गया, तब पुलिस पट्टीदारों को चढ़ाकर आबादी पर मुकदमा करा दिया और बिना स्टे मिले ही पुलिस ने निर्माण पर रोक लगवा दिया। इसकी शिकायत पत्रकार के भाई ने थाने में की और निर्माण जारी रखने की अनुमति मांगी। तब कई बार दिव्यांग भाई को पुलिस थाने ले गई और वहां एसआई संतराम यादव ने गाली-गलौच कर मारपीट की। दिव्यांगता का मजाक उड़ाया। ट्राई साइकिल पलट दिए। एसआई रामबली यादव दूसरे पक्ष के हिसाब से समझौते पर जबरन साइन करा लिए। इसके बाद निर्माण भी रोक दिया।
इस बीच पुलिस हर दूसरे तीसरे दिन आती रहती और हर बार अभद्रता करती, मारपीट करती, गाली-गलौच करती। तभी 30 अक्टूबर को जब पुलिसवाले महिलाओं को गालियां दे रहे थे, उसकी रिकॉर्डिंग परिजनों ने कर ली। इसे महिला आयोग और एसपी से लेकर सभी अधिकारियों को भेजा गया है। पर अब तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है।
अभी तक पत्रकार दो बार मानवाधिकार आयोग, तीन बार जन शिकायत पोर्टल और डीएम-एसपी के यहां शिकायत कर चुका है। सभी अधिकारियों के ऑफिशियल मेल व ट्वीटर पर भी शिकायत भेजी। डीजीपी और अपर गृह सचिव को बाई पोस्ट शिकायती पत्र भेजा है। पर सब कुछ ठंडे बस्ते में है। ऊपर से पुलिस उल्टा-सीधा रिपोर्ट लगाकर पीड़ित को ही गलत साबित करने की कोशिश में लगी है।