मेरठ : तरह तरह के ब्रांडेड प्रोडक्ट्स आजकल बाजार पटे पड़े हैं। ग्राहक प्रायः खुली आंखों से ऐसे सामान खरीदते समय सावाधानियां नहीं बरतते हैं। हर शहर में डेयरी फार्म खुले हुए हैं। वे ब्रांडेड रैपर चिपकाकर नकली माल ऊंचे दाम पर ठिकाने लगा रहे हैं। दुग्ध उत्पादित सामानों में तो तरह तरह की धोखाधड़ी सामने आने लगी हैं। अमूल मस्ती दही का तो अजब हाल है। वह जितना पैकेट पर लिखा है, उससे आधे वजन की निकल रही है।
रोज़ की तरह जब मयंक ने अमूल मस्ती दही खरीदी तो उन्हें कुछ शक हुआ। तौला तो पता चला कि वजन 400 ग्राम के स्थान पर मात्र 272 ग्राम है। इस पैक की एक्सपॉयरी डेट 29 मई 2015 थी। अमूल कॉस्ट्युमर केयर पर भी चार घंटे तक प्रयास करने के बाद शिकायत दर्ज करा दी गई। अब मयंक बड़ी कंपनी की धोखेबाज़ी की शिकायत उपभोक्ता फोरम में करने का मन बना रहे हैं।
रेलवे जंक्शनों, बस अड्डों पर नकली दुग्ध उत्पाद आज कल गर्मियो में ग्राहकों को खूब चपत लगा रहे हैं। ब्रांडेड दुग्ध उत्पाद निर्माता कंपनियों अमूल एवं वेरका के उत्पादों की आड़ में सरेआम दोयम दर्जे की मिलावटी पैटियां, पेस्ट्रियां और बर्गर को भी बेंचा जा रहा है। यह सब अधिकारियों के ‘आशीर्वाद’ से हो रहा है। कोई देखने-सुनने वाला नहीं कि कौन क्या बेच रहा है।
स्टालों पर वेरका एवं अमूल ब्रांड के दूध, खट्टी-मीठी लस्सी, घी, मैंगो जूस आदि सजे धजे से मिलते हैं। नामी ब्रांडों की आड़ में लोकल माल बेचा जा रहा है। पारस व क्वालिटी कंपनी के लोकल ब्रांड के फ्रूट केक की बिक्री भी धड़ल्ले से हो रही है। इन स्टालों पर चाय तक मुहैया कराई जाती है जोकि वेरका अथवा अमूल का उत्पाद ही नहीं है। ट्रेनों से उतरे यात्री इन ब्रांडों के धोखे में आकर खाद्य सामग्री खरीद लेते हैं, वे जल्दबाजी में कतई गौर नहीं कर पाते कि आखिर जो वे खा रहे हैं, क्या वह अमूल एवं वेरका के ही उत्पाद हैं। यही ‘अनदेखी’ उन्हें नुकसान पहुंचा रही है, इन स्टालों पर बिकने वाले कई उत्पाद तो एक्सपायरी डेट भी पूरी कर चुके हैं, इनके सेवन से यात्रियों को उल्टियां भी लग चुकी हैं।
kalicharan
May 30, 2015 at 10:33 am
🙁 🙁 🙁 🙁
mayank
June 3, 2015 at 2:07 am
अमूल कस्टूमर केयर का अभी तक कुछ पता नहीं की उन्हें इस बात की कोई परवाह भी है या नहीं।
इतने बड़े ब्रांड कहे जाने वाली कंपनियो को ग्राहकों के लिए भी सोचना चाहिए।