अजित शाही-
बीजेपी की लगातार जीत से भारतीय समाज में निम्न उपलब्धियाँ हुई हैं:
महंगाई अब बुरी चीज़ नहीं है. इसका अर्थ ये कि वोटर मैच्योर हो गया है. मेरे घर वाले जो आठ साल पहले महंगाई से नाराज़ चल रहे थे वो अब समझदार हो गए हैं. महंगाई का ज़िक्र छेड़ो तो ठहाका लगा कर हंसने लगते हैं. महंगे पेट्रोल से ही राष्ट्र निर्माण होता है वाली बात सबको मालूम हो चुकी है. अब कोई बादल उनके मन के राडार को बुद्धू नहीं बना सकता है.
करप्शन बुरी चीज़ नहीं है. मेरे घर वाले जो आठ साल पहले घूस खिलाने से चिढ़ते थे अब ख़ुशी ख़ुशी घूस देते हैं. (घूस लेने वालों को मैं नहीं जानता इसलिए उनके बारे में नहीं बता सकता हूँ.)
चीन द्वारा भारतीय ज़मीन पर ग़ैर-क़ानूनी क़ब्ज़ा बिलकुल ही बुरी चीज़ नहीं है. आठ साल पहले मेरे घरवालों को किसी ने बहका दिया था कि चीन बदमाश है. लेकिन अब उनको कोई बेवकूफ नहीं बना सकता है. चीन का लफड़ा कोई लफड़ा ही नहीं है.
रोज़गार को लेकर घरवालों को पहले बहुत चिंता रहती थी. अब वो दौर याद आता है तो खिलखिला पड़ते हैं. राष्ट्रहित और रोज़गार में कोई कंपेरिज़न हो सकता है भला? चल हट.
ये सब तो सवर्णौं की बात है.
SC और ओबीसी वोटर तो और भी समझदार हो गया है. पहले वो आरक्षण के लिए लड़ता था. अब वो कह रहा है कि हमें सिर्फ़ कांवड़ यात्रा और जगराते में आरक्षण चाहिए. अफ़सोस कि हम ये पहले समझ नहीं पाए. लेकिन कोई नहीं. देर आयद दुरुस्त आयद.
किसान तो तबसे सदमे में है जबसे केंद्र सरकार ने कृषि क़ानून वापस ले लिया. मोदीजी के इस फ़ैसले पर अपनी नाराज़गी किसानों ने बीजेपी को वोट देकर ज़ाहिर की है. आशा यही है कि मोदीजी ऐसी गलती दोबारा नहीं करेंगे और जल्द ही संसद में कृषि क़ानून वापस ले कर आएँगे.