स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिए गए झटके की थरथराहट अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि ब्रजेश पाठक ने भी धमाका कर दिया. वे बहुजन समाज पार्टी छोड़ गए. इस पालाबदल से मायावती की स्थिति काफी कमजोर हो गई है. मायावती की बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेता लगातार दूसरे दलों में जा रहे हैं. मजेदार यह है कि चौबीस घंटे पहले ब्रजेश पाठक ने मायावती की आगरा रैली की जिम्मेदारी निभाई थी और आज भाजपा के हिस्से बन गए. इस इस्तीफे से बसपा का ब्राह्मण-दलित समीकरण को झटका लगा है. ब्रजेश पाठक बसपा के कद्दावर ब्राह्मण नेता माने जाते हैं. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में आज ब्रजेश पाठक ने बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की. उधर, बसपा ने हर बार की तरह खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे के अंदाज में बृजेश पाठक को पार्टी से निकाल देने की घोषणा कर दी है.
ज्ञात हो कि यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है. ऐसे में मायावती के लिए ये बड़ा झटका है. ब्रजेश पाठक से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. कल जब मायावती ने आगरा से अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करते हुए रैली की तो ब्रजेश पाठक रैली के संयोजक थे. बीएसपी की इस रैली के लिए मीडिया को जो निमंत्रण भेजा गया था उस पर भी ब्रजेश पाठक का फोन नंबर था.
बीजेपी की कोशिश है कि वह बसपा को ब्राह्मण विरोधी पार्टी करार दे. कहा ये भी जा रहा है कि लोकसभा और राज्यसभा में एक एक बार सांसद रह चुके ब्रजेश पाठक दुखी थे कि राज्यसभा कार्यकाल खत्म होने के बाद पार्टी ने उन्हें दोबारा मौका नहीं दिया. उनकी जगह पर सतीश चंद्र मिश्र और अशोक सिद्दार्थ को राज्यसभा भेजा गया. ब्रजेश पाठक ने पार्टी से उन्नाव विधानसभा से चुनाव लड़ने की बात की तो मायावती ने उन्हें उन्नाव की जगह उनके हरदोई से टिकट दे दिया. ब्रजेश पाठक 2004 में उन्नाव लोकसभा सीट से बीएसपी के टिकट पर चुनाव जीते थे. 2009 में चुनाव हार गए थे. तब बसपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा. ब्रजेश पाठक लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं.