नीरेंद्र नागर-
BJP के छुटभैया नेता श्रीकांत त्यागी के घर पर बुलडोज़र चला दिया गया है। कुछ लोग इसकी तारीफ़ कर रहे हैं। लेकिन सरकार के इस क़दम से दो महत्वपूर्ण सवाल उठते हैं।

पहला सवाल यह कि श्रीकांत त्यागी के घर पर बुलडोज़र क्यों चला? क्या इसलिए कि उसने कुछ अवैध निर्माण किया था? अगर हाँ, तो यह बुलडोज़र इससे पहले क्यों नहीं चला? अगर हाँ तो पूरे यूपी में जितने सारे अवैध निर्माण हैं, उन सब पर बुल़डोज़र क्यों नहीं चलता? मैं बीस साल पहले जहाँ रहता था, नोएडा के सेक्टर 34 में, वहाँ की हमारी सोसायटी में तक़रीबन तीन-चौथाई लोगों ने अपने फ़्लैट के आगे-पीछे कमरे बनवा लिए हैं। लेकिन आज तक किसी के फ़्लैट पर बुलडोज़र नहीं चला।
मतलब यह कि अवैध निर्माण करते रहें और प्रशासन और पुलिस को पैसे देते रहें तो आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा। लेकिन यदि आपने ऐसा कोई काम किया जिससे सरकार को क्रोध आता है तो फिर आपने कोई अवैध निर्माण किया हो या न किया हो, आपके घर पर बुलडोज़र चल जाएगा जैसा कि इलाहाबाद में हुआ। यह भला कैसी अन्याय प्रणाली है? क्या इलाहाबाद के उच्च न्यायालयों में बैठे जजों को यह सब नहीं दिखता? वे सरकार से यह अहम सवाल क्यों नहीं पूछते कि जब कोई एक अवैध निर्माण गिराया जाता है तो उसके आसपास के दूसरे अवैध निर्माणों को क्यों बख़्श दिया जाता है?
दूसरा सवाल यह कि अगर श्रीकांत त्यागी ने महिला से बदतमीज़ी न की होती या बदतमीज़ी की होती मगर उसका विडियो न बना होता, तब भी क्या उसके घर पर बुलडोज़र चलता। सौ फ़ीसदी नहीं चलता क्योंकि तब कोई सबूत ही नहीं होता।
पूरे उत्तर प्रदेश में हज़ारों श्रीकांत त्यागी अपनी गाड़ी पर बीजेपी का झंडा लगाकर वही काम कर रहे हैं जो श्रीकांत त्यागी ने किया मगर उसका कोई विडियो नहीं है। इसलिए उनको कोई डर नहीं है – न पकड़े जाने का, न ही उनका घर गिराए जाने का। बीजेपी को भी ऐसे लोगों से कोई परेशानी नहीं है क्योंकि वे चुनावों में उनके लिए काम करते हैं, उनको वोट दिलाते हैं।
जो पहले समाजवादी सरकार में हो रहा था, वही बीजेपी सरकार में हो रहा है। यह अलग बात है कि समाजवादी बदनाम हो गए, ये तारीफ़ें बटोर रहे हैं।