संजय कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
Sanjaya Kumar Singh : चुनाव जीतने की भाजपाई चालें, मीडिया और मीडिया वाले… उत्तर प्रदेश चुनाव जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने सारे घोड़े खोल दिए हैं। भक्त, सेवक, कार्यकर्ता, प्रचारक सब अपनी सेवा भक्ति-भाव से मुहैया करा रहे हैं। इसमें ना कुछ बुरा है ना गलत। बस मीडिया और मीडिया वालों की भूमिका देखने लायक है। नए और मीडिया को बाहर से देखने वालों को शायद स्थिति की गंभीरता समझ न आए पर जिस ढंग से पत्रकारों का स्वयंसेवक दल भाजपा के पक्ष में लगा हुआ है वह देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है। कहने की जरूरत नहीं है कि भाजपा एक सांप्रादियक पार्टी है जो लोकतांत्रिक व्यवस्था का पालन मजबूरी में ही करती है।
नरेन्द्र मोदी को जिन स्थितियों में जिस तरह प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया और उसके बाद जीतने पर उन्होंने जो सब किया, जो कार्यशैली रही वह काफी हद तक तानाशाह वाली है। इसे उनकी घोषित-अघोषित, दिखने वाली और न दिखने वाली अच्छाइयों के बदले तूल न दिया जाए यह तो समझ में आता है। पर अपेक्षित लाभ न होने पर भी नरेन्द्र मोदी और आज की भाजपा का समर्थन भारत जो इंडिया बन रहा था उसे हिन्दुस्तान बनाने का समर्थन करना है। मीडिया का काम आम लोगों को इस बारे में बताना और इंडिया से हिन्दुस्तान बनने के नफा-नुकसान पर चर्चा करना है पर मीडिया के एक बड़े हिस्से ने तय कर लिया हो उग्र हिन्दुत्व ही देशहित है।
मीडिया पैसे के लिए और दबाव में ऐसा करे – तो बात समझ में आती है। उसे रोकने के लिए भी दबाव बनाया जा सकता है। पाठकों को बताया जा सकता है और उम्मीद की जा सकती है कि जनता चीजों को समझेगी तो मीडिया से ऐसे प्रभावित नहीं होगी जैसे आमतौर पर हो सकती है। लेकिन स्थिति उससे विकट है। मीडिया के लोग खुलकर भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। कुतर्क कर रहे हैं और स्वीकार कर रहे हैं वे तथाकथित राष्ट्रवादी, देशभक्ति वाली और हिन्दुत्व की पत्रकारिता कर रहे हैं। जो पुराने लोग संघ समर्थक पत्रकार माने जाते हैं उन्हें भी अब घोषित रूप से समर्थन करने में हिचक नहीं है।
इसी क्रम में आज वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने आज जागरण में प्रकाशित अपने लेख, “उत्तर प्रदेश की चुनावी हवा” का लिंक फेसबुक पर साझा किया है। पूरा लेख क्या होगा इसका अंदाजा है इसलिए पढ़ा नहीं और जो अंश हाइलाइट किया गया है उसे पढ़ने के बाद समझ में आ जाता है कि लेखक कहना क्या चाहता है। संबंधित अंश है, “यदि भाजपा मोदी के प्रचि वंचित तबकों के आदर भाव को वोट में बदल लेती है तो चुनाव जातीय समीकरणों से परे जा सकता है।” प्रदीप सिंह फेसबुक पर सक्रिय नहीं है। इस लेख से पहले उनका जो लेख उनकी वाल पर दिख रहा है वह 2 दिसंबर का है। आज 23 फरवरी को एक लेख का लिंक देने भर से यह आरोप लगाना उचित नहीं है कि वे भाजपा का प्रचार कर रहे हैं। पर दो दिंसबर की उनकी पोस्ट है, “राज्यसभा में हंगामा और नारेबाजी कर रहे सदस्यों से सभापति हामिद अंसारी ने पूछा ये नारे सड़कों पर क्यों नहीं लग रहे? सवाल तो बड़ा वाजिब है। पर अभी तक कोई जवाब आया नहीं है।” इसे 17 लोगों ने शेयर किया है।
दो दिसंबर को ही उनकी एक और पोस्ट है जो एक दिसंबर को जागरण में ही प्रकाशित उनके लेख का लिंक है या उसे साझा किया गया है। इससे पहले उनकी पोस्ट 6 अक्तूबर की है। यह भी जागरण में प्रकाशित उनके लेख का लिंक है। लेख का शीर्षक है, “कुतर्कों के नए देवता” और यह सर्जिकल स्ट्राइक पर है। इसकी शुरुआत इस तरह होती है, “कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना। फिल्म अमर प्रेम का यह गाना भारतीय नेताओं पर सटीक बैठता है। नेता किसी घटना, बयान या भाषण पर प्रतिक्रिया देने से पहले यह सोचता है कि जो हुआ है उसका फायदा किसे होगा। फायदा अपने विरोधी को होता दिखे तो वह विरोध में किसी हद तक जाने को तैयार रहता है। इस मामले में अमूमन फौज को अपवाद माना जाता था, लेकिन अब नहीं। यह नरेंद्र मोदी का सत्ता काल है।” इस पोस्ट में लिखा है, “मित्रों लम्बे अंतराल के बाद आपसे मुखातिब हो रहा हूं। दैनिक जागरण के आज के संस्करण में सम्पादकीय पेज पर छपा मेरा लेख आपकी सेवा में पेश है।”
इससे पहले की पोस्ट सात जुलाई की है जो उन्होंने किसी और का लिखा साझा किया है और अंग्रेजी में है। यह पोस्ट राजनीतिक नहीं है। प्रदीप सिंह का रुझान भाजपा की तरफ है, यह कोई नई बात नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि वे इनदिनों अपने सामान्य कार्य से अलग जागरण में लिख रहे हैं उसे फेसबुक पर साझा कर रहे हैं और जागरण उनके नाम के साथ उनकी ई-मेल आईडी नहीं, [email protected] छाप रहा है। क्या यह पेड न्यूज या प्रायोजित लेख है? कहने की जरूरत नहीं है कि Pradeep Singh अकेले ऐसे पत्रकार नहीं हैं।
जनसत्ता अखबार में लंबे समय तक कार्यरत रहे और इन दिनों सोशल मीडिया पर बेबाक लेखन के लिए चर्चित वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह की एफबी वॉल से यह मीडिया विश्लेषण लिया गया है. संजय से संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.