उर्मिलेश-
ये बात ठीक है कि भाजपा के पास जबर्दस्त चुनाव-मशीनरी, अकूत संसाधन, मन-माफ़िक मीडिया( ज्यादातर टीवी चैनल व हिन्दी अखबार आदि) और आर एस एस जैसा मजबूत कार्यकर्ता-आधारित मातृ-संगठन हैं, जो उसे बड़ी ताकत देते हैं.
पर सोचिए, उत्तर प्रदेश में पांच साल इतनी बुरी सरकार चलाकर भी अगर वह चुनाव-प्रचार के मामले में न सिर्फ सबसे आगे दिख रही है अपितु पूरे दमदख के साथ मुकाबले में बनी हुई है तो इसके लिए उसके नेताओं को श्रेय तो देना ही होगा!
यूपी में ‘एंटी इन्कमबेसी’ को मात देने की वे हर संभव कोशिश कर रहे हैं. मौजूदा चुनावी परिदृश्य को देखें तो विपक्षी दलों से उनकी लड़ाई नहीं दिखती, उनकी लड़ाई यूपी की उस जनता से दिख रही है, जिसे उन्होंने पांच साल तक बेहाल करने वाला कुशासन दिया. खेती-किसानी, रोजगार, अच्छी शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवा संरचना और महंगाई जैसे मुद्दों को संबोधित करने की जगह सरकार के बडे ओहदेदार नफ़रत, विभाजन और प्रतिशोध की कुत्सित राजनीति में जुटे रहे.
पर उत्तर के सबसे बडे हिन्दी भाषी राज्य में व्याप्त जात-पात और साप्रदायिकता के नशे में समाज का एक हिस्सा आज भी उनका जयघोष करने में जुटा है. सत्ता और इस तरह की विभाजनकारी नीतियों के बल पर वे फिर भी जनता के बीच पूरी ताकत से जमे हुए हैं. यही नहीं, पूरी ढिठाई के साथ चुनाव के दरम्यान वे खुलेआम कह रहे हैं कि ‘गर्मी निकाल’ देंगे या कि ‘चर्बी उतार’ देंगे!
ऐसा चुनाव भला किस लोकतंत्र में देखा गया है! क्या इससे सत्ता की अपरम्पार शक्ति और ‘उत्तर प्रदेशी-विपक्ष’ की चतुर्दिक-विपन्नता नहीं नजर आती?
साक्षी जोशी-
देश के असली मुद्दों से आपको हिजाब सही ग़लत की डिबेट में घुसाया जा रहा है गुंडे प्लांट किए जाते हैं, एक लड़की को तंग करते हैं, उसपर अपनी सोच थोपते हैं, फिर सरकार के टुकड़ों पर पलने वाले उनका एंजेंडा यूँ चलाते हैं कि गुंडों पर बात न आए पूरी डिबेट हिजाब सही ग़लत में उलझ जाएं।
उसे आपके सामने प्राइमटाइम पर परोसा जाएगा ताकि यूपी और उत्तराखंड में वो किया जा सके जो धर्म संसद से कराने का प्लान था । पोलराइज़ करके आपको हिंदू मुस्लिम में बाँटना और आप भूल जाएँ देश में बेरोज़गारी भी है, महंगाई भी है, तेल के दाम आसमान छू रहे , किसान बेचारे अब तक आय दुगुनी होने का इंतज़ार कर रहे।