रवीश कुमार-
दैनिक जागरण में यह विज्ञापन छपा है। क्या इसे बीजेपी के उम्मीदवार ने छपवाया है या ब्राह्मण संगठन ने? विज्ञापन की भाषा ख़बर की तरह है।
चुनाव आयोग जाति धर्म को लेकर विज्ञापनों के छपने के नियम बनाए हैं। क्या इस विज्ञापन को छापने से पहले मंज़ूरी ली गई है? क्या यह विज्ञापन आयोग की कार्रवाई के दायरे में आता है?
यह तो पता चलना ही चाहिए कि किस संस्था ने विज्ञापन दिया है । तभी तो उसका ख़र्चा पार्टी या संगठन के खाते में जोड़ा जाएगा। क्या चुनाव आयोग यह सब नहीं देख रहा है? दूसरा बीजेपी माफिया विकास दुबे के एनकाउंटर का नाम तक नहीं लेती है। विकास दुबे के एनकाउंटर पर भी गर्व करना चाहिए लेकिन चुप हो जाती है।
तीसरा क्या ब्राह्मण बीजेपी को वोट नहीं दे रहे हैं जो इस तरह का विज्ञापन छपवाया जा रहा है? चुनाव आयोग और जानकार दोनों जवाब दें। ज्ञान दें।