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सुख-दुख

बीएचयू में सुरक्षाकर्मी से लेकर वीसी तक छात्राओं के बारे में गलत बोलते-सोचते हैं!

पहली नहीं है बीएचयू में छेड़खानी की घटना… भारत के नामचीन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्राओं से छेड़खानी की घटना पहली बार नही है। आये दिन कोई न कोई लड़की ऐसी वारदात का शिकार होती ही रहती है। इसके पीछे कारण साफ है कि बीएचयू प्रशासन द्वारा इन मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। और तो और, बीएचयू वीसी की छात्राओं के बारे में यदा-कदा अपत्तिजनक बयानों के लिए आलोचनाएं भी होती रहती हैं। कभी वे शोधार्थी छात्राओं के बारे में कहते हैं कि ये अपनी दहेज का पैसा जुटा रही हैं तो कभी वो बयान देते हैं कि लड़कियों को अपने भाइयों के लिए पढ़ना छोड़ देना चाहिये। कुछ दिन पहले ही बीएचयू के महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने भेदभाव का आरोप बीएचयू प्रशासन पर लगाया था जिसमें फीस से लेकर कपड़े पहनने, भोजन आदि से जुड़ी भेदभावपूर्ण विसंगतियों का जिक्र छात्राओं ने किया था।

पहली नहीं है बीएचयू में छेड़खानी की घटना… भारत के नामचीन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में छात्राओं से छेड़खानी की घटना पहली बार नही है। आये दिन कोई न कोई लड़की ऐसी वारदात का शिकार होती ही रहती है। इसके पीछे कारण साफ है कि बीएचयू प्रशासन द्वारा इन मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। और तो और, बीएचयू वीसी की छात्राओं के बारे में यदा-कदा अपत्तिजनक बयानों के लिए आलोचनाएं भी होती रहती हैं। कभी वे शोधार्थी छात्राओं के बारे में कहते हैं कि ये अपनी दहेज का पैसा जुटा रही हैं तो कभी वो बयान देते हैं कि लड़कियों को अपने भाइयों के लिए पढ़ना छोड़ देना चाहिये। कुछ दिन पहले ही बीएचयू के महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने भेदभाव का आरोप बीएचयू प्रशासन पर लगाया था जिसमें फीस से लेकर कपड़े पहनने, भोजन आदि से जुड़ी भेदभावपूर्ण विसंगतियों का जिक्र छात्राओं ने किया था।

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जहाँ तक बात बीएचयू सुरक्षा व्यवस्था की है तो कुछ विशेष जगहों या फिर कहा जाए कि वीआईपी जगहों पर ही पर ही सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। ये जगहें मुख्यतः वे हैं जहाँ से बीएचयू वीसी का जत्था गुजरता है। पहला बीएचयू सिंह द्वार (मेन एन्ट्री गेट), वीसी निवास, इंटरनेशनल फ्लैट्स वाला चौराहा जो कि वीआईपी रोड का ही एक चौराहा है और विश्वनाथ मंदिर। इसके अलावा कई मुख्य जगहें हैं जहाँ दिन भर तो चहल पहल रहती है मगर हल्की शाम होते ही लोग दिखाई देने बहुत कम हो जाते हैं। ये जगहें हैं सोशल साइंस फैकल्टी का चौराहा, स्वतंत्रता भवन वाली पूरी सड़क जो कि कई किलोमीटर लंबी है। इसी पर लॉ फैकल्टी कम्प्यूटर सैल और केंद्रीय कार्यालय भी अवस्थित है। इसके अलावा बॉयज और गर्ल्स हॉस्टल के पूरे दायरे में कोई सुरक्षाकर्मी नजर नहीं आता। पेट्रोलिंग पर भी शायद ही कोई सुरक्षाकर्मी/ अधिकारी दिखाई देता हो।

8 बजे के बाद लड़कियों का कैम्पस से गुजरना सुरक्षित नहीं समझा जाता। कई दिल बैठाने वाली घटनाओं के बारे में लड़कियों के मुँह से ही उनकी आपबीती सुनाई पड़ जाती है। लड़कियाँ इसी आक्रोश के चलते धरने पर बैठी हैं। यह आक्रोश आखिर क्यों न हो उनके भीतर जबकि आये दिन उन्हें ऐसी फब्तियों और छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ रहा है। दोषी के खिलाफ कार्यवाही न कर उल्टा छात्राओं के बारे में टिप्पणियाँ आम हैं, चाहे सुरक्षाकर्मी हों या फिर वीसी। ऐसे में लड़कियाँ धरने पर नही बैठेंगी तो क्या करेंगी आखिर? जहां जिस शिक्षा के मंदिर में उन्हें सर्वाधिक सुरक्षित महसूस करना चाहिए वहीं वें डरी सहमी महसूस करेंगी तो अपने व्यक्तित्व का विकास शिक्षा के माध्यम से कैसे कर सकेंगी?

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इस बात में भी कोई अचरज नहीं होगा यदि आने वाले समय में अभिभावक अपनी बेटियों को इस महान और सुप्रसिद्ध विश्विद्यालय में भेजने से पहले कई बार सोचने को मजबूर हो जाएं। प्रशासन को इस विषय को बहुत ही गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। यह विश्विद्यालय की साख के साथ ही छात्राओं के भविष्य से जुड़ा गम्भीर मसला है। साथ ही छात्राओं को भी स्वयं को मजबूत और निर्भीक रखते हुए साहसपूर्वक अपने आत्मसम्मान की सुरक्षा के लिए तैयार रहने की जरूरत है। हो सकता है कई दूसरे कयास लगाते हुए और प्रधानमंत्री मोदी की बनारस यात्रा के चलते इस पूरे मामले को राजनीतिक जामा पहनाते हुए रफादफा करने का प्रयास किया जाए मगर छात्राओं की पीड़ा को इस वक्त समझना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है, इससे पहले कि इस प्रकार की घटनाएं कोई भयंकर रूप ले लें और स्थिति बेकाबू हो जाये।

पूनम

लेखिक पूनम बीएचयू में शोधार्थी हैं और लंबे समय से कैंपस में रह रही हैं. उनसे संपर्क https://www.facebook.com/poonam.mam.1 के जरिए किया जा सकता है.

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