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उत्तर प्रदेश

एक्ज़िट पोल में भाजपा की प्रचंड जीत देख प्रसन्न हुए समर्थक

समरेंद्र सिंह-

कांग्रेस का ये हाल ऐसे नहीं हुआ है। बीते दो महीने में इनके पत्रकारों ने जो कहा है उस पर गौर कीजिए, सचाई सामने होगी। ये सुबह से रात तक झूठ बोलते हैं। झूठ लिखते हैं। इनकी चाटुकारिता को सच मान कर इनके नेता बंदर की तरह उछलते हैं। क्या कीजिएगा, गलती नेताओं की है। झूठों और मक्कारों की फौज जमा कर रखी है। ये नेता अब घर बैठेंगे।

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अगले साल हिंदी बेल्ट के तीन बड़े राज्यों में चुनाव है। तब ये नेता पिकनिक मनाने निकलेंगे। फिर गोवा या यूरोप घूमेंगे। फिर आम चुनाव में पिकनिक मनाएंगे। राजनीति को इन्होंने मजाक बना दिया है। और अब इनका मजाक बन रहा है। मुझे सबसे अधिक अफसोस प्रियंका गांधी को लेकर हो रहा है। इनकी पहली पारी तो जीरो पर गई है। अब आगे की पारियां देखते हैं!

उमेश कुमार सिंह-

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प्रदेश के चुनाव में भाजपा की चुनावी रणनीति और साहस दोनों काबिले तारीफ दिखा, जबकि सपा हर बार की तरह इस बार भी अखिलेश नेतृत्व अदूरदर्शी और अनुभवहीन दिखा। बहुजन समाज पार्टी की सुस्ती किसी के भी समझ के परे होगी जबकि कांग्रेस ने दिशाहीन और निरर्थक मेहनत की।

कांग्रेस नेतृत्व के एकमात्र चेहरे के पास अपनी पिछले चुनाव की सीटों की संख्या और वोट प्रतिशत को बचाए रखने की चुनौती है, वही सुस्त रफ्तार के बाद भी बहुजन समाज पार्टी पिछले चुनाव की अपेक्षा इस चुनाव में सीटों की संख्या दोगुनी कर लेगी।

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समाजवादी पार्टी के पास अवसर था सरकार के खिलाफ आक्रोश को भुना लेने का लेकिन पूरी तरह से असफल रही और समाजवादी पार्टी को 70 सीटों का आंकड़ा पार कर पाना बड़ा मुश्किल सा लग रहा है जबकि भाजपा कम से कम 270 सीटें पाकर स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाने जा रही है।

सरकार के समर्थक विरोधी दोनों को शुक्रिया। जनता ने तो अपना काम बखूबी किया लेकिन विपक्षी दलो में नेतृत्व क्षमता की कमी भाजपा को दोबारा अवसर दे रही है। बाकी बातें 10 मार्च को। धन्यवाद।

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पंकज कुमार झा-

नयी योगी सरकार का सबसे पहला काम होना चाहिये उत्तर प्रदेश को तीन या चार राज्यों में विभाजित करने का प्रस्ताव देना. मेरा निजी मत तो यह है कि देश में एक नया ‘राज्य पुनर्गठन आयोग’ बने. सभी राज्यों की सीमाओं का फिर से निर्धारण होना आवश्यक है. भारत में 50 राज्यों की गुंजाईश है.

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परिणाम चाहे जो हो लेकिन सांस्कृतिक रूप से राज्यों का निर्माण शुरू करना चाहिए. नेहरू ने देश को चूं-चूं का मुरब्बा बना दिया था. अतार्किक रूप से राज्यों का गठन किया गया. इसे भी ठीक करने की ज़रूरत है देश भर में.

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