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महिला सेक्सुअलिटी पर एक किताब- ‘सेक्स टाइम एंड पावर हाउ वीमेन सेक्सयूएलिटी शेप्ड ह्यूमन एवोल्यूशन’

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लक्ष्मण सिंह देव-

कई बार ऐसा होता हैंकि कोई नारी अचानक चंचल हो जाती है और फिर एकदम बदली सी लगती है। ऐसा मेरे साथ हुआ।लड़कियों ने बाते की फिर अचानक स्वभाव बदल गया।सबके साथ होता होगा ये तय है। ऐसा क्यों होता है इसका जवाब मुझे इस किताब से मिला। बहुत कम किताब ऐसी होती हैं जो मुझे बहुत ज्यादा पसंद आती है ऐसी यह किताब मुझे भी मिली लियोनार्ड की लिखी हुई सेक्स टाइम एंड पावर हाउ वीमेन सेक्सयूएलिटी शेप्ड ह्यूमन एवोल्यूशन। यह किताब वस्तुतः एंथ्रोपोलॉजी की है।

यह किताब मेरे पास तीनों फॉर्मेट में है, किंडल, प्रिंट,अमेजन ऑडियो। इस किताब में बताया गया है कि किस प्रकार लाखों साल में मानव के शरीर में बदलाव आए हैं और महिला सेक्सुअलिटी ने किस प्रकार जगत को बदलने में और विकास करने में मदद की है।

इसमें बताया गया है कि महिलाओं की यौन इच्छा अभी के समय में सबसे ज्यादा 32 साल की उम्र के आसपास सबसे ज्यादा होती है उनमें यौन इच्छा का वही स्तर होता है जितना किसी तरुण युवक(16 से 20) में लेकिन इसमें यह भी कहा गया है कि इन दोनों की का यौन इच्छा समान स्तर पर होने के बाद भी आदर्श मेटिंग इस वजह से नहीं हो सकती कि जो तरुण है वह सुरक्षा और संरक्षण प्रदान नहीं कर सकता।

इसमें यह भी बताया गया है कि प्राचीन काल में किस तरीके से महिलाएं अपना पार्टनर चुनती थी और किस प्रकार वह एक शक्तिशाली पुरुष को ही चुनती थी इसमें एक बिंदु है कि गैंडे के सींग और शेर की मूछें या इसी तरह केकुछ हिंसक जानवरों के जो अंग हैं उनको उत्तेजना बढ़ाने वाला मान लिया गया है कि जिस पुरुष के पास वह है या इनका सूप इत्यादि सेवन करता है वह उसकी काम शक्ति ज्यादा होती है।

असल में इसका अर्थ यह है कि जो पुरुष इतना शक्तिशाली है कि जिस ने शेर को भी मार कर उसकी मूछ को काट लिया गेंडे को मारकर उसका सींग काट लिया वह बहुत ही बेहतर संरक्षण प्रदान करने वाला होगा। इसके पीछे मनोवैज्ञानिक भावना है लेकिन बाद में यह रूढ़ धारणा बन गई कि ये अंग सेवन करने पर काम शक्ति प्रदान करेंगे।

इस किताब में यह भी एक महत्वपूर्ण इशू है कि किस प्रकार जो जीव जगत है उसमें सिर्फ जो प्राइमेंट हैं उन्हें ही लम्बा मासिक धर्म होता है और बाकी जितने जंतु हैं उनमें मासिक धर्म नहीं होता।। जी स्पोट क्या वाकई में है लेकिन इसमें बताया गया कि जी स्पॉट जो है वह एक आदिम शरीर का अवशेष है जब क्लीटोरिस विकसित नहीं हुआ था ऐसा कुछ संभावना बताई गई है कि जो आदिम महिलाएं थी उनको प्रसव के कारण जी स्पॉट से रगड़ होती थी तो उनको ऑर्गेज्म का सुख प्राप्त होता था मनुष्य किस प्रकार से चोपाये से 2 पैरों पर आया और शरीर में किस प्रकार परिवर्तन हुए और फेस टू फेस मैथुन की शुरुआत हुई और उस शरीर में परिवर्तन कैसे हुए। इस बात पर भी इसमें बहुत सारे सिद्धांत प्रस्तुत किए गए हैं।

महिलाओं की सेक्सुअलिटी को समझने के लिए यह किताब बहुत ही महत्वपूर्ण है इसमें यह भी बताया गया है कि जब महिलाओं का अंडोत्सर्ग होता है तब वह उत्तेजित हो जाती हैं और उनका मन इतना चंचल हो जाता है कि वह साथी की तलाश में एडवेंचर पर भी उतर आती है और कहीं दूर भी चली जाती हैं लेकिन यह दशा मुश्किल से 24 घंटे रहती है और उस दौरान महिलाओं का तापमान 1 डिग्री बढ़ जाता है।महिलाओं के मन मे हार्मोन के कारण किस प्रकार उतार चढ़ाव चलता रहता है,इन सब सवालों के जवाब इसमे हैं।

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  • बहुत से विषय होते हैं, जिन पर हम लोग बातचीत करना नहीं चाहते, मगर उन्हें जानना अवश्य चाहते हैं। चाहे उन्हें छुपकर जानें। चाहे उन्हें गलत स्रोतों से जानें। उन्हें गलत तरीके से जानें। चाहे अधकचरे और अपरिपक्व तरीके से जानें। लेकिन उन रहस्यों को जानने की जिज्ञासा हर मानव में होती है। चाहे कोई उसे स्वीकार करे, ना करे। देह, यौन, मृत्यु, पुनर्जन्म, भविष्य, भाग्य और भगवान ऐसे ही कुछ विषय हैं। इसी क्रम में हैं। हमारी ये जिज्ञासाएं, भगवान के बारे में बाद में उपजती हैं, पहले के विषयों में इसलिए पहले जाग जाती हैं क्योंकि देह का विकास, आध्यात्मिक विकास से बहुत पहले हो जाता है।
    मैंने उपरोक्त पुस्तक को देखा, सुना पढ़ा नहीं है। इस क्षेत्र में अब यद्यपि मेरी रुचि अब नहीं रही है, भारत में इस तरह के विषयों पर पुस्तकें लिखवाने और छापने वाले प्रकाशक आगे आते ही नहीं हैं। एक व्यवसायिक लेखक होने के नाते मुझे उन्हीं विषयों तक सीमित रहना पड़ता है जिनसे मुझे यश, सम्मान या धन की कुछ कमाई हो सकती है।
    आपकी समीक्षा को मैं इसलिए असाधारण और उत्कृष्ट कहूंगा, क्योंकि इसे पढ़कर आपके मन में उस विषय के बारे में काफी कुछ समाधान स्वतः ही हो जाता है।
    बेहद शानदार और निष्पक्ष ढंग से लिखी गई समीक्षा है और इस प्रकार के विषयों पर आलेख प्रस्तुत करने के भड़ास के निर्णय का मैं हार्दिक स्वागत करते हुए यह कहना चाहूंगा कि कुछ विषयों पर शायद भविष्य में मैं भी एक दो समीक्षाएं लिखकर आपको भेजूं।

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